प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते सोमवार को घोषणा की कि 18 वर्ष से 44 साल उम्र तक के लोगों के टीकाकरण के लिए 21 जून से राज्यों को कोविड-19 का टीका मुफ्त दिया जाएगा और आगामी दिनों में देश में टीका आपूर्ति में पर्याप्त बढ़ोतरी होगी.
नई दिल्ली: विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों एवं भाजपा ने 18 साल से अधिक उम्र के सभी नागरिकों को कोविड-19 का टीका मुफ्त मुहैया कराने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा का स्वागत किया है, परंतु विपक्षी दलों ने दावा किया कि केंद्र ने उच्चतम न्यायालय के समक्ष अपनी साख बचाने के लिए इस ‘त्रुटिपूर्ण’ टीका नीति को वापस लिया है.
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा, ‘जब भी देश में कोई संकट आया, मोदी ने आगे बढ़कर मोर्चा संभाला है.’
पार्टी के कई नेताओं ने भी प्रधानमंत्री के इस कदम की प्रशंसा की और कहा कि इसने महामारी के खिलाफ जंग में नई ताकत फूंक दी है.
विपक्षी दल कांग्रेस ने सभी नागरिकों के टीकाकरण के लिए राज्यों को मुफ्त टीका मुहैया कराने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा पर कहा कि यह ‘देर आए, लेकिन पूरी तरह दुरुस्त नहीं आए’ की तरह है क्योंकि मुफ्त टीकाकरण की मांग को सरकार ने आंशिक रूप से स्वीकार किया है.
पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने यह आरोप भी लगाया कि प्रधानमंत्री ने देश में पहले के टीकाकरण के कार्यक्रमों के बारे में टिप्पणी करके अतीत की चुनी हुई सरकारों और वैज्ञानिकों का अपमान किया है.
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने पिछले कई महीनों में बार-बार यह मांग रखी कि 18 साल से अधिक उम्र के लोगों को मुफ्त टीका लगना चाहिए, लेकिन मोदी सरकार ने इससे इनकार कर दिया. फिर उच्चतम न्यायालय ने मोदी जी और उनकी सरकार को कटघरे में खड़ा किया.’
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘एक साधारण सवाल: अगर टीके सभी के लिए मुफ्त हैं तो फिर निजी अस्पतालों को पैसे क्यों लेने चाहिए.’
One simple question-
If vaccines are free for all, why should private hospitals charge for them? #FreeVaccineForAll
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) June 7, 2021
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह (कांग्रेस), ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक (बीजद), तमिलनाडु के मुख्यंमत्री एमके स्टालिन (द्रमुक), केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन (माकपा) और बिहार के मुख्मयंत्री नीतीश कुमार (जदयू) राज्यों के उन नेताओं में शामिल हैं, जिन्होंने प्रशंसा की कि केंद्र ने मुफ्त टीके की आपूर्ति का अनुरोध स्वीकार कर लिया.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने कहा, ‘महीनों बाद उन्होंने आखिकार हमारी बात सुनी.’
उन्होंने ट्वीट किया, ‘भारत के लोगों के कल्याण को महामारी की शुरुआत से ही प्राथमिकता दी जानी चाहिए थी. लेकिन दुर्भाग्य से प्रधानमंत्री के इस देर के फैसले से कई जिंदगियां चली गईं. आशा है कि इस बार बेहतर प्रबंधन से टीकाकरण होगा और लोगों पर न कि प्रचार पर ध्यान दिया जाएगा.’
The well-being of the people of India should've been prioritized since the very start of this pandemic. Unfortunately, this delayed decision by PM has already cost many lives.
Hoping for a better managed #VaccinationDrive this time that focuses on people & not propaganda! (2/2)
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) June 7, 2021
नवीन पटनायक ने कहा, ‘हर जिंदगी कीमती है. जब तक सभी को टीका नहीं लग जाता तब तक कोई सुरक्षित नहीं है. एक राष्ट्र के तौर पर हम कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई में एकजुट रहें. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को टीकाकरण को राष्ट्रीय मिशन बनाने के लिए धन्यवाद.’
