किसानों का प्रदर्शन पांचवें दिन भी जारी, कहा- मांगें पूरी होने तक होता रहेगा विरोध

किसान केंद्र के विवादित कृषि क़ानूनों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. सोमवार को किसानों की संख्या बढ़ने पर दिल्ली-ग़ाज़ियाबाद बॉर्डर पर पुलिस ने सुरक्षा मज़बूत कर दी है. किसानों ने राष्ट्रीय राजधानी को जाने वाले पांच मार्गों को जाम करने की चेतावनी दी है. उनका कहना है कि वे सशर्त बातचीत का कोई प्रस्ताव स्वीकार नहीं करेंगे. इधर, राजग की घटक आरएलपी ने कृषि क़ानूनों को वापस लेने की मांग की है.

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New Delhi: Police stand guard as Bharatiya Kisan Union (BKU) members protest at Ghazipur border during their Delhi Chalo march against the new farm laws, in New Delhi, Monday, Nov. 30, 2020. (PTI Photo/Ravi Choudhary)(PTI30-11-2020 000111B)

किसान केंद्र के विवादित कृषि क़ानूनों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. सोमवार को किसानों की संख्या बढ़ने पर दिल्ली-ग़ाज़ियाबाद बॉर्डर पर पुलिस ने सुरक्षा मज़बूत कर दी है. किसानों ने राष्ट्रीय राजधानी को जाने वाले पांच मार्गों को जाम करने की चेतावनी दी है. उनका कहना है कि वे सशर्त बातचीत का कोई प्रस्ताव स्वीकार नहीं करेंगे. इधर, राजग की घटक आरएलपी ने कृषि क़ानूनों को वापस लेने की मांग की है.

New Delhi: Police stand guard as Bharatiya Kisan Union (BKU) members protest at Ghazipur border during their Delhi Chalo march against the new farm laws, in New Delhi, Monday, Nov. 30, 2020. (PTI Photo/Ravi Choudhary)(PTI30-11-2020 000111B)
नई दिल्ली में गाजीपुर बॉर्डर पर सुरक्षा बलों के सामने डटे भारतीय किसान यूनियन के सदस्य. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान प्रदर्शनकारियों की संख्या बढ़ने के बीच उत्तर प्रदेश से लगते दिल्ली-गाजियाबाद बॉर्डर पर दिल्ली पुलिस ने सुरक्षा मजबूत कर दी है और कंक्रीट के अवरोधक लगा दिए हैं. वहीं, हजारों किसान सोमवार को दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर पांचवें दिन भी डटे रहे.

केंद्र के तीन नए कृषि कानून के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन पांचवें दिन सोमवार को भी जारी है. प्रदर्शनकारियों ने आज राष्ट्रीय राजधानी को जाने वाले पांच मार्गों को जाम करने की चेतावनी दी है. उनका कहना है कि वे सशर्त बातचीत का कोई प्रस्ताव स्वीकार नहीं करेंगे.

राष्ट्रीय राजधानी को दूसरे हिस्सों से जोड़ने वाले कई अन्य राजमार्गों को भी अवरुद्ध करने की किसानों की चेतावनी के बीच सुरक्षा बढ़ा दी गई है.

इस बीच केंद्र में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की घटक राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) ने केंद्र सरकार से हाल में लागू कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की है.

किसानों ने सोमवार को कहा कि वे ‘निर्णायक’ लड़ाई के लिए राष्ट्रीय राजधानी आए हैं और जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, तब तक उनका प्रदर्शन जारी रहेगा.

प्रदर्शनकारी किसानों के एक प्रतिनिधि ने सिंघू बॉर्डर पर संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वे चाहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके ‘मन की बात’ सुनें.

उन्होंने कहा, ‘हम अपनी मांगों से समझौता नहीं कर सकते.’

किसानों के प्रतिनिधि ने दावा किया कि यदि सत्तारूढ़ पार्टी उनकी चिंता पर विचार नहीं करती तो उसे भारी कीमत चुकानी होगी.

उन्होंने कहा, ‘हम यहां निर्णायक लड़ाई के लिए आए हैं.’

वहीं, एक अन्य किसान नेता गुरनाम सिंह चारुणी ने कहा कि आंदोलन को ‘दबाने’ के लिए अब तक प्रदर्शनकारियों के खिलाफ लगभग 31 मामले दर्ज किए गए हैं.

चारुणी ने कहा कि जब तक मांगें पूरी नहीं हो जातीं, किसानों का प्रदर्शन जारी रहेगा.

