मध्य प्रदेश के खरगोन ज़िले का मामला. ज़िला खनन अधिकारी की शिकायत के आधार पर यह एफ़आईआर दर्ज की गई है, जिन्होंने छह पत्रकारों पर अभद्रता करने और जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है. पत्रकारों ने इससे इनकार किया है. पत्रकार दो ठेकेदारों से संबंधित अवैध रेत खनन के मामले को लेकर उनसे बयान लेने गए थे.
भोपालः मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में एक जिला खनन अधिकारी के साथ कथित तौर पर विवाद के बाद छह पत्रकारों के खिलाफ सोमवार को उपद्रव करने और आपराधिक बल का प्रयोग करने सहित कई धाराओं में मामला दर्ज किया गया है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, जिला खनन अधिकारी सावन चौहान की शिकायत के आधार पर यह एफआईआर दर्ज की गई है, जिसमें छह पत्रकारों आसिफ खान, प्रवीण पाल, वाहिद खान, पवन कुमार सोलंकी, प्रदीप गांगले और धर्मेंद्र चौहान का नाम शामिल हैं.
खनन अधिकारी चौहान की कोतवाली थाने में लिखित शिकायत में कहा गया है कि एक जुलाई को जब वह अपने ऑफिस में थे, उस समय छह आरोपी दो ठेकेदारों से संबंधित अवैध रेत खनन पर स्टोरी को लेकर उनका बयान लेने आए थे.
शिकायत में कहा गया, ‘आसिफ खान और अन्य पत्रकारों ने गाली-गलौच करनी शुरू कर दी और बयान देने के लिए दबाव बनाया, लेकिन मेरे इनकार करने पर उन्होंने मुझे अपशब्द कहे, जातिसूचक टिप्पणियां कीं और यहां तक कि मुझे मारने की भी धमकी दी. मुझे उनका यह व्यवहार अत्यंत आपत्तिजनक लगा और इससे मुझे शर्मिंदगी हुई.’
हालांकि, आरोपियों ने इन आरोपों से इनकार किया है.
वेब पोर्टल ‘दैनिक सच एक्सप्रेस’ से जुड़े पत्रकार प्रदीप गांगले ने कहा कि वे लोग कुमारखेड़ा, उमरकली और पास के मोहना गांवों के ग्रामीणों की शिकायत पर स्टोरी के लिए चौहान के पास बयान लेने गए थे. ग्रामीणों का आरोप था कि उनके गांव में रेत से भरे भारी वाहनों की आवाजाही बहुत बढ़ गई है.
गांगले ने कहा, ‘हमने अपॉइंटमेंट लिया था लेकिन जब हम चौहान के ऑफिस गए, हमें दस मिनट इंतजार करने को कहा गया. ऑफिस के बाहर कुछ मिनट इंतजार करने के बाद चौहान आए और जाने लगे. हमने उनसे बयान देने के लिए कहा, जिसका हम इंतजार कर रहे थे, लेकिन उन्होंने हमें अपशब्द कहे.’
न्यूज नेशन से जुड़े पत्रकार वाहिद खान ने कहा कि चौहान ने एफआईआर में दो प्रत्यक्षदर्शियों दिनेश यादव और अमित भावसरे का उल्लेख किया है, जो खुद रेत खनन कॉन्ट्रैक्टर हैं और अवैध रेत खनन में शामिल हैं.
वाहिद ने कहा, ‘भाजपा के युवा मोर्चा में दिनेश यादव महामंत्री के पद पर हैं, जबकि भावसरे भाजपा कार्यकर्ता हैं. वह चौहान के साथ थे, जब हम अवैध रेत खनन पर स्टोरी को लेकर उनसे मिलने गए. ये दोनों सुविधाजनक ढंग से मामले में प्रत्यक्षदर्शी बनाए गए हैं.’
इस मामले पर दिनेश यादव ने कहा, ‘ठेका आरके गुप्ता एंड कंपनी को दिया गया है, जबकि मैं खरगोन नगर में इसका सिर्फ प्रबंधन कर रहा हूं. हम पूरी रॉयल्टी दे रहे हैं और हाल ही में कलेक्टर ने हमारे काम को सराहा है. ये आरोप पूरी तरह से निराधार हैं.’
खरगोन जिला पत्रकार संघ के अध्यक्ष सुनील शर्मा के साथ छह आरोपी पत्रकारों ने लिखित ज्ञापन में कहा है कि खरगोन में रेत खनन का ठेका आरके गुप्ता एंड कंपनी को दिया गया है, जबकि खरगोन नगर से दिनेश यादव और अमित भावसरे अवैध खनन कर रहे हैं.
ज्ञापन में कहा गया, ‘दोनों अवैध तरीके से रेत खनन कर रहे हैं, जिसका अन्य रेत कारोबारियों ने विरोध किया है. इस मामले में लिखित शिकायत जिला प्रशासन को की गई है और इसी संदर्भ में छह पत्रकार बयान लेने के लिए खनन अधिकारी के पास गए थे.’
हालांकि, पत्रकार प्रदीप गांगले के मुताबिक, ‘लगभग दो घंटों तक इंतजार करने के बावजूद वे जिला कलेक्टर को ज्ञापन नहीं सौंप सके.’
कृषि मंत्री कमल पटेल ने सोमवार शाम को ट्वीट कर कहा कि छह पत्रकारों के खिलाफ गलत तरीके से मामला दर्ज किया गया है.
पटेल ने कहा, ‘मैंने पुलिस अधीक्षक से निष्पक्ष जांच करने को कहा है.’
पत्रकारों द्वारा लगाए गए आरोपों पर खनन अधिकारी चौहान ने कहा, ‘कंपनी को ठेका दिया गया और कॉन्ट्रैक्टर नियुक्त किए गए. वे नियमित काम के लिए नियमित तौर पर हमारे ऑफिस आते हैं. मैं पहले भी उन्हें अवैध खनन पर बयान दे चुका हूं.’