केरल के चार सांसदों और दो विधायकों समेत अकादमिक जगत के लोगों तथा कार्यकर्ताओं की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हेनी बाबू को कोरोना वायरस से बचाने के लिए ये क़दम उठाने की ज़रूरत है. उन्होंने कहा कि भीमा कोरेगांव मामले में उन्हें ग़लत तरीके से फंसाया गया है.
नई दिल्ली: केरल के चार सांसद, दो विधायक, अकादमिक जगत के सैकड़ों लोगों और विभिन्न क्षेत्र के कार्यकर्ताओं ने एक खुला पत्र लिखकर दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के प्रोफेसर और केरल निवासी हेनी बाबू को तत्काल जेल से रिहा करने की मांग की है.
उन्होंने कहा कि बाबू को कोविड-19 वायरस से बचाने के लिए ये कदम उठाने की जरूरत है.
दिल्ली विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर हेनी बाबू एमटी (54) को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने एलगार परिषद-भीमा कोरेगांव मामले में उनकी कथित संलिप्तता को लेकर 28 जुलाई 2020 को गिरफ्तार किया था. एनआईए ने दलील दी है कि बाबू के भाकपा (माओवादी) से संबंध हैं.
हेनी बाबू की रिहाई को लेकर जारी पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में सांसद के. मुरलीधरन (कांग्रेस), ईटी मोहम्मद बशीर (आईयूएमएल) और एमपी. अब्दुस्समद समदानी (आईयूएमएल) और विधायक केपीए मजीद (आईयूएमएल) तथा डॉ. एमके मुनीर (आईयूएमएल) शामिल हैं.
हस्ताक्षरकर्ताओं ने पत्र में कहा है कि भीमा कोरेगांव मामले में हेनी बाबू की गिरफ्तारी बिल्कुल गलत है. उन्होंने कहा कि आंबेडकरवादी सिद्धांतों पर आधारित बाबू की जाति-विरोधी लड़ाई के चलते सवर्ण हिंदुत्ववादी सत्ता उनके विरोध में है.
उन्होंने पत्र में डिजिटल फॉरेंसिक फर्म आर्सेनल कंसल्टिंग की उस रिपोर्ट का भी हवाला दिया है, जिसमें यह बताया गया था कि भारत के प्रधानमंत्री की हत्या और सरकार को उखाड़ फेंकने की साजिश सहित भड़काऊ सामग्री एलगार परिषद-भीमा कोरेगांव मामले के आरोपी शोधकर्ता रोना विल्सन के लैपटॉप को हैक कर रखे गए थे.
इस साल फरवरी में जारी अमेरिकी फर्म की रिपोर्ट में कहा गया था, ‘विल्सन का लैपटॉप हैक करने वाले हमलावर के पास विस्तृत संसाधन और समय था और यह स्पष्ट है कि मुख्य इरादा निगरानी (सर्विलांस) और आपराधिक दस्तावेज पहुंचाना था.’
आर्सेनल ने इस साइबर हमलावर को उसी मैलवेयर इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ जोड़ा, जो विल्सन के लैपटॉप में तकरीबन चार साल के लिए न केवल उनकी जानकारी साझा करने के लिए, बल्कि 22 महीनों तक उनके सह-आरोपियों पर भी हमला करने के उद्देश्य डाला गया था.
गौरतलब है कि पुणे के ऐतिहासिक शनिवारवाड़ा में 31 दिसंबर 2017 को भीमा-कोरेगांव युद्ध की 200वीं वर्षगांठ से पहले एल्गार परिषद का सम्मेलन आयोजित किया गया था.
पुलिस के मुताबिक इस कार्यक्रम के दौरान दिए गए भाषणों की वजह से जिले के कोरेगांव-भीमा गांव के आसपास एक जनवरी 2018 को जातीय हिंसा भड़की थी.
इस मामले में देश के नामी 16 शिक्षाविदों, कार्यकर्ताओं, कवि और वकीलों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें सुधीर धावले, शोमा सेन, महेश राउत, रोना विल्सन, सुरेंद्र गाडलिंग, वरवरा राव, सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरा, वर्नोन गोंसाल्विस, आनंद तेलतुम्बड़े और गौतम नवलखा हैं.
सांसदों, विधायकों, कार्यकर्ताओं द्वारा लिखे इस पत्र में केरल के लोगों से गुजारिश की गई है कि वे हेनी बाबू को रिहा करने के लिए आवाज उठाएं. इसमें संघ परिवार की हिंदुत्व विचारधारा की ओर भी ध्यान खींचा गया है, जो वर्ग और जाति की लड़ाई लड़ने वाले बाबू जैसे लोगों के बिल्कुल खिलाफ रहते हैं.
पत्र में बताया गया है कि किस तरह अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों के उत्थान के लिए बाबू ने महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं.
उन्होंने कहा कि महामारी के बीच विचाराधीन कैदियों को प्रताड़ित करना व्यापक स्तर पर मानवाधिकारों का उल्लंघन करने से कम नहीं है.
(इस पत्र को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)