दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता लगातार पांचवें दिन गंभीर श्रेणी में, जल्द राहत की संभावना नहीं

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के समीर ऐप के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के प्रमुख शहरों में बुलंदशहर सबसे ज्यादा प्रदूषित रहा, इसके बाद ग़ाज़ियाबाद में सर्वाधिक प्रदूषण पाया गया. पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के हवा गुणवत्ता निगरानी केंद्र ‘सफर’ ने बताया कि सतही हवा की गति शांत है और अगले दो दिन तक इसके ऐसे ही बने रहने की संभावना है.

New Delhi: People, wearing masks to get protection from air-pollution, walk along a road in New Delhi, Friday, Nov. 1, 2019. ( PTI Photo/Manvender Vashist) (PTI11_1_2019_000102B)

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के समीर ऐप के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के प्रमुख शहरों में बुलंदशहर सबसे ज्यादा प्रदूषित रहा, इसके बाद ग़ाज़ियाबाद में सर्वाधिक प्रदूषण पाया गया. पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के हवा गुणवत्ता निगरानी केंद्र ‘सफर’ ने बताया कि सतही हवा की गति शांत है और अगले दो दिन तक इसके ऐसे ही बने रहने की संभावना है.

(फोटो: पीटीआई)
(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली/नोएडा: हवा की गति धीमी रहने और पराली जलने के प्रभावों की वजह से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और एनसीआर में वायु गुणवत्ता लगातार पांचवें दिन भी ‘गंभीर’ श्रेणी में बनी हुई है.

शहर में सुबह नौ बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 469 दर्ज किया गया. रविवार को औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 416 दर्ज किया गया, शनिवार को 427, शुक्रवार को 406 और बृहस्पतिवार को 450 दर्ज किया गया था, जो कि पिछले साल 15 नवंबर से अब तक का सबसे ज्यादा है, जब यह 458 दर्ज किया गया था.

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के समीर ऐप के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के प्रमुख शहरों में बुलंदशहर सबसे ज्यादा प्रदूषित रहा जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 497 दर्ज किया गया.

दूसरे नंबर पर गाजियाबाद रहा जहां एक्यूआई 483 रहा. गौतमबुद्ध नगर में एक्यूआई 482, इंदिरापुरम में एक्यूआई 476, आगरा में एक्यूआई 451, हापुड़ में एक्यूआई 427, दिल्ली में एक्यूआई 464, फरीदाबाद में एक्यूआई 462, गुड़गांम में एक्यूआई 475, बहादुरगढ़ में एक्यूआई 443, भिवानी में एक्यूआई 479, मूरथल में एक्यूआई 414, और रोहतक में एक्यूआई 449 रहा.

अधिकारियों के अनुसार, गाड़ियों से निकलने वाला काला धुआं, निर्माण कार्यों से उड़ने वाले पीएम कण, सड़कों पर फैली धूल , उद्योगों से होने वाले उत्सर्जन और पड़ोसी राज्यों में जलाई जा रही पराली वायु प्रदूषण के कुछ मुख्य कारक हैं.

गौतम बुद्ध नगर के क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी प्रवीण कुमार ने बताया कि वायु प्रदूषण को रोकने के लिए उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने गौतमबुद्ध नगर में 15 कंपनियों को नोटिस जारी किए हैं, जो प्रदूषण विभाग की अनुमति लिए बगैर ही कार्य कर रही थीं.

 

उल्लेखनीय है कि 0 और 50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा’, 51 और 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 और 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 और 300 के बीच ‘खराब’, 301 और 400 के बीच ‘बेहद खराब’ और 401 से 500 के बीच ‘गंभीर’ श्रेणी में माना जाता है.

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर में पीएम-10 का स्तर सुबह नौ बजे 575 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर दर्ज किया गया, जो कि पिछले साल 15 नवंबर से अब तक का सबसे ज्यादा है.

भारत में 100 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से नीचे पीएम 10 का स्तर सुरक्षित माना जाता है.

भारत मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, हवा की गति सुबह तीन से चार किलोमीटर प्रति घंटा थी और न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया.

हवा की शांत गति और कम तापमान की वजह से प्रदूषक तत्व सतह के करीब रहते हैं और हवा की गति अनुकूल होने की वजह से इनका बिखराव होता है.

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के हवा गुणवत्ता निगरानी केंद्र ‘सफर’ ने बताया कि सतही हवा की गति शांत है और अगले दो दिन तक इसके ऐसे ही बने रहने की संभावना है.

दिल्ली के लिए वायु गुणवत्ता प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली ने बताया कि दिल्ली में ‘वायु गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार की संभावना नहीं है’ क्योंकि हवा की गति खास तौर पर रात में अनुकूल नहीं है और पराली जलाया जाना भी बढ़ते प्रदूषण का कारक है.

प्रणाली ने बताया, ‘पंजाब में पराली जलाए जाने की घटनाओं की संख्या अब भी ज्यादा है जिससे दिल्ली एनसीआर और उत्तर-पश्चिम भारत की वायु गुणवत्ता पर असर पड़ सकता है.’

नवभारत टाइम्स के मुताबिक पंजाब में पराली जलाने के मामलों ने पिछले तीन साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. पराली जलाने के मामले अब भी 3500 से ऊपर बने हुए हैं.

पराली का धुआं राजधानी में कहर बनकर आ रहा है. रविवार को राजधानी दिल्ली को पराली के धुएं ने 29 प्रतिशत तक प्रदूषित किया.

रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब में 7 नवंबर तक पराली जलाने के 58,448 मामले सामने आ चुके हैं. 6 नवंबर तक पराली के सबसे अधिक मामले संगरूर में 6876, फिरोजपुर में 5609, भटिंडा में 4451, पटियाला में 4344 और तरनतारन में 4238 मामले सामने आ चुके हैं.

जबकि हरियाणा के विभिन्न जिलों में पराली जलाने के मामले 6000 की संख्या को पार कर चुके हैं.

अधिकारियों के अनुसार, इस बार फसलों की कटाई जल्दी शुरू हो गई थी. वहीं महामारी के बीच मजदूर नहीं मिल रहे हैं. इसकी वजह से पराली जलाने के मामले बढ़े हैं.

बता दें कि उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्र को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि दिल्ली-एनसीआर में स्मॉग (धूलकणों के कारण छाने वाली धुंध) न हो.

वहीं, वायु प्रदूषण और कोविड-19 के बढ़ते मामलों के मद्देनजर दिल्ली सरकार ने दिवाली से पहले पटाखों पर प्रतिबंध लगा दिया है.

इस बीच एनजीटी ने दिल्ली-एनसीआर में नौ नवंबर से 30 नवंबर तक पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल पर पूरी तरह बैन लगाते हुए कहा है कि यह प्रतिबंध देश के हर उस शहर और क़स्बे में लागू होगा जहां नवंबर के महीने में पिछले साल के उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार वायु गुणवत्ता ख़राब या उससे निम्नतम श्रेणियों में दर्ज की गई थी.

इसके अलावा दिल्ली में वायु की गुणवत्ता के ‘गंभीर’ स्थिति में पहुंचने के मद्देनजर सीपीसीबी के कार्यबल ने सरकारी और निजी कार्यालयों तथा अन्य प्रतिष्ठानों को कम से कम 30 प्रतिशत गाड़ियों का इस्तेमाल घटाने का सुझाव दिया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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