केंद्रीय कपड़ा मंत्रालय के अधीन 23 कपड़ा मिलों ने कोरोना महामारी के चलते 24 मार्च को अपना परिचालन बंद किया था. हालांकि अब तक इन्हें फ़िर से शुरू नहीं किया गया है. इन मिलों में क़रीब 15,000 मज़दूर कार्यरत हैं.
नई दिल्ली: लॉकडाउन प्रतिबंधों में ढील दिए जाने के बाद देश भर के कारखानों ने परिचालन फिर से शुरू कर दिया है, लेकिन केंद्रीय कपड़ा मंत्रालय की एक इकाई राष्ट्रीय कपड़ा निगम (एनटीसी) के तहत आने वाली 23 कपड़ों मिलों के कामकाज को शुरू किया जाना अभी बाकी है.
इन 23 मिलों के करीब 15,000 मजदूरों ने राष्ट्रीय लॉकडाउन की घोषणा से एक दिन पहले 24 मार्च को इनका संचालन बंद किया था.
अब सभी मिलों को फिर से खोलने की मांग को लेकर केरल में स्थित पांच मिलों में कार्यरत लगभग 3,000 कर्मचारी विरोध में उतर गए हैं.
इस आंदोलन के लिए संयुक्त कार्रवाई परिषद का गठन किया गया है, जिसमें कांग्रेस से जुड़े भारतीय राष्ट्रीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस (इंटक) और सीपीआई (एम) के भारतीय व्यापार संघों (सीटू) का समर्थन प्राप्त है. इसमें आरएसएस के ट्रेड यूनियन विंग भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) का भी सहयोग मिला है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रीय कपड़ा निगम के एक अधिकारी ने बताया कि इन मिलों को खोलने को लेकर कपड़ा मंत्रालय से कोई निर्देश नहीं मिला है. अधिकारी ने कहा कि ये मिल धागे का उत्पादन करते हैं और धागे की मांग अभी बढ़ी नहीं है.
हालांकि केरल राज्य मिल वर्कर्स फेडरेशन के महासचिव और राज्य सीटू के कोषाध्यक्ष पी. नंदकुमार ने दावा किया कि इस तर्क में कोई दम नहीं है कि बाजार सुस्त है.
उन्होंने कहा, ‘केरल राज्य वस्त्र निगम और सहकारी क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली सभी मिलें मई में फिर से खुल गई हैं. निजी कपड़ा क्षेत्र में तेजी है, क्योंकि स्वास्थ्य देखभाल में कपड़ा उत्पादों की मांग महामारी के दिनों में बढ़ गई है.’
नंदकुमार ने दावा कि पांच केरल मिलों के कर्मचारियों को पूरी सैलरी भी नहीं मिली है.