असम में केवल दो बच्चों की नीति ही मुस्लिमों की ग़रीबी और अशिक्षा दूर कर सकती है: मुख्यमंत्री

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा कि उनके राज्य के मुस्लिम अल्पसंख्यकों में गरीबी और निरक्षरता को मिटाने का एकमात्र तरीका दो बच्चों की नीति है. उन्होंने कहा कि असम अपनी वार्षिक जनसंख्या वृद्धि 1.6 प्रतिशत रखने में कामयाब रहा है, लेकिन जब हम सांख्यिकी की तह में जाते हैं तो पाते हैं कि मुस्लिम आबादी 29 प्रतिशत की दर (दशकीय) से बढ़ रही है, जबकि हिंदू आबादी 10 प्रतिशत की दर से बढ़ रही.

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असम के मंत्री हिमंता बिस्वा सरमा. (फोटो साभार: फेसबुक/@himantabiswasarma)

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा कि उनके राज्य के मुस्लिम अल्पसंख्यकों में गरीबी और निरक्षरता को मिटाने का एकमात्र तरीका दो बच्चों की नीति है. उन्होंने कहा कि असम अपनी वार्षिक जनसंख्या वृद्धि 1.6 प्रतिशत रखने में कामयाब रहा है, लेकिन जब हम सांख्यिकी की तह में जाते हैं तो पाते हैं कि मुस्लिम आबादी 29 प्रतिशत की दर (दशकीय) से बढ़ रही है, जबकि हिंदू आबादी 10 प्रतिशत की दर से बढ़ रही.

असम के मंत्री हिमंता बिस्वा सरमा. (फोटो साभार: फेसबुक/@himantabiswasarma)
असम के मंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा. (फोटो साभार: फेसबुक/@himantabiswasarma)

गुवाहाटी: असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा है कि उनके राज्य के मुस्लिम अल्पसंख्यकों में गरीबी और निरक्षरता को मिटाने का एकमात्र तरीका दो बच्चों की नीति है. उन्होंने कहा कि समुदाय में काम कर रहे संगठनों ने इस तरह की नीति सहित अच्छे परिवार नियोजन मानदंडों को अपनाने के उनके प्रस्ताव का स्वागत किया है.

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, गुवाहाटी में शनिवार को मीडिया से बातचीत में शर्मा ने कहा, ‘इस नीति को लेकर मुस्लिम समुदाय लोगों से कोई विरोध नहीं है. ऑल-असम माइनॉरिटी स्टूडेंट्स यूनियन के दो धड़े पिछले एक महीने में मुझसे दो बार मिले और खुले तौर पर दो बच्चे की नीति का प्रस्ताव का स्वागत करते हुए कहा कि असम के मुसलमानों को जनसंख्या नियंत्रण उपायों की जरूरत है.’

उन्होंने कहा, ‘मैं जुलाई में बहुत से मुस्लिम बुद्धिजीवियों से मिल रहा हूं और मुझे यकीन है कि वे राज्य सरकार की नीतियों का समर्थन करेंगे, क्योंकि यही एकमात्र तरीका है, जिसके माध्यम से असम के मुस्लिम अल्पसंख्यकों समुदाय से गरीबी और अशिक्षा को मिटाया जा सकता है.’

उन्होंने कहा कि चार जुलाई को उन्होंने 150 मुस्लिम बुद्धिजीवियों को मुलाकात के लिए आमंत्रित किया है. उन्होंने समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले विभिन्न सामाजिक-राजनीतिक संगठनों के साथ गहन चर्चा करने की भी योजना बनाई है.

रिपोर्ट के अनुसार, शर्मा ने कुछ दिनों पहले घोषणा की थी कि राज्य द्वारा संचालित कल्याणकारी योजनाओं में दो बच्चों की नीति को धीरे-धीरे लागू किया जाएगा. उनकी सरकार जुलाई में विधानसभा के अगले बजट सत्र के दौरान इसे लागू करने के लिए नया कानून भी ला सकती है.

मालूम हो कि प्रस्ताव और इसे लेकर की जा रही बयानबाजी को राज्य की बांग्लादेशी मूल की मुस्लिम आबादी को लक्षित करने के रूप में देखा जा रहा है.

