लद्दाख में चीन के साथ पिछले साल मई महीने में से जारी गतिरोध के दौरान जून में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के दौरान 20 भारतीय जवानों के साथ संतोष बाबू शहीद हो गए थे. उनके पिता ने कहा है कि ऐसा नहीं है कि वे दुखी हैं, लेकिन उन्हें बेहतर तरीके से सम्मानित करने की गुंजाइश है. गणतंत्र दिवस पर संतोष बाबू को महावीर चक्र से सम्मानित किया गया है.
नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीन के हमले के दौरान शहीद हुए कर्नल संतोष बाबू के पिता ने कहा कि वह जून 2020 में बहादुरी का प्रदर्शन करने के लिए उन्हें मरणोपरांत महावीर चक्र प्रदान करने से 100 फीसदी संतुष्ट नहीं हैं, उन्हें परमवीर चक्र से नवाजा जाना चाहिए था.
संतोष बाबू के पिता बी. उपेंद्र ने कहा, ‘ऐसा नहीं है कि मैं दुखी हूं. लेकिन मैं (महावीर चक्र पुरस्कार से) 100 प्रतिशत संतुष्ट नहीं हूं. उन्हें बेहतर तरीके से सम्मानित करने की गुंजाइश है.’
उन्होंने कहा, ‘मेरी राय है कि संतोष बाबू को अपने कर्तव्यों का निर्वहन के दौरान दिखाई गई वीरता के लिए सर्वोच्च सैन्य पुरस्कार परमवीर चक्र के लिए नामित किया जाना चाहिए था.’
उन्होंने कहा कि उनके बेटे की वीरता ने कई लोगों को प्रेरित किया है, जिनमें रक्षा बलों में काम करने वाले कर्मी भी शामिल हैं.
He (Colonel Santosh Babu) and his team fought bravely and made a selfless sacrifice. Family members and regiment are proud of them: Santoshi, wife of Colonel Santosh Babu who has been awarded Mahavir Chakra posthumously. #RepublicDay https://t.co/R4vQajyxqr pic.twitter.com/T44tWWkht7
— ANI (@ANI) January 26, 2021
कर्नल संतोष बाबू 16 बिहार रेजीमेंट के कमांडिंग अधिकारी थे और उन 20 भारतीय सैनिकों में शामिल थे जिन्होंने पिछले साल 15 जून को गलवान घाटी में चीन के साथ झड़प में अपने प्राण न्यौछावर किए थे.
26 जनवरी को उन्हें महावीर चक्र से सम्मानित किया गया है.
पिता बी. उपेंद्र ने कहा, ‘मेरा बेटा और उनके लोग निहत्थे लड़े थे. उन्होंने दुश्मन के अधिक सैनिकों को मारकर साबित किया कि भारत चीन से बेहतर और मजबूत है.’
उनके मुताबिक, कर्नल बाबू के परिवार को विभागीय लाभ के अलावा कुछ नहीं मिला, जो शहीद सैनिक के परिवार को केंद्र से आमतौर पर मिलता है.
तेलंगाना सरकार ने संतोष बाबू के परिवार को पांच करोड़ रुपये की अनुग्रह राशि के अलावा उनकी पत्नी को ग्रुप-1 का पद और आवासीय प्लॉट दिया है.
बता दें कि भारतीय सैनिकों द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सामान्य गश्त के बिंदु से परे चीनी घुसपैठ का पता लगाए जाने के बाद पूर्वी लद्दाख में पिछले साल मई की शुरुआत से ही भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच कई झड़पें हुई थीं.
दोनों देशों के बीच चल रही तनातनी के दौरान पहला संघर्ष गलवान घाटी में 5-6 मई, 2020 की रात हुआ था. इसके बाद ‘फिंगर्स 4’ के पास 10-11 मई, 2020 को पूर्वी लद्दाख के पेंगोंग झील के उत्तरी किनारे पर संघर्ष हुआ था.
चीन ने ‘फिंगर 4 तक एक पक्की सड़क और रक्षात्मक पोस्टों का निर्माण किया था. भारतीय सैनिक पहले नियमित तौर पर ‘फिंगर 8’ तक गश्त करते थे, लेकिन चीन द्वारा किए गए अतिक्रमण के बाद भारतीय सैनिकों की गश्ती ‘फिंगर 4’ तक सीमित हो गई.
भारत दावा करता है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा ‘फिंगर 8’ से होकर गुजरती है, जबकि चीन की दावा है कि यह ‘फिंगर 2’ पर स्थित है.
इसे लेकर सबसे गंभीर झड़प 15 जून 2020 को पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में हुई थी. इस हिंसक लड़ाई में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे. इनमें से एक संतोष बाबू भी थे. चीन ने अपनी तरफ भी हताहतों की संख्या को स्वीकार की है, लेकिन किसी भी संख्या का खुलासा नहीं किया था.
गलवान घाटी में हिंसक झड़प के ढाई महीने बाद 29 अगस्त 2020 की रात पेंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर स्थित ठाकुंग में एक बार फिर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच गतिरोध देखने को मिला था.
भारतीय सेना ने बयान जारी कर कहा था कि चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने 29-30 अगस्त की रात को यथास्थिति को बदलने के लिए उकसाने वाली सैन्य कार्रवाई को अंजाम दिया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)