असम में बीते दो महीने में कथित तौर पर हिरासत से भागने का प्रयास कर रहे क़रीब 12 संदिग्ध अपराधियों को मार गिराया गया है, जिसे लेकर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप जारी हैं. मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने मुठभेड़ों को उचित ठहराते हुए कहा कि आरोपी पहले गोली चलाए या भागने की कोशिश करे, तो क़ानूनन पुलिस को गोली चलाने की अनुमति है.
गुवाहाटी: असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने पदभार संभालने के बाद हुए कई मुठभेड़ों को उचित ठहराते हुए सोमवार को कहा कि अपराधी अगर भागने का प्रयास करते हैं या गोलीबारी करने के लिए पुलिस से हथियार छीनते हैं तो मुठभेड़ पैटर्न होना चाहिए.
असम में मुठभेड़ की बढ़ती संख्या को लेकर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप तेज हो गये हैं. राज्य में हिरासत से ‘भागने का प्रयास कर रहे’ करीब एक दर्जन संदिग्ध उग्रवादियों और अपराधियों को हालिया समय में मुठभेड़ में मार गिराया गया है.
शर्मा ने असम के सभी थाने के प्रभारियों के साथ पहली आमने-सामने की बैठक में कहा, ‘अगर कोई आरोपी सर्विस बंदूक छीनकर भागने का प्रयास करता है या भागता है और अगर वह बलात्कारी है तो कानून ऐसे लोगों के पैर में गोली मारने की इजाजत देता है, न कि छाती में.’
गृह विभाग संभाल रहे हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा, ‘जब कोई मुझसे पूछता है कि क्या राज्य में मुठभेड़ का पैटर्न बन गया है तो मैंने कहा कि अगर अपराधी पुलिस हिरासत से भागने का प्रयास करता है तो (मुठभेड़) पैटर्न होना चाहिए.’
शर्मा ने कहा कि आरोपी या अपराधी पहले गोली चलाते हैं या भागने का प्रयास करते हैं तो कानून में पुलिस को गोली चलाने की अनुमति है.
उन्होंने कहा, ‘सामान्य प्रक्रिया में आरोपी पर आरोप पत्र दायर किया जाएगा और उसे दंड दिलाया जाएगा लेकिन अगर कोई भागने का प्रयास करता है तो कतई बर्दाश्त नहीं करने का रूख अपनाएंगे.’
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, शर्मा ने यह भी कहा कि कथित पशु तस्करों के साथ पुलिस को समान रूप से सख्त होना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘गायों की तस्करी करने वालों को हर कीमत पर पकड़ा जाना चाहिए. यहां तक कि मैं यह भी नहीं चाहता कि यह चार्जशीट के चरण तक जाए क्योंकि हमें गायों को संरक्षित करने की आवश्यकता है. गाय हमारे लिए एक भगवान की तरह है.’
उन्होंने विशेष रूप से पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश (श्रीरामपुर, गोसाईगांव, धुबरी और सगोलिया) की सीमा से लगे जिलों के प्रभारी अधिकारियों को इस पर ध्यान देने के लिए कहा.
मई में जब से शर्मा ने कार्यभार संभाला है, तब से कम से कम आठ कथित अपराधियों- जिन्हें मवेशी-तस्करी, बलात्कार, हत्या और नशीली दवाओं की तस्करी के लिए पकड़ा गया था – को हिरासत में गोलियों से जख्मी होना पड़ा. पुलिस का दावा है कि उन्होंने भागने की कोशिश की थी.
यह उस समय हुआ है जब शर्मा सरकार ने अन्य संगठित अपराधों के साथ-साथ मादक पदार्थों की तस्करी और पशु-तस्करी के खिलाफ बड़े पैमाने पर अभियान की घोषणा की है.
शर्मा ने कहा, ‘पुलिस के पास मुठभेड़ों का कोई अधिकार नहीं है. लोकतंत्र में अपराध का मुकाबला कानून से होता है मुठभेड़ से नहीं. ये तभी होते हैं जब कोई दूसरा साधन न हो.’
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामलों में सख्त रुख अपनाने के लिए कहा है. उन्होंने कहा, ‘अपराधी, विशेष रूप से बलात्कारी, चाहे वे किसी भी समुदाय के हों, उन्हें बख्शा नहीं जाना चाहिए.’
राज्य में मई के बाद करीब 12 संदिग्ध उग्रवादी और अपराधी मुठभेड़ में मारे गए हैं क्योंकि कथित तौर पर उन्होंने हिरासत से भागने का प्रयास किया, वहीं बलात्कार के आरोपियों और पशु तस्करों सहित कई अन्य मुठभेड़ में जख्मी हुए हैं.
इस तरह के मुठभेड़ों की बढ़ती संख्या को लेकर राज्य में राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप तेज हो गया है. विपक्ष ने आरोप लगाया है कि इस सरकार में असम पुलिस क्रूर हो गई है.
मुठभेड़ों में इजाफे पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए विपक्ष के नेता देबब्रत सैकिया ने दावा किया था कि असम पुलिस अपनी कमी को छिपाने और नई सरकार को खुश करने के लिए ऐसा कर रही है.
वहीं, रायजोर दल के प्रमुख और विधायक अखिल गोगोई ने भी आरोप लगाया था कि मुठभेड़ के नाम पर पुलिस द्वारा सरेआम हत्या की जा रही है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)