मध्य प्रदेश: छात्रों ने लगाया एक और व्यापमं घोटाले का आरोप, मुख्यमंत्री ने दिए जांच के आदेश

आरोप है कि मध्य प्रदेश प्रोफेशनल एक्ज़ामिनेशन बोर्ड द्वारा आयोजित कृषि पदाधिकारियों के लिए हुई भर्ती परीक्षा में एक ही क्षेत्र और समुदाय के 10 छात्रों ने टॉप किया है. सभी ने ग्वालियर के राजकीय कृषि कॉलेज से बीएससी की पढ़ाई की है. इन्हें परीक्षा में एक जैसे प्राप्तांक मिले हैं और सभी ने परीक्षा में ग़लतियां भी एक जैसी ही की हैं.

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शिवराज सिंह चौहान. (फोटो: पीटीआई)

आरोप है कि मध्य प्रदेश प्रोफेशनल एक्ज़ामिनेशन बोर्ड द्वारा आयोजित कृषि पदाधिकारियों के लिए हुई भर्ती परीक्षा में एक ही क्षेत्र और समुदाय के 10 छात्रों ने टॉप किया है. सभी ने ग्वालियर के राजकीय कृषि कॉलेज से बीएससी की पढ़ाई की है. इन्हें परीक्षा में एक जैसे प्राप्तांक मिले हैं और सभी ने परीक्षा में ग़लतियां भी एक जैसी ही की हैं.

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान. (फोटो: पीटीआई)
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान. (फोटो: पीटीआई)

भोपाल/नई दिल्ली: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार को व्यापमं द्वारा आयोजित एक अन्य भर्ती परीक्षा में संदिग्ध घोटाले की जांच के आदेश दिए.

मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर लिखा, ‘कृषि विकास अधिकारी के पद के लिए व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) द्वारा ली गई परीक्षा में शीर्ष दस स्थान पाने वाले परीक्षार्थियों के समान अंक होने का मामला मेरे संज्ञान में आया है. मैंने इस मामले की विस्तृत जांच के आदेश अधिकारियों को दे दिए हैं.’

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, यह कथित धांधली मध्य प्रदेश प्रोफेशनल एक्जामिनेशन बोर्ड (एमपीपीईबी) (पूर्व नाम व्यापमं) द्वारा आयोजित कृषि विस्तार अधिकारी और वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी के लिए 10 और 11 फरवरी को हुई भर्ती परीक्षा में सामने आई है.

ऐसा आरोप लगाया गया है कि इस परीक्षा में एक ही क्षेत्र और समुदाय के 10 छात्रों ने टॉप किया है, जबकि उनके पिछले स्कूल और कॉलेज रिकॉर्ड इससे मेल नहीं खाते हैं.

सूत्रों का कहना है कि इस भर्ती में बहुत से ऐसे संयोग हैं जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.

सूत्रों ने कहा, उदाहरण के तौर पर इनमें से प्रत्येक ने परीक्षा में गलत विकल्प पर निशान लगाया, जिसे गलती से व्यापमं ने अपनी वेबसाइट पर अपलोड की गई आंसर शीट में सही दिखाया है.

अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, 17 फरवरी को इस परीक्षा की आंसर शीट के साथ सफल उम्मीदवारों की संभावित लिस्ट भी जारी की गई. जब परिणाम आया तो पता चला कि वरीयता सूची में शीर्ष 10 स्थान हासिल करने वाले सभी अभ्यर्थी एक ही कॉलेज से हैं.

शीर्ष 10 उम्मीदवारों ने राजकीय कृषि कॉलेज, ग्वालियर से बीएससी की पढ़ाई की है. इन्हें परीक्षा में एक जैसे प्राप्तांक मिले हैं और सभी ने परीक्षा में गलतियां भी एक जैसी ही की हैं.

इतना ही नहीं इनमें से नौ उम्मीदवार एक ही जाति के हैं. इसे लेकर परीक्षा में शामिल हुए अन्य उम्मीदवारों ने घोटाले का आरोप लगाया है.

नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, आरोप लगाने वाले एक छात्र ने कहा कि सभी टॉपर कृषि कॉलेज में निचले दर्जे के छात्र थे. हमेशा बैक लगता रहा है. व्यापमं की तरफ से आंसर की जारी होने के बाद से ही ये लोग हॉस्टल से गायब हैं. साथ ही ये लोग दूसरे छात्रों को भी नौकरी के लिए ऑफर देते थे.

भर्ती परीक्षाओं में इस तरह की धांधली से नाराज छात्र प्रदेश में जगह-जगह आंदोलन कर रहे हैं और सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. एक वीडियो में छात्र फरवरी 2020 में दिल्ली में भाजपा नेताओं द्वारा लगाए गए ‘गोली मारो…’ जैसे नारे घोटालेबाजों के लिए लगाते नजर आ रहे हैं.

ब्लैकलिस्टेड कंपनी को मिली परीक्षा कराने की जिम्मेदारी

अमर उजाला के अनुसार, व्यापमं की ओर से इस परीक्षा के आयोजन की जिम्मेदारी एनएसईआईटी कंपनी को दी गई थी. यह कंपनी पहले भी धांधली के आरोपों से घिरी रही है.

2017 में उत्तर प्रदेश की सब इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा में गड़बड़ियों के चलते एनएसईआईटी को ब्लैकलिस्ट किया गया था. इस बार टॉप 10 में शामिल उम्मीदवारों को 200 में 195 और 194 अंक मिले हैं, इस परीक्षा के इतिहास में इतने नंबर किसी को नहीं मिले.

क्या था 2013 का व्यापमं घोटाला?

वर्ष 2013 में सामने आया व्यापमं घोटाला गिरोहबाजों, अधिकारियों और सियासी नेताओं की कथित सांठ-गांठ से राज्य सरकार की सेवाओं और पेशेवर पाठ्यक्रमों में सैकड़ों उम्मीदवारों के गैरकानूनी प्रवेश से जुड़ा है.

मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल अथवा व्यापमं राज्य में कई प्रवेश परीक्षाओं के संचालन के लिए जिम्मेदार राज्य सरकार द्वारा गठित एक स्व-वित्तपोषित और स्वायत्त निकाय था. इसके द्वारा राज्य के शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश, सरकारी नौकरियों में भर्ती के लिए परीक्षाएं आयोजित की जाती थीं.

व्यापमं द्वारा मध्य प्रदेश की विभिन्न सरकारी नौकरियों के लिए ली गईं भर्ती परीक्षाओं एवं प्री-मेडिकल टेस्ट (पीएमटी) में पिछले कई वर्षों में कथित रूप से अनियमितता कर करोड़ों रुपये के घोटाले हुए और इसमें तत्कालीन मध्य प्रदेश के पूर्व राज्यपाल एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री राम नरेश यादव (अब दिवंगत) भी घिर गए थे.

उनके अलावा इस घोटाले में अनेक पेशेवर व्यक्ति, मंत्री, नेता, नौकरशाह, दलाल एवं छात्र अभियुक्त हैं. इनमें से एक मंत्री सहित कुछ लोग जेल भी रह चुके हैं.

दैनिक भास्कर की 2019 की रिपोर्ट के अनुसार, सीबीआई ने व्यापमं घोटाले में 170 एफआईआर दर्ज की थीं. इनमें से 143 मामलों में चार्जशीट दाखिल हो चुकी है, 7 मामलों की जांच जारी है. रिपोर्ट के अनुसार, इससे जुड़े केसों में 2500 से ज्यादा लोग आरोपी हैं, जिनमें से करीब 1000 परीक्षार्थी हैं. जुलाई 2015 से सीबीआई इस घोटाले की जांच कर रही है.

व्यापमं द्वारा आयोजित प्रवेश और भर्ती परीक्षाओं में बड़े पैमाने पर धांधली सामने आने के बाद तत्कालीन शिवराज सिंह चौहान सरकार ने इसका आधिकारिक नाम बदलकर मध्य प्रदेश प्रोफेशनल एक्जामिनेशन बोर्ड (एमपीपीईबी) कर दिया था.

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