सिंघू और टिकरी बॉर्डर दोनों जगह शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन जारी है तथा पिछले दो दिन से किसी अप्रिय घटना की कोई खबर नहीं मिली है, लेकिन पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश से और किसानों के पहुंचने से गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शनकारियों की संख्या बढ़ गई है.

प्रदर्शनकारियों ने उत्तरी दिल्ली के बुराड़ी स्थित मैदान में जाने के बाद बातचीत शुरू करने के केंद्र के प्रस्ताव को अस्वीकार करते हुए कहा है कि वे कोई सशर्त बातचीत स्वीकार नहीं करेंगे. इसके बाद उन्होंने आगे की कार्रवाई के लिए एक बैठक बुलाई.

दूसरी ओर शनिवार को बुराड़ी के निरंकारी समागम मैदान पहुंचे किसानों का प्रदर्शन वहां जारी है.

दिल्ली-हरियाणा के सिंघू बॉर्डर पर भारतीय किसान यूनियन (दकौन्डा) के महासचिव जगमोहन सिंह ने एक सवाल के जवाब में कहा, हम सभी राज्यों के किसान संगठनों के साथ बैठक नहीं कर सकते. हम केवल पंजाब के 30 संगठनों के साथ ही ऐसा कर सकते थे. हमने मोदीजी के सशर्त निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया.’

कृषि सुधारों के मामले में भी जान-बूझकर भ्रम फैलाया जा रहा है: मोदी

इस बीच उत्तर प्रदेश वाराणसी में एक कार्यक्रम को संबोधित कहते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है, ‘अब विरोध का आधार फैसला नहीं, बल्कि भ्रम और आशंकाएं फैलाकर, उसको आधार बनाया जा रहा है. दुष्प्रचार किया जा रहा है कि भई फैसला तो ठीक है, लेकिन पता नहीं इससे आगे चलकर क्या-क्या होगा. फिर कहते हैं, ऐसा होगा.’

उन्होंने आगे कहा, ‘जो अभी हुआ ही नहीं है, जो कभी होगा ही नहीं, उसको लेकर समाज में भ्रम फैलाया जाता है. ऐतिहासिक कृषि सुधारों के मामले में भी जान-बूझकर यही खेल खेला जा रहा है.’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘किसानों को बड़े बाजार के लिए विकल्प देकर सशक्त बनाया जा रहा है. किसानों के हित में सुधार किए जा रहे हैं, जिससे उन्हें अधिक विकल्प मिलेंगे. क्या किसी किसान को अपनी उपज सीधे उन लोगों को बेचने की स्वतंत्रता नहीं मिलनी चाहिए जो उन्हें बेहतर मूल्य और सुविधाएं देते हैं.’

उन्होंने कहा कि किसानों के लाभ के लिए नए कृषि कानून लाए गए हैं. हम आने वाले दिनों में इन नए कानूनों का लाभ देखेंगे और अनुभव करेंगे. ये कानून किसानों को नए विकल्प देने के साथ ही उन्हें कानूनी सुरक्षा भी देंगे.

मोदी ने कहा, ‘स्वामीनाथन आयोग के अनुसार किसानों को 1.5 गुना अधिक एमएसपी देने का वादा पूरा किया गया. यह वादा न केवल कागज पर पूरा हुआ, बल्कि किसानों के बैंक खाते में पहुंच गया है.’

उन्होंने किसानों को आश्वस्त करते हुए कहा, ‘जिन किसान परिवारों की अब भी कुछ चिंता है, कुछ सवाल हैं तो उनका जवाब भी सरकार निरंतर दे रही है, समाधान करने का भरपूर प्रयास कर रही है. आज जिन किसानों को कृषि सुधारों को लेकर कुछ शंकाएं हैं, वो भी भविष्य में इन सुधारों का लाभ पाकर अपनी आय बढ़ाएंगे, यह मेरा पक्का विश्वास है.’

इधर, किसान प्रदर्शनकारियों की संख्या बढ़ने को लेकर दिल्ली-गाजियाबाद बॉर्डर पर सुरक्षा मजबूत करने संबंध में दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि यूपी गेट के पास गाजीपुर बॉर्डर पर स्थिति शांतिपूर्ण बनी हुई है. उन्होंने कहा, ‘प्रदर्शनकारी किसानों को राष्ट्रीय राजधानी में घुसने से रोकने के लिए सीमेंट के अवरोधक लगाए गए हैं.’

अधिकारी ने कहा, ‘प्रदर्शनकारी बुराड़ी मैदान नहीं जाना चाहते और अपना प्रदर्शन जंतर-मंतर पर करना चाहते हैं.’’

पुलिस ने हालांकि कहा कि दिल्ली-गाजियाबाद बॉर्डर को सील नहीं किया गया है.

पांच दिन से टिकरी बॉर्डर पर प्रदर्शन में शामिल सुखविंदर सिंह ने कहा कि किसान दिल्ली की सीमाओं पर अपना प्रदर्शन जारी रखेंगे, क्योंकि वे बुराड़ी मैदान नहीं जाना चाहते.

सिंह ने कहा, ‘कम से कम छह महीने तक रहने के लिए हमारे पास पर्याप्त राशन है. हम बुराड़ी नहीं जाना चाहते. यदि हम यहां से जाएंगे तो केवल जंतर मंतर जाएंगे. हम कहीं और जगह प्रदर्शन नहीं करेंगे.’

उन्होंने कहा कि वे केंद्र से बातचीत को तैयार हैं, लेकिन यदि बातचीत से कोई समाधान नहीं निकलता है तो वे दिल्ली की तरफ जा रहे सभी मार्गों को अवरुद्ध कर देंगे.

सिंह ने कहा, ‘हम यहां (टिकरी बॉर्डर) से तब तक नहीं जाएंगे जब तक कि हमारी मांगें पूरी नहीं हो जातीं. हम ठंड का सामना करने को तैयार हैं, हम आगे किसी भी चुनौती का सामना करने को तैयार हैं.’’

सिंघू बॉर्डर पर एक चिकित्सा शिविर भी लगाया गया है, जो दो डॉक्टरों द्वारा संचालित किया जा रहा है.

गुड़गांव से पहुंचीं डॉ. सारिका वर्मा ने कहा, ‘हम आज यहां आए हैं. हम अपने स्तर पर किसानों की मदद कर रहे हैं. हमारे पास रक्तचाप संबंधी दवाएं, पैरासिटामोल, क्रोसिन (दर्द निवारक) और अन्य दवाएं हैं.’

वर्मा ने कहा, ‘किसान कोविड-19 के बारे में अधिक जागरूक नहीं हैं. उनमें से अनेक ने मास्क नहीं पहन रखा है जिससे मानव जीवन को खतरा पैदा होता है. हम खासकर उन लोगों को मास्क बांट रहे हैं, जो बुजुर्ग हैं या जिनको खांसी है.’

दूसरे डॉक्टर करण जुनेजा ने कहा कि उन्होंने 300 किसानों को साधारण दवाएं बांटी हैं और प्रदर्शन स्थल पर कोविड-19 संबंधी जांच किए जाने की आवश्यकता है.

प्रदर्शन के कारण दिल्ली में यातायात प्रभावित हो रहा है.

दिल्ली यातायात पुलिस ने सोमवार सुबह लोगों को सिंघू और टिकरी बॉर्डर के बंद रहने की जानकारी देते हुए कहा कि वे अन्य मार्गों का इस्तेमाल करें.

इसने ट्वीट किया, ‘सिंघू बॉर्डर अब भी दोनों ओर से बंद है. कृपया दूसरे मार्ग से जाएं. मुकरबा चौक और जीटीके रोड पर यातायात परिवर्तित किया गया है. भयंकर जाम लगा है. कृपया सिग्नेचर ब्रिज से रोहिणी और रोहिणी से सिग्नेचर ब्रिज, जीटीके रोड, एनएच-44 और सिंघू बॉर्डर तक बाहरी रिंग रोड मार्ग पर जाने से बचें.’

इसने अन्य एक ट्वीट में कहा, ‘टिकरी बॉर्डर पर भी यातायात बंद है. हरियाणा के लिए सीमावर्ती झाड़ौदा, ढांसा, दौराला झटीकरा, बडूसरी, कापसहेड़ा, राजोकरी एनएच-8, बिजवासन/बजघेरा, पालम विहार और डूंडाहेड़ा बॉर्डर खुले हैं.’

इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने किसान संगठनों से बुराड़ी मैदान पहुंचने की अपील की थी और कहा था कि वहां पहुंचते ही केंद्रीय मंत्रियों का एक उच्चस्तरीय दल उनसे बातचीत करेगा.

कृषकों के 30 से अधिक संगठनों की रविवार को हुई बैठक में किसानों के बुराड़ी मैदान पहुंचने पर तीन दिसंबर की तय तारीख से पहले वार्ता की केंद्रीय गृह मंत्री की पेशकश पर बातचीत की गई, लेकिन हजारों प्रदर्शनकारियों ने इस प्रस्ताव को स्वीकार करने से इनकार कर दिया और सर्दी में एक और रात सिंघू तथा टिकरी बॉर्डरों पर डटे रहने की बात कही.

