ईरानी पत्रकार रूहुल्ला ज़म पर साल 2017-2018 की सर्दियों के दौरान ईरान में आर्थिक कठिनाइयों के दौर में सरकार विरोधी प्रदर्शनों में सक्रिय भूमिका निभाने का आरोप था. वह पेरिस में रह रहे थे. कुछ मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उन्हें लालच देकर ईरान बुलाया गया था और अक्टूबर 2019 में गिरफ़्तार कर लिया गया था.
तेहरान: ईरान ने 2017 में देश में हुए प्रदर्शनों को हवा देने के आरोप में एक पत्रकार को फांसी दे दी है. आरोप है कि ईरानी पत्रकार रूहुल्ला ज़म के ऑनलाइन कार्य से 2017 में आर्थिक स्थिति को लेकर सरकार के विरोध में हुए प्रदर्शनों को हवा देने में मदद मिली थी.
ईरान के सरकारी टीवी और सरकारी समाचार एजेंसी इरना ने कहा कि ज़म को शनिवार सुबह फांसी दी गई.
जून में एक अदालत ने ज़म को मौत की सज़ा सुनाई थी. अदालत ने पत्रकार के खिलाफ एक साथ 13 आरोपों को ‘करप्शन ऑन अर्थ’ का उदाहरण मानते हुए मौत की सजा सुनाई थी. इस आरोप का इस्तेमाल अक्सर जासूसी मामलों या ईरानी सरकार का तख्ता पलटने की कोशिश के मामलों में किया जाता है.
ज़म की वेबसाइट और संदेश भेजने वाले ऐप ‘टेलीग्राम’ पर बनाए गए एक चैनल ने प्रदर्शनों के समय के बारे में जानकारी का प्रसार किया और अधिकारियों के बारे में भी जानकारी दी जिससे ईरान के शिया धर्मतंत्र को सीधी चुनौती मिली.
प्रदर्शन 2017 के अंत में शुरू हुए थे जो 2009 के ‘ग्रीन मूवमेंट’ प्रदर्शन के बाद ईरान में सबसे बड़े प्रदर्शन थे.
रूहुल्ला टेलीग्राम मैसेजिंग ऐप पर ‘आमदन्यूज’ नाम का चैनल संचालित किया करते थे, जिस पर ईरानी अधिकारियों के बारे में ऐसी जानकारी और वीडियो पोस्ट किए जाते थे, जो शर्मसार करने वाले होते थे.
ज़म पेरिस में रह रहे थे और वहीं काम कर रहे थे. बताया जाता है कि उन्हें ईरान लौटने के लिए मनाया गया, उनके ईरान लौटने पर उन्हें अक्टूबर 2019 में गिरफ्तार कर लिया गया.
ज़म पर साल 2017-2018 की सर्दियों के दौरान ईरान में आर्थिक कठिनाइयों के दौर में सरकार विरोधी प्रदर्शनों में सक्रिय भूमिका निभाने का आरोप अधिकारियों ने लगाया था.
अल जज़ीरा की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2017 में खाने की कीमतों में उछाल के बाद प्रदर्शन शुरू हुए थे.
कई लोगों का मानना है कि ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी के कट्टर विरोधियों ने पूर्वी शहर मशहद में पहले प्रदर्शनों को उकसाया, ताकि राष्ट्रपति के खिलाफ सीधे जनता का गुस्सा भड़क उठे. हालांकि जैसे जैसे प्रदर्शन एक शहर से दूसरे शहर फैलता गया, यह ईरान के पूरे शासक वर्ग के खिलाफ हो गया.
साल 2017 में हुए इन प्रदर्शनों के संबंध में पांच हजार लोगों को हिरासत में लिया गया था और तकरीबन 25 लोगों की मौत हो गई थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)