किसान आंदोलन के मद्देनज़र हरियाणा सरकार ने तीन फरवरी शाम 5 बजे तक जींद सहित सात ज़िलों में इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध बढ़ा दिया है. प्रदर्शनकारी किसानों ने कहा कि अगर सरकार ने जल्द इंटरनेट सेवाएं बहाल नहीं कीं, तो आगे की रणनीति बनाकर आंदोलन को और तेज़ किया जाएगा.
जींद: किसान आंदोलन स्थलों के निकट क्षेत्रों में इंटरनेट पर प्रतिबंध के विरोध में गांव खटकड़ टोल प्लाजा के जींद-पटियाला राष्ट्रीय राजमार्ग पर तथा गांव बद्दोवाला टोल प्लाजा के हिसार-चंडीगढ़ मार्ग पर किसानों ने जाम लगा दिया.
दोनों स्थानों पर राष्ट्रीय राजमार्ग जाम किए जाने के चलते वाहनों को दूसरे रास्तों पर मोड़ दिया गया. जिले के खटकड़ तथा बद्दोवाला टोल प्लाजा पर तीन कृषि कानून को रद्द करने की मांग को लेकर पिछले 37 दिनों से किसानों का धरना चल रहा है.
धरनारत किसानों का कहना था कि इंटरनेट सेवाओं को बाधित कर सरकार सूचनाओं के आदान-प्रदान को रोक रही है और आपातकाल जैसी स्थिति पैदा कर रही है. जाम लगाकर सरकार को सांकेतिक रूप से विरोध जताया गया है.
उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने जल्द इंटरनेट सेवाएं बहाल नहीं की तो आगे की रणनीति बनाकर आंदोलन को और तेज कर दिया जाएगा.
नवभारत टाइम्स के मुताबिक, किसान आंदोलन के मद्देनजर हरियाणा सरकार ने मोबाइल इंटरनेट सेवा पर रोक को राज्य के सात जिलों में तीन फरवरी शाम पांच बजे तक फिर से बढ़ा दिया है. इससे पहले यह रोक दो फरवरी तक ही थी.
हरियाणा के जिन जिलों में यह रोक लगाई गई है, उनमें कैथल, पानीपत, जींद, रोहतक, चरखी दादरी, सोनीपत और झज्जर शामिल है.
सरकार की ओर से जारी बयान के मुताबिक हरियाणा सरकार ने तीन फरवरी को शाम पांच बजे तक सात जिलों में कॉल सुविधा छोड़कर मोबाइल इंटरनेट सेवा (2जी, 3 जी,4जी, सीडीएमए, जीपीआरएस), एसएमएस सेवा (एक साथ कई संदेश) और सभी डोंगल सेवाओं पर रोक लगा दी है.
बयान में कहा गया कि हरियाणा के इन जिलों में शांति और लोक व्यवस्था में गड़बड़ी रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है और यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा.
वहीं, अंबाला, भिवानी, सिरसा, फतेहाबाद, कुरुक्षेत्र, करनाल और हिसार में मोबाइल इंटरनेट सेवा पर रोक को एक फरवरी शाम पांच बजे ही हटा लिया गया था.
इस बीच किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने बद्दोवाला टोल प्लाजा पर किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि किसान आंदोलन के समर्थन में छह फरवरी को राष्ट्रीय स्तर पर चक्का जाम का ऐलान सयुंक्त किसान मोर्चा द्वारा किया गया है.
उन्होंने किसानों से आह्वान किया छह फरवरी को प्रस्तावित इस चक्का को सफल बनाने के लिए शांति बना कर रखें और जरूरतमंद व्यक्ति व वाहन को रास्ता दें.
दूसरी ओर इनेलो के प्रधान महासचिव तथा पूर्व विधायक अभय सिंह चौटाला ने कहा कि प्रदेश में चल रहे किसान आंदोलन में निश्चित तौर पर केंद्र सरकार को अपनी गलती का एहसास करना पड़ेगा, काले कानून वापस लेने होंगे और इसमें किसान की जीत अवश्य होगी.
गौरतलब है कि केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए कृषि से संबंधित तीन विधेयकों– किसान उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020, किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020- के विरोध में पिछले दो महीने से किसान दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं.
इसे लेकर सरकार और किसानों के बीच 11 दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकल पाया है. किसान तीनों नए कृषि कानूनों को पूरी तरह वापस लिए जाने तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी दिए जाने की अपनी मांग पर पहले की तरह डटे हुए हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)