राज्यसभा ने संविधान (अनुसूचित जातियां) आदेश संशोधन विधेयक 2021 को मंज़ूरी दे दी. लोकसभा में यह विधेयक पिछले हफ़्ते पारित हुआ था. तमिलनाडु के सात समुदाय- देवेंद्रकुललथन, कल्लडी, कुदुंबन, पल्लन, पन्नाडी, वथिरियन और कडइयन को अब देवेंद्रकुला वेलालर के नाम से जाना जाएगा.
नई दिल्ली: राज्यसभा ने सोमवार को संविधान (अनुसूचित जातियां) आदेश संशोधन विधेयक 2021 को मंजूरी दे दी. इसमें तमिलनाडु की सात जातियों को एक जाति देवेंद्रकुला वेलालर में समाहित करने का प्रस्ताव किया गया है.
उच्च सदन में विधेयक पर हुई संक्षिप्त चर्चा का जवाब देते हुए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने कहा कि इनमें से कडइयन जाति को तिरुनेलवेली, तूतुकुडी, रामनाथपुरम, पुदुकोट्टई और तंजावूर जिलों के तटीय क्षेत्रों में इसी नाम से जाना जाएगा.
उन्होंने कहा कि इस विधेयक का तमिलनाडु के विधानसभा चुनावों से कोई संबंध नहीं है और यह महज संयोग है कि यह विधेयक अभी सदन में लाया गया है.
उन्होंने कहा कि अनुसूचित जातियों की सूची में संशोधन के लिए एक निर्धारित प्रक्रिया है और उसका पालन करने में समय लगता है.
गहलोत ने कहा कि निर्धारित प्रक्रिया की शुरुआत संबंधित राज्य द्वारा प्रस्ताव भेजे जाने से होती है. उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया की शुरुआत 2015 में हुई थी, जो अब पूरी हो रही है.
उनके जवाब के बाद सदन ने विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया. लोकसभा में यह विधेयक पिछले हफ्ते पारित हुआ था.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक विधेयक के मुताबिक देवेंद्रकुला वेलालर समुदाय में- देवेंद्रकुललथन, कल्लडी, कुदुंबन, पल्लन, पन्नाडी, वथिरियन समुदायों को शामिल किया गया है.
इसके अलावा 1950 के आदेश में राज्य में अधिसूचित अनुसूचित जाति की सूची में शामिल कडइयन समुदाय भी शामिल है.
राज्यसभा में विधेयक के पारित होने से संसदीय अनुमोदन प्रक्रिया पूरी हो जाती है और यह अब राष्ट्रपति के पास उनकी सहमति के लिए भेजा जाएगा.
विपक्ष ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि सरकार केवल मांग पर काम कर रही है, क्योंकि तमिलनाडु में चुनाव चल रहे हैं.
चर्चा में भाग लेते हुए नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाया कि यह विधेयक तमिलनाडु में हो रहे विधानसभा चुनाव के मद्देनजर लाया गया है.
उन्होंने दावा किया कि 2015 में ही इन समुदायों के एक प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री से मुलाकात की थी, लेकिन उस समय कोई कार्रवाई नहीं हुई.
खड़गे ने कहा कि अब जब राज्य में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं, उनकी मांगों को पूरा किया जा रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की मंशा अनुसूचित जाति के लोगों को आर्थिक रूप से पिछड़ा बनाए रखने की है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)