उनके प्रतिनिधियों ने कहा था कि उन्हें शाह की यह शर्त स्वीकार नहीं है कि वे प्रदर्शन स्थल बदल दें. उन्होंने दावा किया कि बुराड़ी मैदान एक ‘खुली जेल’ है.

केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने शनिवार को 32 किसान संगठनों को भेजे गए पत्र में ठंड के मौसम और कोविड-19 की परिस्थितियों का हवाला देते हुए कहा था कि किसानों को बुराड़ी मैदान जाना चाहिए, जहां उनके लिए पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं.

भल्ला ने पत्र में कहा था, ‘आपके बुराड़ी मैदान पहुंचते ही, अगले दिन केंद्रीय मंत्रियों का एक उच्चस्तरीय दल विज्ञान भवन में सभी किसान संघों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक करेगा, जिनसे पूर्व में भी बात हो चुकी है.’

केंद्र सरकार के विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन जारी है. इन कानूनों के विरोध में पंजाब और हरियाणा में दो दिनों के संघर्ष के बाद (26 और 27 नवंबर) किसानों को दिल्ली की सीमा में प्रवेश की मंजूरी मिल गई थी.

केंद्र सरकार की ओर से कृषि से संबंधित तीन विधेयक– किसान उपज व्‍यापार एवं वाणिज्‍य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020, किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) मूल्‍य आश्‍वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 और आवश्‍यक वस्‍तु (संशोधन) विधेयक, 2020 को बीते 27 सितंबर को राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी थी, जिसके विरोध में किसान प्रदर्शन कर रहे हैं.

किसानों को इस बात का भय है कि सरकार इन अध्यादेशों के जरिये न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) दिलाने की स्थापित व्यवस्था को खत्म कर रही है और यदि इसे लागू किया जाता है तो किसानों को व्यापारियों के रहम पर जीना पड़ेगा.

दूसरी ओर केंद्र में भाजपा की अगुवाई वाली मोदी सरकार ने बार-बार इससे इनकार किया है. सरकार इन अध्यादेशों को ‘ऐतिहासिक कृषि सुधार’ का नाम दे रही है. उसका कहना है कि वे कृषि उपजों की बिक्री के लिए एक वैकल्पिक व्यवस्था बना रहे हैं. 

राजग की घटक आरएलपी ने कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की

जयपुर: केंद्र में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की घटक राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) ने केंद्र सरकार से हाल में लागू कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की है.

पार्टी ने कहा है कि अगर इस मामले में त्वरित कार्रवाई नहीं की गई तो वह राजग का सहयोगी दल बने रहने पर पुनर्विचार करेगी.

आरएलपी के संयोजक व नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल ने सोमवार को इस बारे में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को संबोधित कर ट्वीट किया.

इसमें उन्होंने लिखा है, ‘अमित शाह जी, देश में चल रहे किसान आंदोलन की भावना को देखते हुए हाल ही में कृषि से संबंधित लाए गए तीन विधेयकों को तत्काल वापिस लिया जाए व स्वामीनाथन आयोग की सम्पूर्ण सिफारिशों को लागू करें व किसानों को दिल्ली में त्वरित वार्ता के लिए उनकी मंशा के अनुरूप उचित स्थान दिया जाए!’

बेनीवाल ने आगे लिखा, ‘चूंकि आरएलपी, राजग का घटक दल है परन्तु आरएलपी की ताकत किसान व जवान हैं, इसलिए अगर इस मामले में त्वरित कार्रवाई नहीं की गई तो मुझे किसान हित में राजग का सहयोगी दल बने रहने के विषय पर पुनर्विचार करना पड़ेगा.’

उल्लेखनीय है कि आएलपी व भाजपा ने गत लोकसभा चुनाव गठबंधन में लड़ा था, जिसके तहत भाजपा ने राज्य में 25 में से एक सीट आरएलपी को दी. इस नागौर सीट से बेनीवाल सांसद चुने गए. विधानसभा में आरएलपी के तीन विधायक हैं.

किसानों के साथ खड़ें हों कांग्रेस कार्यकर्ता और आम जनता: राहुल

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पार्टी कार्यकर्ताओं और आम लोगों से तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों के पक्ष में खड़े होने की अपील करते हुए सोमवार को कहा कि यह ‘सत्य एवं असत्य की लड़ाई’ है जिसमें सभी को अन्नदाताओं के साथ होना चाहिए.

