टीआरपी मामला: एनबीए ने कहा- रिपब्लिक की पत्रकारिता का समर्थन नहीं करते, सीबीआई जांच वापस हो

बीते आठ अक्टूबर को मुंबई पुलिस ने टीआरपी से छेड़छाड़ करने वाले एक गिरोह का भंडाफोड़ करने का दावा किया था. मुंबई के पुलिस आयुक्त ने दावा किया था कि रिपब्लिक टीवी सहित कुछ चैनलों ने टीआरपी के साथ हेराफेरी की है. हालांकि रिपब्लिक टीवी ने इन आरोपों से इनकार किया है.

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(फोटो साभार: फेसबुक)

बीते आठ अक्टूबर को मुंबई पुलिस ने टीआरपी से छेड़छाड़ करने वाले एक गिरोह का भंडाफोड़ करने का दावा किया था. मुंबई के पुलिस आयुक्त ने दावा किया था कि रिपब्लिक टीवी सहित कुछ चैनलों ने टीआरपी के साथ हेराफेरी की है. हालांकि रिपब्लिक टीवी ने इन आरोपों से इनकार किया है.

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नई दिल्ली: न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए) ने बीते शनिवार को अपने एक आधिकारिक बयान में सरकार से ‘टेलीविजन रेटिंग पॉइंट्स’ (टीआरपी) में किए गए कथित फर्जीवाड़े की सीबीआई जांच फौरन वापस लेने का अनुरोध किया.

एनबीए ने कहा कि जिस गति से जांच को रातोंरात सीबीआई को हस्तांतरित कर दी गई, उससे इसके पीछे के इरादे पर संदेह पैदा होता है. एसोसिएशन ने एक बयान में कथित टीआरपी फर्जीवाड़ा को लेकर मीडिया के खिलाफ उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी पर गंभीर चिंता प्रकट की है.

एनबीए ने कहा, ‘जांच जिस गति से रातोंरात सीबीआई को हस्तांतरित कर दी गई, उससे इसके पीछे के इरादे पर संदेह पैदा होता है. एक ऐसे व्यक्ति ने अज्ञात लोगों के खिलाफ एक शिकायत दर्ज कराई , जिसका कोई अधिकार नहीं बनता है और उसका यह कदम मीडिया, इसे विज्ञापन देने वालों और विज्ञापन एजेंसियों को चुनिंदा तरीके से निशाना बना सकता है.’

रजत शर्मा की अध्यक्षता वाले एनबीए ने कहा, ‘हम सरकार से पूरी गंभीरता से यह मामला वापस लेने का अनुरोध करते हैं जो सीबीआई को भेजा गया है.’

एनबीए का यह बयान टीआरपी में कथित फर्जीवाड़े को लेकर उत्तर प्रदेश में सीबीआई द्वारा एक प्राथमिकी दर्ज किए जाने के कुछ दिन बाद आया है.

अधिकारियों के मुताबिक, यह मामला शुरुआत में एक विज्ञापन कंपनी के प्रवर्तक की शिकायत पर लखनऊ के एक पुलिस थाने में दर्ज किया गया था, जिसे उत्तर प्रदेश सरकार ने सीबीआई को सौंप दिया.

एनबीए ने एक बयान में यह भी कहा कि वे मुंबई में हुए घटनाक्रम से बहुत व्यथित हैं, क्योंकि रिपब्लिक टीवी और मुंबई पुलिस के बीच हुई तकरार, मीडिया और पुलिस की विश्वसनीयता एवं सम्मान को खतरा पैदा कर रही है.

एनबीए ने कहा, ‘रिपब्लिक टीवी जिस तरह की पत्रकारिता कर रहा है, उसकी हम मंजूरी नहीं देते हैं. हालांकि रिपब्लिक टीवी एनबीए का सदस्य नहीं है और हमारी संहिता को लेकर उत्तरदायी नहीं है, फिर भी हम उसके संपादकीय कर्मचारियों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी पर सख्त ऐतराज जताते हैं.’

एसोसिएशन ने कहा, ‘साथ ही हम पत्रकारिता में नैतिकता का समर्थन करते हैं और हम निष्पक्ष और संतुलित रिपोर्टिंग को खबर के केंद्र में रखते हैं.’

एनबीए ने कहा कि वे न्यूजरूम में बैठे पत्रकारों को निशाना बनाने की किसी भी कोशिश की निंदा करते है, लेकिन वहीं दूसरी ओर वह मीडिया द्वारा द्वेषपूर्ण रिपोर्टिंग किए जाने का भी समर्थन नहीं करता.

न्यूज चैनलों के संगठन ने कहा, ‘हम बेबुनियाद खबरों की रिपोर्टिंग की निंदा करते हैं.’ मुंबई पुलिस से यह अपील की जाती है कि वह सुनिश्चित करें कि पत्रकार इस ‘क्रॉसफायर’ की चपेट में नहीं आएं.

एनबीए ने कहा, ‘हम रिपब्लिक टीवी के साथ काम कर रहे पत्रकारों से लक्ष्मण रेखा न लांघने की अपील करते हैं, जैसा कि बॉम्बे उच्च न्यायालय ने भी स्पष्ट रूप से टिप्पणी की थी.’

मालूम हो कि बीते आठ अक्टूबर को मुंबई पुलिस ने टीआरपी से छेड़छाड़ करने वाले एक गिरोह का भंडाफोड़ करने का दावा किया था.

मुंबई के पुलिस आयुक्त ने दावा किया था कि रिपब्लिक टीवी सहित तीन चैनलों ने टीआरपी के साथ हेराफेरी की है. हालांकि रिपब्लिक टीवी ने इन आरोपों से इनकार किया है.

गौरतलब है कि टीआरपी से यह पता चलता है कि कौन-सा टीवी कार्यक्रम सबसे ज्यादा देखा गया. इससे दर्शकों की पसंद और किसी चैनल की लोकप्रियता का भी पता चलता है.

गोपनीय तरीके से कुछ घरों में टीवी चैनल के दर्शकों के आधार पर टीआरपी की गणना की जाती थी. देश में ब्रॉडकास्ट ऑडिएंस रिसर्च कॉउंसिल (बार्क) टीवी चैनलों के लिए साप्ताहिक रेटिंग जारी करता है.

बार्क टीवी के दर्शकों की संख्या बताने के लिए सटीक, विश्वसनीय और समयबद्ध प्रणाली के गठन और निगरानी का काम करता है और भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण के दिशानिर्देशों से बंधा होता है.

इस मामले के सामने आने के बाद बार्क ने बीते 15 अक्टूबर को समाचार चैनलों की रेटिंग को अस्थायी रूप से 12 सप्ताह के लिए निलंबित करने की घोषणा की है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)