72 वर्षीय राजकुमार केसवानी बीते दिनों कोविड-19 से पीड़ित होने के बाद हुए फेफड़ों के संक्रमण के चलते भोपाल के एक अस्पताल में भर्ती थे, जहां शुक्रवार को उनका देहांत हो गया. वे भोपाल गैस त्रासदी से पहले यूनियन कार्बाइड की सुरक्षा चूक पर ध्यान दिलाने की रिपोर्टिंग और उनके साप्ताहिक सिनेमा कॉलम के लिए जाने जाते थे.
भोपाल: जाने-माने वरिष्ठ पत्रकार राजकुमार केसवानी का शुक्रवार को यहां एक निजी अस्पताल में कोरोना से निधन हो गया. वह 72 वर्ष के थे और भोपाल गैस त्रासदी में सुरक्षा चूक की ओर हादसे से पूर्व ध्यान दिलाने की रिपोर्टिंग के लिए जाने जाते थे.
उनके बेटे रौनक ने बताया कि उनके पिताजी आठ अप्रैल को कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए थे और 20 अप्रैल को उनके संक्रमण मुक्त होने की पुष्टि हुई थी.
उन्होंने कहा कि कोविड की चपेट में आने से उनके फेफड़े खराब हो गए थे और अप्रैल के अंतिम सप्ताह में वह शहर के बंसल अस्पताल में फेफड़ों के उपचार के लिए भर्ती हुए थे. शुक्रवार शाम को करीब साढ़े सात बजे उनका इलाज के दौरान इस अस्पताल में निधन हो गया.
उनके परिवार में उनकी पत्नी एवं एक बेटा है. उनके बेटे रौनक ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उनके पता को वैक्सीन की पहली खुराक लेने के बाद संक्रमण हुआ था. उन्होंने बताया कि केसवानी की इम्युनिटी कम थी और उन्हें जल्द ही असहज महसूस होना शुरू हो गया था.
1982 में भोपाल में हुई ऐतिहासिक गैस त्रासदी से दो साल पहले राजकुमार केसवानी के लेख हिंदी दैनिक रपट में प्रकाशित हुए थे, जहां उन्होंने यूनियन कार्बाइड में हो रही सुरक्षा चूकों को लेकर लिखा था. इसके बाद त्रासदी से करीब छह महीने पहले उन्होंने जनसत्ता अख़बार में प्रकाशित एक लेख में किसी अनहोनी घटना को लेकर आगाह किया था.
वरिष्ठ पत्रकार दीपक तिवारी ने बताया, ‘केसवानी ने भोपाल यूनियन कार्बाइड के संयंत्र की खामियों को लेकर 1984 में खबर प्रकाशित की थी और उनके द्वारा यह खबर लिखने के कुछ महीने बाद ही इस संयंत्र से दो-तीन दिसंबर 1984 की मध्यरात्रि में जहरीली गैस के रिसाव के कारण बड़ी घटना हो गई थी जिसे भोपाल गैस त्रासदी के नाम से जाना जाता है और उसमें हजारों लोगों की जान चली गई थी और लाखों प्रभावित हुए थे.’
वरिष्ठ पत्रकार एनके सिंह, जो इंडियन एक्सप्रेस के लिए काम किया करते थे, ने याद करते हुए बताया, ‘वो सर्दी की रात थी जब मुझे केसवानी ने कॉल किया था कि उसका डीएम घुट रहा है. केसवानी तब पुराने भोपाल के इतवारा में रहते थे, जो उस समय त्रासदी से प्रभावित हुआ था. वो रात के करीब 12.30 बजे भागकर मेरे पास आए और बताया कि उन्हें घुटन की शिकायत हो रही है. उन्होंने कहा कि मैं देखूं कि हुआ क्या है. मैंने लोकल थानों समेत कंट्रोल रूम के तमाम नंबर लगाए लेकिन कहीं से कोई जवाब नहीं मिला. कुछ ही घंटों के अंदर इस घटना की विभीषिका सामने आने लगी.’
इस दुर्घटना की सटीक चेतावनी देने के लिए उनकी काफी चर्चा हुई और साल 1985 में उनकी रिपोर्टिंग के लिए उन्हें प्रतिष्ठित बीडी गोयनका अवॉर्ड से सम्मानित किया गया. वे यह सम्मान पाने वाले सबसे कम उम्र के पत्रकार थे. इसके बाद उन्हें कई सम्मानों से नवाजा गया.
केसवानी ने अपना करिअर कॉलेज के दिनों से ही ’स्पोर्ट्स टाइम्स’ से शुरू किया था और उसके बाद उन्होंने कई पत्र-पत्रिकाओं एवं न्यूज चैनलों में शीर्ष पदों पर काम किया, जिनमें न्यूयॉर्क टाइम्स, एनडीटीवी, दैनिक भास्कर, इंडिया टुडे एवं ‘द वीक’ शामिल हैं.
उन्होंने फिल्म मुगल-ए-आज़म पर एक किताब भी लिखी थी, जिसने खासी सराहना बटोरी थी. दैनिक भास्कर में कई वर्षों से वे लगातार एक साप्ताहिक कॉलम लिखा करते थे, जो काफी लोकप्रिय था.
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने केसवानी के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है.
चौहान ने अपने शोक संदेश में कहा, ‘समाज और जनहित से जुड़े मामलों पर बेबाकी से कलम चलाने वाले पत्रकार राजकुमार केसवानी जी को हमने आज खो दिया है. उन्हें विशेष रुप से भोपाल गैस त्रासदी में सुरक्षा चूक की ओर हादसे से पूर्व ध्यान आकर्षित करने के लिए जाना जाता है. उनका असमय निधन हम सबके लिए अपूरणीय क्षति है. विनम्र श्रद्धांजलि! शत शत नमन.’
चौहान ने केसवानी की पत्नी एवं बेटे से फोन पर बात कर उन्हें सांत्वना दी.
कमलनाथ ने ट्वीट किया, ‘वरिष्ठ पत्रकार राजकुमार केसवानी जी के दुखद निधन का समाचार प्राप्त हुआ. उनका निधन पत्रकारिता जगत की एक बड़ी क्षति है. परिवार के प्रति मेरी शोक संवेदनाएं.’
कई पत्रकारों और लेखकों ने भी राजकुमार केसवानी के निधन पर शोक जाहिर किया है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)