एल्गार परिषद मामले में गिरफ़्तार अधिवक्ता सुरेंद्र गाडलिंग की मां का पिछले साल 15 अगस्त को निधन हो गया था. एल्गार परिषद मामले में गाडलिंग जैसे गिरफ़्तार आरोपियों को अपनी मां के अंतिम संस्कार जैसे महत्वपूर्ण मामलों में भी अस्थायी ज़मानत मुश्किल से मिल रही है. स्टेन स्वामी को भी उनके ख़राब स्वास्थ्य के बावजूद मेडिकल ज़मानत नहीं दी गई थी. बीते पांच जुलाई को उनका निधन हो गया.
मुंबईः एल्गार परिषद मामले में आरोपी सुरेंद्र गाडलिंग ने मंगलवार को बॉम्बे हाईकोर्ट से अनुरोध किया कि उन्हें अगले महीने उनकी मां की पहली पुण्यतिथि के मौके पर कुछ रस्मों में भाग लेने के लिए अस्थायी जमानत दी जाए.
गाडलिंग ने जमानत के लिए पिछले साल भी हाईकोर्ट से गुहार लगाई थी.
गाडलिंग ने पिछले साल जमानत के लिए उच्च न्यायालय में गुहार लगाई थी. वकील इंदिरा जयसिंह और आर सत्यनारायण के जरिये दायर की गई याचिका में गाडलिंग ने विशेष अदालत के 2020 के फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें उनकी मां के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए अस्थायी जमानत की याचिका को खारिज कर दिया गया था.
गाडलिंग को पुणे पुलिस द्वारा जून 2018 में गिरफ्तार किया गया था और तब से वह नवी मुंबई की तलोजा जेल में बंद हैं. इस मामले की छानबीन बाद में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने अपने हाथ में ले ली थी. गाडलिंग की मां की 15 अगस्त 2020 को मौत हो गई थी.
गाडलिंग ने इसके बाद मुंबई में विशेष एनआईए की अदालत (जहां मामले को स्थानांतरित कर दिया गया था) के समक्ष अस्थायी जमानत याचिका दायर करते हुए तीन हफ्तों के लिए जेल से रिहाई की मांग की थी, ताकि वह अपनी मां के अंतिम संस्कार में भाग ले सके, लेकिन उनकी याचिका खारिज कर दी गई.
इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट का रुख किया, जहां उनकी याचिका को कई बार स्थगित किया जा चुका है.
हालांकि मंगलवार को इंदिरा जयसिंह ने जस्टिस एसएस शिंदे और जस्टिस एनजे इनामदार की पीठ से गाडलिंग को जमानत देने का अनुरोध किया.
गाडलिंग को अस्थायी जमानत देने का आग्रह करते हुए जयसिंह ने हाईकोर्ट से कहा, ‘उनकी मां का अंतिम संस्कार की रस्मों को अब तक पूरानहीं किया गया है और उनकी पहली पुण्यतिथि पर 15 अगस्त, 2021 को इसकी योजना बनाई गई है.’
अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 22 जुलाई की तारीख तय की है.
बता दें कि मामले की सुनवाई ऐसे समय पर शुरू हुई है, जब सरकारी एजेंसियों पर कैदियों के ऊपर से मामले हटाने और उन्हें रिहा करने का दबाव है. इस मामले को मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के खिलाफ विच हंट कहा जाता है.
एल्गार परिषद मामले में गिरफ्तार 16 कार्यकर्ताओं में से एक 84 साल के फादर स्टेन स्वामी का सोमवार को हिरासत के दौरान निधन हो गया था.
अमेरिकी डिजिटल फॉरेंसिक कंपनी ने मंगलवार को एक रिपोर्ट जारी कर बताया कि गाडलिंग के कंप्यूटर से मिले तथाकथित साक्ष्यों को दरअसल साइबर हमले के जरिये उनके कंप्यूटर में प्लांट किया गया था और हैकर के पास गाडलिंग के कंप्यूटर का एक्सेस लंबे समय तक रहा.
आर्सेनल कंसल्टिंग की रिपोर्ट के मुताबिक, दरअसल गाडलिंग के कंप्यूटर से मिले तथाकथित 14 दस्तावेजों के आधार पर एनआईए उन्हें तीन से अधिक सालों तक जेल में रखा है और ये साक्ष्य प्लांट किए हुए हैं और इन्हें नेटवायर मालवेयर के जरिये कंप्यूटर में प्लांट किया गया था.
बीते महीनों में जारी फॉरेंसिक कंपनी की यह तीसरी रिपोर्ट है. इससे पहले आठ फरवरी 2021 और 27 मार्च 2021 को दो और रिपोर्ट जारी की गई थी. यह रिपोर्ट गाडलिंग के साथ इस मामले में गिरफ्तार किए गए अधिकार कार्यकर्ता रोना विल्सन के लैपटॉप में छेड़छाड़ कर प्लांट किए गए सबूतों से जुड़ी हुई थी.
पूरे मामले पर इन गंभीर सवालों के बावजूद गाडलिंग जैसे गिरफ्तार आरोपियों को अपनी मां के अंतिम संस्कार जैसे महत्वपूर्ण मामलों के लिए भी अस्थायी जमानत मुश्किल से मिल रही है. दिवंगत स्टेन स्वामी को भी बॉम्बे हाईकोर्ट में उनकी याचिका और उनके खराब स्वास्थ्य के बावजूद मेडिकल जमानत नहीं दी गई थी.
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