पिछले दो विधानसभा चुनावों, जिसमें भाजपा ने जीत दर्ज की है, पार्टी ने इस बात पर बहुत अधिक भरोसा किया है कि उसे अवैध प्रवासियों के खिलाफ असम के स्वदेशी समुदायों की रक्षा करनी है.

उन्होंने समाचार एजेंसी पीटीआई/भाषा को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि राज्य सरकार का प्राथमिक लक्ष्य स्वास्थ्य एवं शैक्षणिक गतिविधियों का प्रसार करना तथा इस तरह के कदमों (दो बच्चे की नीति) के जरिये मुस्लिम आबादी की वृद्धि पर रोक लगाना है.

शर्मा ने कहा कि हालांकि इस तरह का रुख समुदाय के अंदर से ही आना होगा, क्योंकि जब सरकार ‘बाहर से ऐसा करेगी तो इसका राजनीतिक आधार पर मतलब निकाला जाएगा.’

मुख्यमंत्री ने जोर देते हुए कहा, ‘यह एक राजनीतिक मुद्दा नहीं है, बल्कि यह हमारी माताओं और बहनों की भलाई के लिए तथा इन सबसे ऊपर, समुदाय के कल्याण के लिए है.’

उन्होंने दावा किया कि असम अपनी वार्षिक जनसंख्या वृद्धि 1.6 प्रतिशत रखने में कामयाब रहा है, लेकिन ‘जब हम सांख्यिकी की तह में जाते हैं तो यह पाते हैं कि मुस्लिम आबादी 29 प्रतिशत की दर (दशकीय) से बढ़ रही है, जबकि हिंदू आबादी 10 प्रतिशत की दर से बढ़ रही.’

उन्होंने कहा, ‘हमारे नीतिगत मानकों में विश्वविद्यालय स्तर तक लड़कियों के लिए मुफ्त शिक्षा जैसे कुछ प्रोत्साहन, अल्पसंख्यक महिलाओं का वित्तीय समावेशन, पंचायतों और सरकारी नौकरियों में आरक्षण तथा अल्पसंख्यक इलाकों में कॉलेजों और विश्वविद्यालय खोला जाना शामिल होगा.’

गौरतलब है कि उन्होंने हाल ही में कहा था कि उनकी सरकार दो बच्चों के नियम के साथ एक जनसंख्या नीति लाने की योजना बना रही है और इसका पालन करने वाले परिवारों को खास योजनाओं के तहत लाभ मिलेगा. इस तरह का एक नियम पंचायत चुनाव लड़ने के लिए और राज्य सरकार की नौकरियों के लिए मौजूद है.

यह पूछे जाने पर कि राज्य में अतिक्रमणकारियों को हटाए जाने अभियान के दौरान क्या एक खास समुदाय को निशाना बनाया गया है, मुख्यमंत्री ने कहा, ‘ऐसा बाहर से प्रतीत होता है, लेकिन भला कौन वन का अतिक्रमण करने की अनुमति देगा? यह महज संयोग है कि हटाए गए कुछ लोग एक धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय से हैं.’

उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय ने यह सुनिश्चित करने के लिए नियमित रूप से आदेश जारी किया है कि वन आच्छादन न घटे. उन्होंने कहा, ‘यह एक राष्ट्रीय चिंता है और मैं राष्ट्रीय नीति के अनुरूप काम कर रहा हूं.’

उन्होंने कहा कि हाल ही में कुछ हिंदुओं और असमी समुदाय के लोगों को शहर के एक इलाके से हटाया गया था और ऐसा नहीं है कि हम सिर्फ अल्पसंख्यकों को निशाना बना रहे हैं, लेकिन दुर्भाग्य से अल्पसंख्यक समुदाय अतिक्रमण करने में कहीं अधिक संलिप्त है.

मुख्यमंत्री के तौर पर अपनी प्राथमिकताओं के बारे में शर्मा ने कहा कि बाढ़ और भूमि कटाव जैसी कुछ समस्याएं हैं, जिनका हल अवश्य निकाला जाना चाहिए.

 

गौरतलब है कि उन्होंने हाल ही में कहा था कि उनकी सरकार दो बच्चों के नियम के साथ एक जनसंख्या नीति लाने की योजना बना रही है और इसका पालन करने वाले परिवारों को खास योजनाओं के तहत लाभ मिलेगा. इस तरह का एक नियम पंचायत चुनाव लड़ने के लिए और राज्य सरकार की नौकरियों के लिए मैाजूद है.

