मिज़ोरम से आए ब्रू प्रवासियों को त्रिपुरा में बसाने के विरोध में संयुक्त आंदोलन समिति उत्तरी त्रिपुरा ज़िले के पानीसागर में असम-अगरतला राष्ट्रीय राजमार्ग को बंद कर प्रदर्शन कर रही थी, जब पुलिस ने बल प्रयोग और फायरिंग की. पुलिस का कहना है कि उनकी तरफ से आत्मरक्षा में गोली चलाई गई थी.
अगरतलाः मिजोरम से त्रिपुरा आए ब्रू शरणार्थियों के पुनर्वास के लिए राज्य सरकार के फॉर्मूले के खिलाफ अनिश्चितकालीन हड़ताल कर रहे लोगों पर त्रिपुरा पुलिस के लाठीचार्ज और गोलीबारी में दो लोगों की मौत हो गई जबकि 19 घायल हो गए.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदर्शनकारी उत्तरी त्रिपुरा के पनीसागर में राष्ट्रीय राजमार्ग को अवरुद्ध कर रहे हैं.
पुलिस के मुताबिक, इस सुबह प्रदर्शनकारी हिंसक हो गए, जिस वजह से पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा और प्रदर्शन में शामिल 40 साल के श्रीकांत दास की गोली लगने से मौत हो गई.
इसके साथ ही इस प्रदर्शन के दौरान घायल हुए एक दमकलकर्मी की भी इलाज के दौरान मौत हो गई.
इसके बाद राज्य सरकार ने परिवार को पांच लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा करते हुए घटना की मजिस्टेरियल जांच के आदेश दिए हैं.
साल 1997 में मिजोरम से सटे हुए मामित, कोलासिब और लुंगलेई जिलों से आए 32,000 से अधिक ब्रू शरणार्थियों को त्रिपुरा, मिजोरम, केंद्र सरकार और ब्रू शरणार्थियों के बीच हुए समझौते के हिस्से के रूप में त्रिपुरा में विस्थापित किया जा रहा है.
इनके विस्थापन के 23 साल और प्रत्यावर्तन के नौ चरणों के बाद इन प्रवासियों को बस्तियों में बसाने के लिए केंद्र सरकार ने इस साल जनवरी महीने में 600 करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की थी.
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक राजीव सिंह ने कहा कि पुलिस ने आत्मरक्षा में गोली चलाई.
अधिकारी ने कहा, ‘भीड़ ने बिना मंजूरी राष्ट्रीय राजमार्ग को बाधित किया. हमने उन्हें रोकने की कोशिश की और उनके हिंसक होने के बाद हमने हल्का लाठीचार्ज किया और गोलीबारी की. भीड़ अनियंत्रित हो गई थी भीड़ ने हमसे हथियार छीनने की कोशिश की. पुलिस ने आत्मरक्षा में गोली चलाई.’
सिंह ने स्वीकार किया कि पुलिस की गोलीबारी में एक व्यक्ति की मौत हुई थी और कुछ लोग घायल हुए थे लेकिन प्रदर्शनकारियों के हमले में त्रिपुरा पुलिस के नौ पुलिसकर्मी और दमकल विभाग के कर्मी घायल हुए.
इनमें से अधिकतर को पानीसागर और धर्मनगर के अस्पतालों में भर्ती कराया गया है जबकि दो को इलाज के लिए अगरतला के जीबीपी अस्पताल ले जाया गया है, जहां एक दमकलकर्मी बिस्वजीत देबबर्मा ने दम तोड़ दिया.
खबरों के मुताबिक, घटना के फौरन बाद मुख्यमंत्री बिप्लव कुमार देब ने उपमुख्यमंत्री जिशु देबबर्मा, डीजीपी वीवाई यादव और एडिशनल डीजीपी राजीव सिंह के साथ अर्जेंट बैठक करते हुए मजिस्टेरियल जांच के आदेश दिए हैं.
त्रिपुरा के कानून मंत्री रतन लाल नाथ ने बताया, ‘उत्तरी त्रिपुरा जिले के नागेश कुमार बी द्वारा यह मजिस्ट्रेट जांच की जाएगी, जिसकी रिपोर्ट एक महीने के भीतर सौंपनी होगी.’
इस आंदोलन का आह्वान करने वाली संयुक्त आंदोलन समिति (जेएमसी) ने कहा कि प्रदर्शनकारी शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रहे थे लेकिन पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी की.
जेएमसी के सयोजक सुशांत बरुआ ने संवाददाताओं को बताया, ‘हमारे प्रदर्शनकारी शांतिपूर्ण थे. पुलिस ने बिना किसी उकसावे के गोलीबारी की थी. इस घटना में एक शख्स की मौके पर ही मौत हो गई थी और कई घायल हो गए थे. हमें अभी भी विस्तृत जानकारी नहीं है.’
उन्होंने कहा कि सामाजिक कल्याण मंत्री संतन चकमा और स्थानीय विधायक भगवान दास ने प्रदर्शनकारियों से मुलाकात कर उन्हें लिखित में आश्वासन दिया कि उनकी मांगें जल्द पूरी की जाएगी.
मिजो कन्वेंशन के प्रमुख और जेएमसी के नेता डॉ. जेड पाचुउ ने कहा कि स्वदेशी त्रिपुरा स्टेट राइफल्स (टीएसआर) के जवान ने बिना किसी उकसावे के प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी की, जिस पर प्रदर्शनकारियों ने जवाबी कार्रवाई की, जिससे कई प्रदर्शनकारी घायल हो गए.
पचुआ ने कहा कि पुलिस की गोलीबारी के बाद प्रदर्शनकारियों की जवाबी कार्रवाई के दौरान टीएसआर के एक जवान की मौत हो गई.
स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों ने पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा कि इस घटना के बाद त्रिपुरा पुलिस एंड त्रिपुरा स्टेट राइफल्स (टीएसआर) के जवानों की एक बड़ी टुकड़ी को इलाके में तैनात किया गया था और फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है.
जॉइंट मूवमेंट कमेटी द्वारा रखी गई मांगों के पक्ष में विपक्षी पार्टी सीपीआईएम के समर्थन के बाद यह घटना हुई, जिसे लेकर पार्टी ने कहा था कि प्रवासियों को खस या सरकारी जमीनों, आरक्षित वन जंगल पर विस्थापित किया जाना चाहिए और स्थायी निवासियों के हितों को बाधित किए बिना इनकी आजीविका सुनिश्चित की जानी चाहिए.
पार्टी ने इस संकट का सौहार्दपूर्ण तरीके से समाधान निकालने के लिए राज्य सरकार से प्रदर्शनकारियों के साथ संवाद शुरू करने का आग्रह किया.
हालांकि, सत्तारूढ़ भाजपा-आईपीएफटी सरकार ने ब्रू शरणार्थियों को त्रिपुरा में स्थायी तौर पर बसाने के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि लोग मंगलवार से ही कंचनपुर में धारा 144 को लागू करने का उल्लंघन कर रहे हैं और इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
बता दें कि इसी साल जनवरी में ब्रू समुदाय के शरणार्थियों के स्थायी पुनर्वास के लिए एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर हुआ था.
इसके तहत फैसला किया गया कि मिजोरम से विस्थापित हुए 30 हज़ार से अधिक ब्रू आदिवासी त्रिपुरा में ही स्थायी रूप से बसाए जाएंगे.