बिलासपुर में ग़ैर सरकारी संगठन शिव मंगल शिक्षण समिति द्वारा संचालित उज्जवला गृह की तीन महिलाओं ने यहां के कर्मचारियों पर शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं. मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज किए गए बयान में एक ने प्रबंधक जितेंद्र मौर्य द्वारा बलात्कार की बात कही है.
रायपुर: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में महिलाओं के एक आश्रय गृह के प्रबंधक को वहां की एक महिला से दुष्कर्म करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया.
बिलासपुर के पुलिस अधीक्षक प्रशांत अग्रवाल ने बताया कि तीन महिलाओं के बयान को एक मजिस्ट्रेट के समाने दर्ज करवाया गया. इनमें से एक महिला ने आश्रय स्थल के प्रबंधक जितेंद्र मौर्य पर दुष्कर्म का आरोप लगाया.
अग्रवाल ने कहा, ‘तीनों महिलाओं के बयान गुरुवार को सीआरपीसी की धारा 164 के तहत एक मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज किए गए, जिसमें से एक ने कहा कि उनका आश्रय गृह प्रबंधक जितेंद्र मौर्य ने बलात्कार किया था.’
#UPDATE Bilaspur Ujjwala home alleged sexual harassment and violence case: Jitendra Maurya (President of Shiv Mangal Shikshan Samiti), who runs Ujjwala home, arrested under IPC section 376 (punishment for rape). https://t.co/yPKeNYT78H
— ANI (@ANI) January 21, 2021
उन्होंने बताया कि एक अन्य महिला ने आरोप लगाया कि आश्रय गृह के कर्मचारियों ने उसे शारीरिक प्रताड़ना दी.
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि बयानों के आधार पर मौर्य को गिरफ्तार कर लिया गया और इस मामले में आगे जांच की जा रही है.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, उज्जवला आश्रय गृह की तीन महिलाओं द्वारा कर्मचारियों पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाकर वहां से भागने और पुलिस से संपर्क करने के चार दिन बाद गुरुवार शाम को पुलिस ने एनजीओ शिव मंगल शिक्षण समिति के अध्यक्ष जितेंद्र मौर्य को गिरफ्तार किया.
पुलिस ने बताया कि 17 जनवरी को दर्ज एफआईआर में उसका नाम जोड़ा गया है. उसके खिलाफ बलात्कार, हमले और आपराधिक साजिश से संबंधित आरोप जोड़े गए हैं.
गुरुवार को जिला अदालत के एक सिविल जज के सामने बयान दर्ज होने के बाद पुलिस ने पीड़ित महिलाओं को मेडिकल परीक्षण के लिए भेजा.
सिविल जज द्वारा बयान दर्ज किए जाने के बाद पुलिस महिलाओं को सरकंडा पुलिस स्टेशन ले गई, जहां 17 जनवरी को प्राथमिकी दर्ज की गई थी.
एक पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘महिलाओं ने पहले यौन शोषण के बारे में कुछ नहीं कहा था. वे नहीं लिख सकती थीं इसलिए मैंने उनके बयान दर्ज किए थे. अब उनके बयानों के आधार पर हम एफआईआर में अन्य धाराएं जोड़ रहे हैं.’
हालांकि इससे पहले पीड़ितों ने यह आरोप लगाया था कि महिलाओं और उनके परिवारों ने जब पुलिस में इसकी शिकायत की तो पुलिस अधिकारियों द्वारा कथित तौर पर उन्हें धमकी दी गई और उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया.
एक पीड़ित महिला ने कहा, ‘हम उस थाने में वापस जाने से डरते हैं. हमें पिछली बार चुप रहने की धमकी दी गई थी.’
राज्य महिला एवं बाल विकास सचिव शहला निगार ने कहा, ‘प्रारंभिक सूचना के बाद निर्देशक और उनकी टीम ने 17 जनवरी की घटना के बारे में तीन महिलाओं से बात की थी. आज मेरे कार्यालय को एक विस्तृत रिपोर्ट दी है. प्रथम दृष्टया, ऐसा लगता है कि समिति के खिलाफ गंभीर आरोप हैं. हम केंद्र को बंद करने पर विचार कर रहे हैं और केंद्र सरकार को हमारे निष्कर्ष भेजेंगे, जिन्होंने आश्रय गृह को अनुदान प्रदान किया था.’
राज्य महिला और बाल विकास विभाग के अधिकारियों ने बताया कि यहां रहने वाली अन्य महिलाओं को उनके घरों में या अन्य सरकारी आश्रय स्थलों में भेज दिया गया है.
साल 2012 में आश्रय गृह में काम करने वाली एक महिला ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘जितेंद्र मौर्य महिलाओं को अनुचित तरीके से छूता था और उनके निजी अंगों पर टिप्पणी करता था. उसने मुझे भी परेशान करने की कोशिश की थी.’
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक साल 2014 से गैर सरकारी संगठन, शिव मंगल शिक्षण समिति द्वारा संचालित बिलासपुर स्थित उज्ज्वला होम, 17 जनवरी को तब सुर्खियों में आया, जब एक 20 वर्षीय महिला को आश्रय गृह से कथित तौर पर उसके पति के साथ घर जाने की अनुमति नहीं दी गई.
उसके बाद महिला के पति, पिता और उसके रिश्तेदारों ने आश्रय गृह में घुसकर अपनी पत्नी को छुड़ाकर सरकंडा पुलिस स्टेशन ले गए. जहां उन्होंने इसके कर्मचारियों पर कैद करने और शारीरिक उत्पीड़न का आरोप लगाया.
वहीं, आश्रय गृह प्रबंधक जितेंद्र मौर्य ने भी महिला के परिवार के खिलाफ आश्रय गृह में तोडफोड़ और अश्लील हरकत के आरोप में मामला दर्ज कराया था.
उसके बाद दो अन्य महिलाएं भी आश्रय गृह के कर्मचारियों पर शारीरिक और मानसिक शोषण का आरोप लगाते हुए पुलिस स्टेशन पहुंची और शिकायत दर्ज कराया.
जिस महिला ने जितेंद्र मौर्य पर बलात्कार का आरोप लगाया है, वह एक अन्य सामूहिक बलात्कार मामले में पीड़ित हैं.
मौर्य ने इन आरोपों से इनकार किया था. उन्होंने कहा था, ‘महिला एवं बाल विकास विभाग ने जांच के लिए टीम बनाई है. ये महिलाएं झूठ बोल रही हैं और उनके पास उनके द्वारा कही गई किसी भी बात का कोई सबूत नहीं है. हम पुलिस द्वारा लाई गईं महिलाओं को अपने साथ रखते हैं.’
एनजीओ शिव मंगल शिक्षण समिति की वेबसाइट के अनुसार, 100 से अधिक महिलाएं उज्जवल्ला गृह में रह रहीं हैं. समिति ने 2017 में आश्रय गृह पर 28 लाख रुपये, 2018 में 27 लाख रुपये और 2019 में 20 लाख रुपये खर्च किए.
ऑडिट रिपोर्टों के अनुसार, केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्रालय से अनुदान के अलावा, समिति को दान में 4 लाख रुपये से अधिक और कोविड-19 सहायता राशि के रूप में 74,000 रुपये मिले.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)