शर्मा ने कहा था कि असम सरकार राज्य द्वारा वित्तपोषित विशेष योजनाओं के तहत लाभ लेने के लिए चरणबद्ध तरीके से दो बच्चे की नीति को लागू करेगी.

मालूम हो कि पिछले महीने मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले हिमंता बिस्वा शर्मा सरकारी योजनाओं के तहत लाभ लेने के लिए दो बच्चों के नियम की वकालत करते रहे हैं.

शर्मा ने 10 जून को तीन जिलों से हाल ही में बेदखली के बारे में बात की थी और अल्पसंख्यक समुदाय से गरीबी को कम करने के लिए जनसंख्या नियंत्रण को लेकर शालीन परिवार नियोजन नीति अपनाने का आग्रह किया था.

शर्मा ने बड़े परिवारों के लिए प्रवासी मुस्लिम समुदाय को जिम्मेदार ठहराया था, उनके इस बयान की ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) सहित विभिन्न हलकों से तीखी प्रतिक्रिया आई थी.

असम में 2018 में असम पंचायत कानून, 1994 में किए गए संशोधन के अनुसार पंचायत चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता और चालू अवस्था में शौचालयों के साथ-साथ दो बच्चों का मानदंड है.

पूर्वोत्तर राज्यों के लिए एकीकृत नीति बनाने में बड़ी बाधा है सीमा विवाद: शर्मा

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व शर्मा ने कहा कि पूर्वोत्तर के राज्यों के बीच अंतर-राज्य सीमा विवादों का समाधान उनकी सरकार की प्राथमिकता होगी, जो इस क्षेत्र के लिए एकीकृत नीति बनाने में एक बड़ी बाधा है.

शर्मा ने कहा कि पूर्वोत्तर का ‘द्वार’ होने के नाते राज्य का विकास इस क्षेत्र से जुड़ा है, लेकिन मौजूदा सीमा विवादों के चलते नीतियों में एकरूपता लाना संभव नहीं है.

उन्होंने कहा कि सीमाएं बरकरार रखने को लेकर एक तरह की प्रतिद्वंद्विता है और यह इस क्षेत्र के लिए एकीकृत नीति बनाने में एक बड़ी बाधा के तौर पर पेश आती है.

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘क्षेत्र के विकास में एक लंबा रास्ता तय करने के लिए हमारे सिस्टर स्टेट (पूर्वोत्तर के राज्यों) के बीच सीमा विवादों को हल करना और पर्यटन, बुनियादी ढांचे के विकास तथा कनेक्टिविटी जैसे विभिन्न नीतिगत दृष्टिकोणों में एकरूपता लाना मेरी सरकार के महत्वपूर्ण उद्देश्यों में से है.’

असम का नगालैंड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम के साथ सीमा विवाद रहा है और इन सभी राज्यों में उन दलों की सरकारे हैं, जो नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (नेडा) का हिस्सा हैं. शर्मा नेडा के संयोजक है. नेडा इस क्षेत्र में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का संस्करण है.

शर्मा से जब यह पूछा गया कि क्या नेडा संयोजक होने से सीमा विवाद को सुलझाने का काम आसान या मुश्किल हो जाता है तो उन्होंने कहा, ‘एक मुख्यमंत्री के रूप में मुझे अपने राज्य के हितों की रक्षा करनी है और ऐसा करने में कुछ प्रतिक्रियाएं निश्चित रूप से होंगी. अन्य राज्यों में भी यह मुद्दा असीम भावनाओं से जुड़ा है.’

उन्होंने कहा कि एक मुख्यमंत्री के नाते सीमा विवाद वाले राज्यों के साथ काम करने में कुछ समस्याएं हैं, लेकिन साथ ही यह सहायक भी हो सकती हैं.

शर्मा ने कहा, ‘यह सहायक भी हो सकती है, क्योंकि हमने अन्य राज्यों में अपने सहयोगियों के साथ समय रहते संबंध स्थापित किए हैं, जिसका उपयोग इन मुद्दों को हल करने के लिए किया जा सकता है. इसलिए, मुश्किलें और आसानी दोनों हैं.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)