कलकत्ता हाईकोर्ट ने इससे पहले अपने एक आदेश में राज्य में कोरोना वायरस के डर के चलते सभी दुर्गा पूजा पंडालों में आयोजकों या पूजा समिति के सदस्यों के अलावा सभी लोगों के ही प्रवेश को रोक दिया था.
कोलकाताः कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल में कोरोना वायरस के मामलों में बढ़ोतरी के बीच दुर्गा पूजा पंडालों में प्रवेश निषेध वाले आदेश में बुधवार को आंशिक ढील दी है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, हाईकोर्ट ने अपने 19 अक्टूबर के आदेश में ढील देते हुए 45 लोगों को पूजा पंडालों में प्रवेश देने की मंजूरी दी है.
अदालत का कहना है कि बड़ी पूजा समितियों को बड़े पूजा पंडालों के लिए प्रवेश द्वार से 10 मीटर की दूरी जबकि छोटे पंडालों को पांच मीटर की दूरी बनाए रखनी होगी.
अदालत का कहना है कि पूजा पंडालों में हर रोज 60 लोग प्रवेश कर सकते हैं और एक समय में सिर्फ 45 लोगों को ही पंडाल में प्रवेश मिलेगा.
इसके साथ ही ड्रमर्स (ढोल बजाने वाले) को भी पंडालों में प्रवेश की मंजूरी दी गई है लेकिन उन्हें सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करना होगा.
इसस पहले अदालत ने पूजा समितियों के 15 से 25 सदस्यों के प्रवेश को मंजूरी दी थी लेकिन अब बड़े पूजा पंडालों में इस सीमा को बढ़ाकर 45 कर दिया गया है.
अदालत का कहना है कि समिति को हर दिन पूजा पंडाल में प्रवेश करने वाले 60 लोगों की एक सूची पहले से तैयार करनी होगी. सूची में शामिल इन नामों को हर दिन बदला जा सकता है.
हाईकोर्ट का कहना है कि छोटे पूजा पंडालों में 15 लोग और पूजा समिति के 10 सदस्यों को प्रवेश की मंजूरी होगी. इस सूची को हर रोज बदला जाएगा और इसे रोजाना आठ बजे तक तैयार किया जाना है.
बता दें कि कलकत्ता हाईकोर्ट ने कोलकाता के प्रमुख पूजा आयोजकों द्वारा दायर समीक्षा याचिका के बाद अपने 19 अक्टूबर के फैसले में संशोधन किया है.
याचिका में अदालत के आदेश को लागू करने में व्यावहारिक समस्याओं का हवाला दिया गया था.
फोरम फॉर दुर्गोत्सव के महासचिव सास्वत बसु ने कहा, ‘इस आदेश के क्रियान्वयन को लेकर कुछ व्यावहारिक समस्याएं हैं, कोलकाता में लगभग 80 फीसदी पूजा गलियों में होती हैं, जो 18 से 24 फीट चौड़ी नहीं है. अगर वे बैरिकेड लगा देते हैं तो यात्रियों के गुजरने के लिए कोई जगह नहीं होगी और लोगों को बिना पूजा देखे वापस जाना होगा.’
बता दें कि इससे पहले 19 अक्टूबर को कलकत्ता हाईकोर्ट ने राज्य के सभी दुर्गा पूजा पंडालों में प्रवेश निषेध क्षेत्र घोषित कर दिया था.
जस्टिस संजीव बनर्जी और जस्टिस अरिजीत बनर्जी की पीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि किसी भी आगंतुक को पंडाल में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी.