टीआरपी मामला: अदालत ने बार्क के पूर्व सीईओ पार्थो दासगुप्ता को ज़मानत दी

2013 से 2019 तक ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (बार्क) के सीईओ रहे पार्थो दासगुप्ता को बीते साल दिसंबर में गिरफ़्तार किया गया था. दासगुप्ता पर पद का दुरुपयोग करने और रिपब्लिक टीवी चलाने वाली कंपनी एआरजी आउटलायर मीडिया एवं इसके प्रधान संपादक अर्णब गोस्वामी से साठगांठ कर टीआरपी में छेड़छाड़ करने का आरोप है.

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बार्क के पूर्व सीईओ पार्थो दासगुप्ता. (फोटो साभार: फेसबुक)

2013 से 2019 तक ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (बार्क) के सीईओ रहे पार्थो दासगुप्ता को बीते साल दिसंबर में गिरफ़्तार किया गया था. दासगुप्ता पर पद का दुरुपयोग करने और रिपब्लिक टीवी चलाने वाली कंपनी एआरजी आउटलायर मीडिया एवं इसके प्रधान संपादक अर्णब गोस्वामी से साठगांठ कर टीआरपी में छेड़छाड़ करने का आरोप है.

बार्क के पूर्व सीईओ पार्थो दासगुप्ता. (फोटो साभार: फेसबुक)
बार्क के पूर्व सीईओ पार्थो दासगुप्ता. (फोटो साभार: फेसबुक)

मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने टेलीविजन रेटिंग पॉइंट (टीआरपी) घोटाला मामले में आरोपी एवं ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (बार्क) के पूर्व सीईओ पार्थो दासगुप्ता की जमानत मंगलवार को स्वीकार कर ली.

जस्टिस पीडी नाइक ने दो लाख रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि देने में सक्षम दो जमानती पर दासगुप्ता (55) की जमानत मंजूर कर ली.

अदालत ने कहा, ‘जमानत याचिका मंजूरी दी जाती है. याचिकाकर्ता (दासगुप्ता) को दो लाख रुपये का निजी मुचलका जमा कराने और इतनी ही राशि देने में सक्षम जमानती मुहैया कराने के बाद जमानत पर रिहा किया जाएगा.’’

अदालत ने दासगुप्ता को छह सप्ताह के लिए समान राशि की अस्थायी नकद जमानत राशि जमा कराने की अनुमति दे दी, तब तक उन्हें दो सक्षम जमानती मुहैया कराने होंगे.

दासगुप्ता के वकील आबाद पोंडा ने अदालत से कहा कि जमानती तैयार करने और उनके दस्तावेज जमा कराने की प्रक्रिया में समय लगेगा, जिसके बाद अदालत ने यह अनुमति दी.

अदालत ने दासगुप्ता को संबंधित पुलिस थाने में अपना पासपोर्ट जमा कराने का आदेश दिया और निर्देश दिया कि वह अदालत की अनुमति के बिना भारत से बाहर नहीं जाएंगे.

उसने कहा, ‘याचिकाकर्ता छह महीने तक हर महीने के पहले शनिवार को संबंधित पुलिस थाने में पेश होगा. इसके बाद वह तीन महीने में एक बार थाने जाएगा.’

अदालत ने दासगुप्ता को आदेश दिया कि जब कभी आवश्यकता पड़ेगी, वह सुनवाई में शामिल होंगे और मामले के सबूतों से कोई छेड़छाड़ करने एवं गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश नहीं करेंगे.

दासगुप्ता ने इस साल जनवरी में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. इससे पहले सत्र अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी.

सत्र अदालत ने कहा था कि ऐसा लगता है कि दासगुप्ता ने घोटाले में अहम भूमिका निभाई और वह कथित रूप से ‘मुख्य षड्यंत्रकर्ता’ हैं.

दासगुप्ता को पिछले साल 24 दिसंबर को गिरफ्तार किया गया था और वह तब से जेल में हैं.

दासगुप्ता पर अपने पद का दुरुपयोग करने और रिपब्लिक टीवी चलाने वाली कंपनी एआरजी आउटलायर मीडिया एवं इस टीवी के प्रधान संपादक अर्णब गोस्वामी से साठगांठ करके टीआरपी में छेड़छाड़ करने का आरोप है.

दासगुप्ता को 16 जनवरी को शुगर बढ़ने और बेहोश होने के बाद तलोजा जेल से मुंबई के जेजे अस्पताल ले जाया गया था. उन्हें आईसीयू में भर्ती कराया गया था. दासगुप्ता को 22 जनवरी को अस्पताल से छुट्टी दी गई थी.

दासगुप्ता को अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद उनके वकीलों ने उनकी जमानत याचिका पर तत्काल सुनवाई के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि, अदालत ने तत्काल अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था और हस्तक्षेप नहीं किया था.

हाईकोर्ट ने 16 फरवरी को सुनवाई पूरी कर ली थी और दासगुप्ता की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था.

दासगुप्ता के वकील ने पीठ को बताया था कि टीआरपी मामले के सभी आरोपी जमानत या अग्रिम जमानत पर बाहर थे और 11 जनवरी, 2020 को चार्जशीट दाखिल होने के बावजूद, जिसमें दिखाया गया था कि जांच पूरी हो चुकी है, वह अभी भी सलाखों के पीछे थे.

दासगुप्ता के लिए पेश होते हुए वरिष्ठ वकील आबाद पोंडा और अधिवक्ता अर्जुन सिंह ठाकुर ने आरोप लगाया कि चार्जशीट में बार्क के पूर्व मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ) रोमिल रामगढ़िया की अधिक गंभीर भूमिका को स्वीकार किया गया था और उनकी गिरफ्तारी के छह दिनों के भीतर उन्हें जमानत दे दी गई थी.

पोंडा ने आगे कहा कि चूंकि ट्रायल जल्द ही शुरू नहीं होने वाला है इसलिए दासगुप्ता को सलाखों के पीछे रखने से उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि वह रीढ़ की हड्डी से संबंधित विभिन्न बीमारियों से पीड़ित हैं.

पोंडा ने आगे कहा किया कि बार्क, जो टीआरपी रेटिंग को मापने के लिए एक जिम्मेदार और एकमात्र संगठन है, की एक ‘बाहरी नीति’ है, जो प्राधिकरण से ‘असामान्य दर्शक/गतिविधि’ को हटाने के लिए कहती है, जिसमें कुछ घंटों में कुछ चैनल देखने वाले लोगों की पर्याप्त संख्या शामिल है और (इस संबंध में) कार्रवाई की गई है.

पोंडा ने कहा कि पुलिस के अनुसार उनके मुवक्किल को रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ गोस्वामी से जो आभूषण के रूप में उपहार मिला था, वास्तव में उनकी (दासगुप्ता) शादी के समय इस्तेमाल किया गया था और गोस्वामी के जन्म से पहले ही खरीदा गया था, इसलिए, ग्रैटिफिकेशन (काम निकलवाने के लिए गिफ्ट का आदान-प्रदान) के आरोप गलत थे.

हालांकि, मुंबई पुलिस के विशेष लोक अभियोजक शिशिर हिरय ने दासगुप्ता की जमानत याचिका का विरोध किया और कहा कि दासगुप्ता के सेलफोन से बरामद वॉट्सऐप चैट की सामग्री ने साबित कर दिया कि वह कुछ समाचार चैनलों के बहुत करीब थे और उन्हें टीआरपी हेरफेर में महारत हासिल थी.

हिरय ने कहा कि दासगुप्ता की हिरासत में और पूछताछ आवश्यक है क्योंकि वह सवालों के सबसे सरल जवाब भी नहीं दे रहे हैं और इसमें शामिल होने वाले स्वैच्छिक चैट की जांच की जानी है.

हिरय ने कहा, ‘रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी और दासगुप्ता इतने करीबी दोस्त थे कि एक समय पर गोस्वामी ने यह भी कहा कि दासगुप्ता उनके अंतरंग मित्र हैं.

हिरय ने कहा कि दासगुप्ता को जिस पद पर नियुक्त किया गया था वह जिम्मेदारी का था और टीआरपी रेटिंग्स को मापने के लिए एकमात्र संगठन से संबंधित था और उन्होंने कुछ चैनलों को लाभ पहुंचाने के लिए इसका दुरुपयोग किया था.

उन्होंने कहा, ‘पंचनामा में बहुत सारे धन का उल्लेख है, जिन्हें तब तक गोस्वामी द्वारा हस्तांतरित नहीं किया जाना चाहिए था जब तक कि उसमें ग्रैटिफिकेशन का कोई हिस्सा न हो.’

वॉट्सऐप चैट का जिक्र करते हुए हिरय ने कहा, ‘यह इन दोनों (दासगुप्ता और गोस्वामी) के बीच के संबंध को दर्शाता है. इन दोनों सदस्यों के कई चैट हैं जिनमें राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर भी चर्चा हुई है.’

उन्होंने यह भी कहा कि बार्क पूर्व सीओओ के आदेश को चुनौती दी जा रही है और उनके आवेदन को खारिज करते हुए पूछताछ के लिए दासगुप्ता को आगे भी हिरासत में लेने की मांग की और कहा कि दासगुप्ता एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं, सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं.
बता दें कि दासगुप्ता को टीआरपी घोटाला मामले में 24 दिसंबर 2020 को गिरफ्तार किया गया था और वह मौजूदा समय में तलोजा जेल में बंद है. वह जून 2013 से नवंबर 2019 के बीच बार्क के सीईओ थे.

गौरतलब है कि मुंबई पुलिस द्वारा दर्ज पूरक चार्जशीट के अनुसार ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (बार्क) इंडिया के पूर्व सीईओ पार्थो दासगुप्ता ने मुंबई पुलिस को दिए हाथ से लिखे एक बयान में दावा किया है कि उन्हें टीआरपी से छेड़छाड़ करने के बदले रिपब्लिक चैनल के एडिटर इन चीफ अर्णब गोस्वामी से तीन सालों में दो फैमिली ट्रिप के लिए 12,000 डॉलर और कुल चालीस लाख रुपये मिले थे.

बता दें कि टीआरपी घोटाला पिछले साल अक्टूबर महीने में उस समय सामने आया था, जब टीवी चैनलों के लिए साप्ताहिक रेटिंग जारी करने वाली बार्क ने हंसा रिसर्च एजेंसी के माध्यम से रिपब्लिक टीवी सहित कुछ चैनलों के खिलाफ टीआरपी में धांधली करने की शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके बाद पुलिस ने इस कथित घोटाले की जांच शुरू की थी.

एफआईआर में बार्क और रिपब्लिक टीवी के कर्मचारियों के भी नाम थे. मुंबई पुलिस कथित तौर पर टीआरपी से छेड़छाड़ के मामले में फख्त मराठी, बॉक्स सिनेमा, न्यूज नेशन, महामूवीज और वॉव म्यूजिक जैसे अन्य चैनलों की भूमिका की भी जांच कर रही है.

बीते दिनों इस मामले में मुंबई पुलिस ने गोस्वामी और दासगुप्ता के बीच वॉट्सऐप चैट जारी की थी, जिसमें दोनों ने प्रतिद्वंद्वी चैनलों के बारे में बात की और रिपब्लिक से बेहतर प्रदर्शन कर रहे उन चैनलों को लेकर निराशा जताई.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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