अक्टूबर, 2019 में लंदन में मणिपुर के महाराजा लेशेम्बा सनाजाओबा का प्रतिनिधि होने का दावा करने वाले मणिपुर के दो अलगाववादी नेताओं- याम्बेन बीरेन और नरेंगबाम समरजीत सिंह ने ब्रिटेन से ‘निर्वासन में मणिपुर सरकार’ की घोषणा कर दी थी. इसके बाद मणिपुर सरकार ने एक मामला दर्ज किया था, जिसे बाद में एनआईए को सौंप दिया था.
इम्फाल: लंदन में मणिपुर की स्वतंत्रता की घोषणा करने वाले अलगाववादी नेता नरेंगबाम समरजीत को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) सोमवार को वापस इम्फाल लेकर आई है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले शुक्रवार (26 मार्च) को पटियाला कोर्ट के सामने पेश करने के बाद एनआईए समरजीत को इम्फाल वापस ले आई. अदालत ने 31 मार्च तक कस्टोडियल रिमांड दे दी.
अलगाववादी नेता को गुरुवार (25 मार्च) सुबह दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर गिरफ्तार किया गया. वह लंदन से एयर इंडिया की फ्लाइट में यात्रा कर रहे थे.
इम्फाल अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर उतरने के बाद उनके समर्थकों ने ‘मणिपुर जिंदाबाद, समरजीत जिंदाबाद’ के नारे लगाए.
बता दें कि अक्टूबर 2019 में मणिपुर के दो असंतुष्ट नेताओं ने राजा लेशेम्बा सनाजाओबा का प्रतिनिधित्व करने का दावा करते हुए ब्रिटेन में ‘निर्वासन में मणिपुर सरकार’ की शुरुआत की घोषणा की थी.
एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए याम्बेन बीरेन ने ‘मणिपुर स्टेट काउंसिल के मुख्यमंत्री’ और नरेंगबाम समरजीत ने ‘मणिपुर स्टेट काउंसिल का रक्षा और विदेश मंत्री’ होने का दावा भी किया था.
उन्होंने कहा था कि वे ‘मणिपुर के महाराजा लेशेम्बा सनाजाओबा’ की ओर से बोल रहे हैं और औपचारिक तौर पर निर्वासन में ‘मणिपुर स्टेट काउंसिल’ की सरकार शुरू कर रहे हैं.
तब महाराजा लेशेम्बा सनाजाओबा की ओर से भी इस बारे में अनभिज्ञता जाहिर की गई थी. उन्होंने कहा था, ‘मैं इसकी कड़ी निंदा करता हूं. यह हैरानी भरा है कि उन्होंने इसमें मेरा नाम घसीटा. इससे समाज में नकारात्मकता आएगी.’
इसके बाद से ही वे लंदन में अस्थायी शरण लिए हुए थे. वहीं, इस संबंध में मणिपुर सरकार ने एक मामला दर्ज किया था, जिसे बाद में एनआईए को सौंप दिया गया था.
पिछले मंगलवार (23 मार्च) को एनआईए ने मणिपुर स्थित एक एनआईए कोर्ट में याम्बेन बीरेन और नरेंगबाम समरजीत सिंह सहित पांच आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी. बाकी तीन लोग नरेंगबाम बिश्वजीत सिंह, इलांगबाम ब्रजेंद्र सिंह और अकोईजाम दीपा आनंद थे.
उन पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120बी और 420 के तहत गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के धारा 13 और 17 के तहत आरोप लगाए गए थे.
एनआईए के द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, नरेंगबाम समरजीत सिंह सैलई ग्रुप ऑफ कंपनीज और स्मार्ट सोसाइटी के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक थे. उन पर अपने सहयोगियों- इलांगबाम ब्रजेंद्र सिंह और अकोईजाम दीपा आनंद के साथ मिलकर अवैध रूप से भारी मात्रा में धन इकट्ठा करने और बिना किसी कानूनी अधिकार के सैलई ग्रुप ऑफ कंपनीज/स्मार्ट सोसाइटी को किए गए जमा पर 36 प्रतिशत वार्षिक रिटर्न की पेशकश करके जनता से धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया गया है.
इसमें आगे कहा गया, इन गैरकानूनी निधियों को कथित रूप से नरेंगबाम समरजीत सिंह और उनके सहयोगियों ने सैलई ग्रुप ऑफ कंपनीज/स्मार्ट सोसाइटी की विभिन्न कंपनियों के माध्यम से लूटा था.
एजेंसी ने आगे बताया कि गैरकानूनी धन का इस्तेमाल गैरकानूनी गतिविधियों के लिए किया गया था, जैसे मणिपुर की भारत संघ से स्वतंत्रता की घोषणा और लंदन में मणिपुर राज्य परिषद का गठन और मणिपुर राज्य परिषद की सेना के वित्तपोषण के लिए भी.