महाराष्ट्र और गुजरात में कोविड-19 से ठीक होने वालों में फंगल इंफेक्शन, कई लोगों की आंख की रोशनी गई

महाराष्ट्र के स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि राज्य में फंगल इंफेक्शन यानी म्यूकोरमाइकोसिस के 200 मरीज़ों का इलाज चल रहा है, जिनमें से आठ की आंख की रोशनी चली गई है, जबकि गुजरात में ऐसे मरीज़ों की संख्या 100 से अधिक है और सात मरीज़ों की आंख की रोशनी जा चुकी है.

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(प्रतीकात्मक तस्वीर: रॉयटर्स)

महाराष्ट्र के स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि राज्य में फंगल इंफेक्शन यानी म्यूकोरमाइकोसिस के 200 मरीज़ों का इलाज चल रहा है, जिनमें से आठ की आंख की रोशनी चली गई है, जबकि गुजरात में ऐसे मरीज़ों की संख्या 100 से अधिक है और सात मरीज़ों की आंख की रोशनी जा चुकी है.

(प्रतीकात्मक तस्वीर: रॉयटर्स)
(प्रतीकात्मक तस्वीर: रॉयटर्स)

अहमदाबाद/मुंबई: कोरोना वायरस संक्रमण के बीच ‘म्यूकोरमाइकोसिस’ नाम के एक फंगल इंफेक्शन के मामले भी सामने आ रहे हैं. महाराष्ट्र और गुजरात में इस तरह के इंफेक्शन की सूचनाएं मिल रही हैं.

म्यूकोरमाइकोसिस को ब्लैक फंगस के नाम से भी जाना जाता है. यह एक गंभीर लेकिन दुर्लभ इंफेक्शन है.

महाराष्ट्र और गुजरात के स्वास्थ्य अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि इस इंफेक्शन (संक्रमण) के मामले कोविड-19 से ठीक हुए मरीजों में बढ़ रहे हैं और जिसकी वजह से उनमें आंखों की रोशनी चले जाना और अन्य जटिलताएं उत्पन्न हो रही हैं.

फंगल इंफेक्शन के कारण ही जहां महाराष्ट्र में आठ तो वहीं गुजरात में सात ऐसे लोगों की आंखों की रोशनी चली गई जो कोविड-19 संक्रमण से ठीक हुए थे.

गुजरात के सूरत शहर स्थित किरण सुपर मल्टी स्पेशियलिटी अस्पताल के अध्यक्ष माथुर सवानी ने बताया कि कोविड-19 से तीन हफ्ते पहले ठीक हुए मरीज में म्यूकोरमाइकोसिस का पता चला है.

सवानी ने बताया, ‘फंगल इंफेक्शन के लिए 50 रोगियों का इलाज चल रहा है जबकि 60 और मरीज इसके इलाज का इंतजार कर रहे हैं.’

उन्होंने बताया कि अब तक सात मरीज अपनी आंखों की रोशनी गंवा चुके हैं.

रेजिडेंट मेडिकल ऑफिसर प्रभारी डॉ. केतन नाइक ने बताया कि म्यूकोरमाइकोसिस के बढ़ते मरीजों को देखते हुए सूरत सिविल अस्पताल में उनका इलाज करने के लिए अलग से व्यवस्था की गई है.

अहमदाबाद के आरवा सिविल अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टर ने बताया कि रोजाना कम से कम पांच म्यूकोरमाइकोसिस मरीजों का ऑपरेशन हो रहा है.

अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में आंख-कान-नाक के डॉक्टर देवांग गुप्ता ने बताया, ‘यहां हमारे पास रोज पांच से 10 मरीज म्यूकोरमाइकोसिस के आ रहे हैं, खासतौर पर कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के बाद. इन मरीजों की प्राथमिकता के आधार पर जांच की जा रही है और यथाशीघ्र ऑपरेशन किया जा रहा है.’

उन्होंने कहा, ‘पांच में से एक मरीज आंखों से जुड़ी समस्या लेकर आ रहा है. उनमें से कई अंधेपन का सामना कर रहे हैं.’