अमरिंदर सिंह ने कहा कि कोविड-19 टीकों की खरीदारी एवं वितरण का जिम्मा अपने हाथ में लेने का केंद्र का फैसला उन राज्यों के लिए मददगार होगा, जिन्हें टीके खरीदने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
अमरिंदर ने ट्वीट किया, ‘अच्छी बात है कि केंद्र ने पूरे देश में सभी आयु वर्गों के लिए टीकों की खरीदारी एवं वितरण का जिम्मा अपने हाथ में लेने का फैसला किया है. मैंने (प्रधानमंत्री) नरेंद्र मोदी जी को निजी तौर पर दो बार पत्र लिखकर सुझाव दिया था कि कोविड-19 टीकों संबंधी संकट से निपटने का यही एकमात्र उपाय है.’
Thank PM @narendramodi Ji for acceding to our request of central procurement & distribution of vaccine for all age-groups. I had written twice to @narendramodi Ji on this issue and to @drharshvardhan Ji suggesting this as the only feasible solution to #CovidVaccine crisis.
— Capt.Amarinder Singh (@capt_amarinder) June 7, 2021
उन्होंने कहा, ‘इससे मूल्य निर्धारण में भी समानता आएगी, जिसकी वैश्विक महामारी के दौरान बहुत आवश्यकता है. मैं खुश हूं कि प्रधानमंत्री ने हमारा अनुरोध स्वीकार किया.’
नीतीश कुमार ने कहा कि केंद्र का फैसला प्रशंसनीय है और इससे कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ चल रही जंग जीतने में मदद मिलेगी.
पिनराई विजयन ने कहा, ‘माननीय प्रधानमंत्री की कोविड-19 टीका 21 जून से राज्यों को मुफ्त देने की घोषणा इस समय की सबसे बड़ी मांग है. मुझे खुशी है कि हमारे अनुरोध पर प्रधानमंत्री का सकारात्मक जवाब आया.’
हालांकि वामदलों ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ने राज्यों पर जिम्मा डालकर अपनी संदिग्ध भेदभावकारी टीका का बचाव करने का प्रयास किया है.
माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने ट्वीट किया, ‘अब मोदी ने मुफ्त एवं सार्वभौमिक टीकाकरण संबंधी उच्चतम न्यायालय के निर्देश के डर से अपनी नीति छोड़ दी. मोदी सरकार को अब मुफ्त एवं सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम को ईमानदारी से लागू करना चाहिए और कोई बहानेबाजी नहीं करना चाहिए. काफी कुछ करने की जरूरत है. कई जिंदगियां बचानी है.’
The Modi government must now now sincerely implement the free and universal vaccination campaign and not look for excuses. There is a lot to be done. Many lives to be saved. pic.twitter.com/2B823gxVkV
— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) June 7, 2021
स्टालिन ने देश में उत्पादित टीकों का 75 फीसदी खरीदने एवं उन्हें राज्यों को मुफ्त देने के केंद्र के फैसले का स्वागत किया.
उन्होंने कहा, ‘अपने पिछले रुख में बदलाव करने को लेकर मैं प्रधानमंत्री की प्रशंसा करता हूं.’
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सभी के लिए कोरोना टीकाकरण नि:शुल्क किए जाने की घोषणा को जनभावनाओं की जीत बताया है.
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ट्वीट किया, ‘हम माननीय उच्चतम न्यायालय के प्रति आभार प्रकट करते हैं कि उसके हस्तक्षेप के बाद देशभर में सभी आयु वर्गों के लिए टीके उपलब्ध कराए जाएंगे. यदि केंद्र सरकार चाहती तो काफी पहले वह ऐसा कर सकती थी, लेकिन केंद्र की नीतियों की वजह से न तो राज्य टीके खरीद पाये और न हीं केंद्र सरकार उसे दे रही थी.’
मालूम हो कि बीते दो जून को उच्चतम न्यायालय ने 18-44 साल आयु वर्ग के लिए केंद्र की टीकाकरण नीति पर सवाल उठाया था और कहा था कि यह ‘प्रथमदृष्टया मनमानी भरी एवं अतार्किक है.’ शीर्ष अदालत ने केंद्र से अपनी टीकाकरण नीति की समीक्षा करने को कहा था.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि केंद्र सरकार द्वारा दो चरणों में संबंधित समूहों (45 वर्ष से अधिक उम्र) को टीके की मुफ़्त खुराक दी गई और अब राज्यों एवं निजी अस्पतालों को 18-44 साल आयु वर्ग के लोगों से शुल्क वसूलने की अनुमति दी गई है.