New Delhi: Farmers shout slogans during their ongoing Delhi Chalo agitation against the new farm laws, at the Singhu border in New Delhi, Monday, Nov 30, 2020. (PTI Photo/ Shahbaz Khan) (PTI30-11-2020 000013B)
नई दिल्ली सिंघू बॉर्डर पर नारेबाजी करते प्रदर्शनकारी किसान. (फोटो: पीटीआई)

उन्होंने सवाल किया कि अगर ये कानून किसानों के हित में हैं तो फिर किसान सड़कों पर क्यों हैं?

कांग्रेस के ‘स्पीक अप फॉर फार्मर्स’ नामक सोशल मीडिया अभियान के तहत एक वीडियो जारी राहुल गांधी ने कहा, ‘देश का किसान काले कृषि क़ानूनों के खिलाफ ठंड में अपना घर-खेत छोड़कर दिल्ली तक आ पहुंचा है. सत्य और असत्य की लड़ाई में आप किसके साथ खड़े हैं- अन्नदाता किसान या प्रधानमंत्री के पूंजीपति मित्र?’

उन्होंने कहा, ‘देशभक्ति देश की शक्ति की रक्षा होती है. देश की शक्ति किसान है. सवाल यह है कि आज किसान सड़कों पर क्यों है? वह सैकड़ों किलोमीटर चलकर दिल्ली की तरफ क्यों आ रहा है? नरेंद्र मोदी जी कहते हैं कि तीन कानून किसान के हित में है. अगर ये कानून किसान के हित में है तो किसान इनका गुस्सा क्यों है, वह खुश क्यों नहीं है?’

कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया, ‘ये कानून मोदी जी के दो-तीन मित्रों के लिए है, किसान से चोरी करने के कानून हैं.’

राहुल गांधी ने कहा, ‘हमें किसान की शक्ति के साथ खड़ा होना पड़ेगा. ये किसान जहां भी हैं उनके साथ कांग्रेस कार्यकर्ताओं और आम जनता को खड़ा होना चाहिए. इनको भोजन देना चाहिए. इनकी मदद करनी चाहिए.’

शीतलहर में किसानों पर पानी की बौछारें करना क्रूरता: शिवसेना

मुंबई: शिवसेना ने सोमवार को आंदोलनरत किसानों से निपटने के भाजपा नीत सरकार के तौर-तरीकों पर तीखा हमला करते हुए कहा कि शीतलहर के बीच उन पर पानी की बौछारें करना क्रूरता है.

शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में कहा, ‘दिल्ली की सीमाओं पर हमारे किसानों के साथ आतंकवादियों जैसा बर्ताव किया जा रहा है और उन पर हमला किया जा रहा है जबकि आतंकवादी हमारे जवानों को कश्मीर में सीमाओं पर मार रहे हैं.’

शिवसेना ने किसान आंदोलन के खालिस्तान से जुड़े होने का दावा करने पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की निंदा की.

उसने कहा, ‘भाजपा अराजकता पैदा करना चाहती है. खालिस्तान एक बंद हो चुका अध्याय है, जिसके लिए इंदिरा गांधी और जनरल अरुण कुमार वैद्य ने अपने प्राण न्यौछावर किए.’

उसने कहा, ‘सरकार राजनीतिक विरोधियों को कुचलने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा रही है, लेकिन देश के दुश्मनों से निपटने के लिए उसकी यह दृढ़ता क्यों नहीं दिखती.’

गुजरात में ‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह द्वारा निर्मित’ सरदार पटेल की विशाल प्रतिमा का जिक्र करते हुए ‘सामना’ ने अपने सम्पादकीय में कहा कि पटेल किसानों के नेता थे और उन्होंने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ कई किसान आंदोलनों का नेतृत्व किया था.’

उसने कहा, ‘किसानों के साथ हो रहे बर्ताव को देख उनकी प्रतिमा की आंखे जरूर नम हो गई होंगी.’

शिवसेना ने कहा कि केंद्र प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) जैसी एजेंसियों का इस्तेमाल अपने राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ एक हथियार के रूप में कर रही है.

उसने कहा, ‘एजेंसी को अपनी वीरता दिखाने का मौका भी मिलना चाहिए.’

उसने ईडी और सीबीआई के कर्मचारियों को अपने दुश्मनों के खिलाफ लड़ाई में सेना की मदद के लिए लद्दाख और कश्मीर में तैनात किए जाने का सुझाव भी दिया.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)