महाराष्ट्र में म्यूकोरमाइकोसिस से कम से कम आठ लोग अपनी दृष्टि खो चुके हैं. ये लोग कोविड-19 को मात दे चुके थे, लेकिन ब्लैक फंगस की चपेट में आ गए. राज्य में ऐसे लगभग 200 मरीजों का उपचार चल रहा है.

चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान निदेशालय (डीएमईआर) के प्रमुख, डॉक्टर तात्या राव लहाने ने यह जानकारी दी.

उन्होंने कहा, ‘वे लोग कोविड-19 से बच गए थे, लेकिन कवक संक्रमण ने उनकी कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता पर हमला किया.’

डॉ. लहाने ने पहले कहा था कि आठ कोविड-19 मरीजों की मौत हुई है, लेकिन बाद में उन्होंने स्पष्ट किया कि अनजाने में उन्होंने ऐसा कहा था.

डॉक्टर लहाने ने कहा कि फंगल इंफेक्शन की बीमारी के बारे में पहले से ही पता है, लेकिन इसके मामले कोविड-19 संबंधी जटिलताओं की वजह से बढ़ रहे हैं जिसमें स्टेरॉइड दवाओं का इस्तेमाल कई बार रक्त में शुगर का स्तर बढ़ा देता है और कुछ दवाओं का परिणाम रोग प्रतिरोधक क्षमता के कमजोर होने के रूप में निकलता है.

उन्होंने बताया, ‘ऐसी परिस्थिति में ब्लैक फंगस मरीज को आसानी से संक्रमित कर देता है. ऐसे ही एक मामले में मरीज की आंख स्थायी रूप से निकालनी पड़ी, ताकि उसकी जान बचाई जा सके.’

उन्होंने बताया कि यह कवक फंगस में मौजूद रहता है और कमजोर प्रतिरक्षण क्षमता या अन्य जटिल बीमारियों की वजह से संक्रमण का खतरा अधिक होता है.

डॉ. लहाने ने बताया कि म्यूकोरमाइकोसिस का लक्षण सिरदर्द, बुखार, आंखों के नीचे दर्द, नाक में जकड़न और आंशिक रूप से दृष्टि बाधित होना है.

उन्होंने बताया कि इसके इलाज के लिए 21 दिनों तक इंजेक्शन लगाना पड़ता है और एक दिन के इंजेक्शन का खर्च करीब नौ हजार रुपये है.

मुंबई स्थित सरकारी केईएम अस्पताल में नाक-गला-आंख विभाग के प्रोफेसर डॉ. हेतल मार्फतिया ने कहा कि पिछले दो हफ्ते में म्यूकोरमाइकोसिस के मामलों में वृद्धि हुई है और रोजाना दो से तीन मरीज आ रहे हैं.

उन्होंने बताया कि कई मरीज मुंबई के बाहर से आ रहे हैं और इलाज का खर्च वह नहीं कर पा रहे हैं.

डॉ. मार्फतिया ने बताया कि इस फंगल इंफेक्शन की जानकारी कोविड-19 महामारी की पहली लहर के दौरान मिली थी. खासतौर पर संक्रमण मुक्त होने के कुछ हफ्तों के बाद, इसके लक्षण दिखाई देते हैं.

उन्होंने कहा, ‘लेकिन अब कोविड-19 इलाज के दौरान भी मरीज इस संक्रमण की चपेट में आ जा रहे हैं.’

नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वीके पॉल ने भी शुक्रवार को कहा था कि कोविड-19 मरीजों में म्यूकोरमाइकोसिस के मामले आ रहे हैं.

उन्होंने बताया, ‘यह म्यूकोर नामक फंगल (कवक) की वजह से होता है जो गीले सतह पर पाए जाते हैं. काफी हद तक यह संक्रमण मधुमेह के मरीजों में होता है और सामान्य तौर पर गैर मधुमेह मरीजों में यह नहीं होता है. अब तक अधिक मामले नहीं आए हैं, हम स्थिति पर नजर रखे हुए हैं.’

बता दें कि इससे पहले पिछले साल दिसंबर में दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल के डॉक्टरों ने म्यूकोरमाइकोसिस के कारण कम से कम 12 मामले सामने आने और कम से कम छह मरीजों की आंख की रोशनी जाने की बात कही थी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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