शीर्ष अदालत ने यह भी जानना चाहा था कि टीकाकरण के लिए निर्धारित 35,000 करोड़ रुपये अब तक कैसे ख़र्च किए गए और इसका उपयोग 18 से 44 साल के लोगों के टीकाकरण पर क्यों नहीं किया जा सकता.
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट कर कहा, ‘एक और गैर-जरूरी भाषण के लिए प्रधानमंत्री का धन्यवाद, जिसकी जानकारी प्रेस विज्ञप्ति के जरिये भी दी जा सकती थी. टीका नीति को लेकर बदलाव उच्चतम न्यायालय के आदेश का परिणाम जान पड़ता है. हालांकि, भयानक टीका नीति का आरोप राज्यों पर मढ़ दिया गया. मोदी टीका आपूर्ति सुनिश्चित करने में नाकाम रहे.’
Thanks to @PMOIndia for another episode of an unnecessary lecture that could have been a press release. Reversal of vax policy seems to be result of SC's order. Although blame of a terrible vaccine policy has been put on states, it's Modi who failed to ensure vax supply 1/n
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) June 7, 2021
उन्होंने आरोप लगाया कि टीका उत्पादन बढ़ाने को लेकर अप्रैल तक कोई पैसा खर्च नहीं किया गया और कहा कि जुलाई तक टीके की 60 करोड़ खुराक के मुकाबले देश को प्रतिमाह केवल आठ करोड़ खुराक ही मिल पाईं.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, ‘कई राज्यों को 18-44 साल के लोगों के लिए कोविड टीके खरीदे की आजादी दी गई थी, लेकिन कई राज्यों को ऐसा करना मुश्किल लगा. हम आभारी हैं कि प्रधानमंत्री ने इस मुद्दे का समाधान किया.’
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि इससे इस सरकार की संवेदनशीलता एवं प्रतिबद्धता झलकती है.
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने राज्यों को मुफ्त कोरोना वायरस टीका दिए जाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा को लेकर सोमवार को उन्हें धन्यवाद दिया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को घोषणा की कि 18 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों के टीकाकरण के लिए 21 जून से राज्यों को कोरोना वायरस का टीका मुफ्त दिया जाएगा और कहा कि आगामी दिनों में देश में टीका आपूर्ति में पर्याप्त बढ़ोतरी होगी.
प्रधानमंत्री ने कहा था, ‘उम्मीद है कि 21 जून से 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए केंद्र सरकार, राज्य सरकारों को मुफ्त टीका देगी. किसी भी राज्य सरकार को टीके पर कुछ खर्च नहीं करना होगा.’
उन्होंने घोषणा की, ‘देश में बन रहे टीके में से 25 प्रतिशत, निजी क्षेत्र के अस्पताल सीधे ले पाएं, ये व्यवस्था जारी रहेगी. निजी अस्पताल, वैक्सीन की निर्धारित कीमत के उपरांत एक डोज पर अधिकतम 150 रुपये ही सेवा शुल्क ले सकेंगे. इसकी निगरानी करने का काम राज्य सरकारों के ही पास रहेगा.’
गौरतलब है कि बीते दिनों टीकाकरण नीति को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की फटकार लगाई थी और इसे ‘मनमाना’ क़रार देते हुए समीक्षा करने को कहा था.
इससे पहले शीर्ष अदालत के 31 मई के आदेश में उदारीकृत टीकाकरण नीति, केंद्र एवं राज्यों तथा निजी अस्पतालों के लिए टीके के अलग-अलग दाम, उनके आधार, ग्रामीण एवं शहरी भारत के बीच विशाल डिजिटल अंतर के बाद भी टीके के स्लॉट बुक कराने के लिए कोविन ऐप पर अनिवार्य पंजीकरण आदि को लेकर केंद्र के फैसले की आलोचना की गई थी और सरकार से इसके सवालों पर दो सप्ताह में जवाब मांगा गया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)