जम्मू कश्मीर पुलिस द्वारा एनकाउंटर स्थलों से रिपोर्टिंग पर रोक अलोकतांत्रिक: एडिटर्स गिल्ड

पुलिस का दावा है कि ऐसा इसलिए किया गया है, ताकि हिंसा को फैसले से रोका जा सके, क्योंकि एनकाउंटर वाले स्थान से रिपोर्टिंग करने पर ‘देशविरोधी भावना’ भड़कती है. हालांकि एडिटर्स गिल्ड ने कहा है कि सत्य बताने में कुछ भी ग़लत नहीं है.

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Srinagar: Policemen patrolling at Lal Chowk after restrictions were lifted, in Srinagar, Tuesday, Aug. 20, 2019. Barricades around the Clock Tower in Srinagar's city centre Lal Chowk were removed after 15 days, allowing the movement of people and traffic in the commercial hub, as restrictions eased in several localities while continuing in others. (PTI Photo/S. Irfan)(PTI8_20_2019_000114B)
(फोटो: पीटीआई)

पुलिस का दावा है कि ऐसा इसलिए किया गया है, ताकि हिंसा को फैसले से रोका जा सके, क्योंकि एनकाउंटर वाले स्थान से रिपोर्टिंग करने पर ‘देशविरोधी भावना’ भड़कती है. हालांकि एडिटर्स गिल्ड ने कहा है कि सत्य बताने में कुछ भी ग़लत नहीं है.

Srinagar: Policemen patrolling at Lal Chowk after restrictions were lifted, in Srinagar, Tuesday, Aug. 20, 2019. Barricades around the Clock Tower in Srinagar's city centre Lal Chowk were removed after 15 days, allowing the movement of people and traffic in the commercial hub, as restrictions eased in several localities while continuing in others. (PTI Photo/S. Irfan)(PTI8_20_2019_000114B)
(फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (ईजीआई) ने जम्मू कश्मीर पुलिस के उस आदेश की कड़ी निंदा की है, जिसके तहत पत्रकारों को एनकाउंटर वाले स्थान से रिपोर्टिंग करने पर रोक लगा दी गई है.

गिल्ड ने इसे ‘बेहद कठोर’ और ‘अलोकतांत्रित’ करार दिया है तथा इस आदेश को तत्काल वापस लेने की मांग की है.

पुलिस का दावा है कि ऐसा इसलिए किया गया है ताकि हिंसा को फैसले से रोका जा सके, क्योंकि एनकाउंटर वाले स्थान से रिपोर्टिंग करने पर ‘देशविरोधी भावना’ भड़कती है. हालांकि एडिटर्स गिल्ड ने कहा है, ‘सत्य बताने में कुछ भी गलत नहीं है.’

द वायर  ने रिपोर्ट कर बताया था कि पुलिस द्वारा जारी इस एडवाइजरी को लेकर कश्मीरी पत्रकार काफी तनाव में हैं, जो पहले से ही नियमित आधार पर प्रशासन की धमकियों को झेलते आए हैं.

गिल्ड ने अपने बयान में कहा है कि पुलिस इस तरह की एडवाइजरी जारी कर ऐसा भाव देना चाह रही है कि वे शांति बनाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से ये सुरक्षा बलों द्वारा की गलतियों को छिपाने का तरीका है.

उन्होंने कहा, ‘संघर्ष वाले क्षेत्रों से लाइव रिपोर्टिंग करना, जिसमें सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच एनकाउंटर भी शामिल है, किसी भी जिम्मेदार मीडिया का एक बेहद महत्वपूर्ण कार्य है.’

गिल्ड ने कहा कि ज्यादा से ज्यादा इस संबंध में कुछ दिशानिर्देश जारी किए जा सकते हैं, ताकि सुरक्षा बलों की योजना की गोपनीयता बनी रहे और पत्रकार इसमें हस्तक्षेप भी न करें. वैश्विक स्तर पर जिम्मेदार सरकारों ने ऐसे नियम बनाए हैं, लेकिन पत्रकारों को यहां से रिपोर्टिंग पर रोक लगाना उचित नहीं है.