सुशांत सिंह राजपूत की मौत से जुड़े ड्रग्स मामले में फिल्म इंडस्ट्री को बुरा भला कहने को लेकर समाचार चैनल रिपब्लिक टीवी, उसके प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी, टाइम्स नाउ, उसके प्रधान संपादक राहुल शिवशंकर और समूह संपादक नविका कुमार और अज्ञात प्रतिवादियों के ख़िलाफ़ चार फिल्म एसोसिएशनों और 34 निर्माता संगठनों ने याचिका दाख़िल की है.
नई दिल्ली: बॉलीवुड के प्रमुख निर्माताओं ने सोमवार को रिपब्लिक टीवी और टाइम्स नाउ के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया.
निर्माताओं ने न्यायालय से फिल्म उद्योग के खिलाफ कथित तौर पर ‘गैर जिम्मेदाराना और अपमानजनक टिप्पणियां’ करने या प्रकाशित करने से रिपब्लिक टीवी और टाइम्स नाउ को रोकने का अनुरोध किया है. साथ ही उन्होंने विभिन्न मुद्दों पर उनके सदस्यों का ‘मीडिया ट्रायल’ रोकने का भी आग्रह किया है.
चार फिल्म इंडस्ट्री एसोसिएशनों और 34 प्रमुख प्रोडक्शन हाउस के साथ-साथ यशराज फिल्म्स और आरएस एंटरटेनमेंट द्वारा दायर वाद में फिल्म उद्योग से जुड़े व्यक्तियों की गोपनीयता के अधिकार में हस्तक्षेप करने से उन्हें रोके जाने का भी अनुरोध किया गया है.
आमिर खान, शाहरुख खान, सलमान खान, करण जौहर, अजय देवगन, अनिल कपूर, रोहित शेट्टी के स्वामित्व वाले प्रोडक्शन हाउस भी इनमें शामिल हैं.
इसमें रिपब्लिक टीवी, उसके प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी और पत्रकार प्रदीप भंडारी, टाइम्स नाउ, उसके प्रधान संपादक राहुल शिवशंकर और समूह संपादक नविका कुमार और अज्ञात प्रतिवादियों के साथ-साथ सोशल मीडिया मंचों को बॉलीवुड के खिलाफ कथित तौर पर गैर जिम्मेदाराना और अपमानजनक टिप्पणियां करने या प्रकाशित करने से बचने संबंधी निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.
डीएसके कानूनी फर्म के जरिये दायर वाद में कहा गया है, ‘ये चैनल बॉलीवुड के लिए अत्यधिक अपमानजनक शब्दों जैसे ‘गंदा’ और ‘ड्रगी’ आदि का इस्तेमाल कर रहे हैं. ये चैनल ‘यह बॉलीवुड है जहां गंदगी को साफ करने की जरूरत है’, ‘अरब के सभी इत्र बॉलीवुड की बदबू को दूर नहीं कर सकते हैं’, ‘यह देश का सबसे गंदा उद्योग है’, ‘कोकीन और एलएसडी में डूबा हुआ बॉलीवड’ जैसे वाक्यों का इस्तेमाल कर रहे है.’
इस वाद पर इस सप्ताह के अंत में सुनवाई होने की संभावना है.
निर्माताओं का कहना है कि वे चाहते हैं कि प्रतिवादी (मीडियाकर्मी) केबल टेलीविजन नेटवर्क नियमों के तहत कार्यक्रम संहिता के प्रावधानों का पालन करें और फिल्म उद्योग के खिलाफ उनके द्वारा प्रकाशित सभी अपमानसूचक सामग्री को वापस लिया जाए.
उन्होंने दावा किया कि फिल्म उद्योग विभिन्न अन्य उद्योगों के रोजगार का एक बड़ा स्रोत है जो काफी हद तक इस पर निर्भर है.
उन्होंने कहा, ‘बॉलीवुड अद्वितीय है और किसी भी अन्य उद्योग से अलग पायदान पर खड़ा है, क्योंकि यह एक ऐसा उद्योग है जो पूरी तरह से सद्भावना, प्रशंसा और अपने दर्शकों की स्वीकृति पर निर्भर है.’
निर्माताओं ने अदालत को बताया कि पहले भी कई मौकों पर इनमें से कुछ प्रतिवादियों को दंडित किया गया है और फटकार लगाई गई है. उनके खिलाफ अदालतों और प्रशासन द्वारा गैर जिम्मेदाराना रिपोर्टिंग और मानहानिकारण सामग्री के लिए आदेश पारित किए गए हैं और उन्हें बिना सोचे-समझे और गलत समाचार प्रसारित करने का दोषी पाया गया है.
निर्माताओं ने स्पष्ट किया है कि वे सुशांत सिंह राजपूत की मौत की जांच या नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) की एफआईआर को लेकर मीडिया रिपोर्ट के खिलाफ पूरी तरह से रोक लगाने की मांग नहीं रहे हैं, लेकिन लागू कानूनों का उल्लंघन करने वाले सामग्री के प्रकाशन को लेकर आरोपियों के खिलाफ केवल स्थायी और अनिवार्य निषेधाज्ञा की मांग कर रहे हैं.
इस याचिका के खिलाफ टाइम्स नाउ की नविका कुमार और राहुल शिवशंकर ने ट्वीट कर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्ति की है.
नविका कुमार ने कहा है, अगर न्याय के लिए लड़ने से अदालत में मुकदमा दायर किया जाता है तो ऐसा करना जारी रखें.
राहुल शिवशंकर ने कहा, ताकतवर सोच रहे हैं कि वे टाइम्स नाउ के निर्भीक होने के संकल्प को कमजोर कर देंगे तो वे गलत हैं.
जिन्होंने वाद दायर किया है उनमें फिल्म और टेलीविजन निर्माता गिल्ड ऑफ इंडिया (पीजीआई), सिने एंड टीवी आर्टिस्ट्स एसोसिएशन (सीआईएनटीएए), इंडियन फिल्म एंड टीवी प्रोड्यूसर्स काउंसिल (आईएफटीपीसी), स्क्रीनराइटर एसोसिएशन (एसडब्ल्यूए), आमिर खान प्रोडक्शंस, ऐड-लैब्स फिल्म्स, अनिल कपूर फिल्म और कम्युनिकेशन नेटवर्क, अरबाज खान प्रोडक्शंस, आशुतोष गोवारिकर प्रोडक्शंस, बीएसके नेटवर्क और एंटरटेनमेंट, धर्मा प्रोडक्शंस, रॉय कपूर फिल्म्स, सलमान खान फिल्म्स, सोहेल खान प्रोडक्शंस, टाइगर बेबी डिजिटल, विनोद चोपड़ा फिल्म्स, विशाल भारद्वाज पिक्चर्स, यशराज फिल्म्स आदि शामिल हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)