पत्रकार के साथ मारपीट करने वाले यूपी के अधिकारी पर हो कड़ी कार्रवाई: एडिटर्स गिल्ड

बीते दिनों उन्नाव में मुख्य विकास अधिकारी द्वारा एक पत्रकार को पीटने का वीडियो सामने आया था. गिल्ड ने कहा है कि भले ही सीडीओ ने माफ़ी मांग ली है, लेकिन प्रशासन का मनमाना रवैया मीडिया के लोकतांत्रिक अधिकारों को नुकसान पहुंचा रहा है. प्रदेश में पत्रकारिता के माहौल में सुधार के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए.

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उन्नाव में पत्रकार की पिटाई करते मुख्य विकास अधिकारी. (फोटो: स्क्रीनग्रैब/@manishjagan)

बीते दिनों उन्नाव में मुख्य विकास अधिकारी द्वारा एक पत्रकार को पीटने का वीडियो सामने आया था. गिल्ड ने कहा है कि भले ही सीडीओ ने माफ़ी मांग ली है, लेकिन प्रशासन का मनमाना रवैया मीडिया के लोकतांत्रिक अधिकारों को नुकसान पहुंचा रहा है. प्रदेश में पत्रकारिता के माहौल में सुधार के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए.

उन्नाव में पत्रकार की पिटाई करते मुख्य विकास अधिकारी. (फोटो: स्क्रीनग्रैब/@manishjagan)

नई दिल्ली: एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (ईजीआई) ने उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में पिछले सप्ताह एक पत्रकार पर हमला करने के लिए राज्य सरकार के एक अधिकारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की सोमवार को मांग की.

गिल्ड ने एक बयान में कहा, ‘उत्तर प्रदेश में स्वतंत्र पत्रकारिता के माहौल में सुधार के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए.’ उसने कहा कि वह पत्रकारों और मीडिया के संबंध में मनमानी के रवैए को लेकर बहुत परेशान है.

यह टिप्पणी ऐसे  समय आई है जब एक पत्रकार ने आरोप लगाया है कि उन्नाव में एक मतदान केंद्र से रिपोर्टिंग करते समय मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) दिव्यांशु पटेल और भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा उनकी पिटाई की गई थी. घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था.

बयान में कहा गया है कि मुख्य विकास अधिकारी दिव्यांशु पटेल ने 10 जुलाई को उन्नाव में कृष्ण तिवारी के साथ मारपीट की थी, जब पत्रकार ब्लॉक प्रमुख चुनाव के लिए मतदान को कवर कर रहे थे. हालांकि बाद में अधिकारी ने घटना के लिए पत्रकार से माफी मांगी.

 

एडिटर्स गिल्ड ने कहा, ‘सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में स्थानीय पत्रकार कृष्ण तिवारी को दिव्यांशु पटेल (सीडीओ) और कथित तौर पर कुछ भाजपा कार्यकर्ता पीटते दिख रहे हैं.’

गिल्ड ने इस घटना को ‘बेहद निंदनीय और कार्रवाई योग्य’ करार दिया और कहा कि भले ही सीडीओ ने पत्रकारों से माफी मांग ली है, लेकिन प्रशासन का मनमाना रवैया मीडिया के लोकतांत्रिक अधिकारों को नुकसान पहुंचा रहा है. यह तब और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है जब राज्य में अगले साल चुनाव होने हैं.

ईजीआई ने मांग की कि अधिकारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और राज्य में स्वतंत्र पत्रकारिता के माहौल में सुधार के लिए ठोस कदम उठाए जाएं.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, एडिटर्स गिल्ड ने कहा कि एक राज्य प्राधिकरण द्वारा एक पत्रकार पर हमले की नवीनतम घटना उत्तर प्रदेश में पत्रकारों के खिलाफ बढ़ते उत्पीड़न की पृष्ठभूमि में आई है, क्योंकि प्रशासन ने राज्य की ज्यादतियों और महामारी के प्रबंधन पर स्वतंत्र रूप से रिपोर्टिंग करने वाले कई पत्रकारों को डराने-धमकाने के प्रयास में दंडित और कैद किया है.

गिल्ड ने कहा कि अक्टूबर 2020 में हाथरस में एक दलित महिला के बलात्कार और हत्या की रिपोर्ट करने के दौरान गिरफ्तार किए गए पत्रकार सिद्दीकी कप्पन, परिवार और नागरिक समाज द्वारा निष्पक्ष जांच और उपचार देने की कई अपीलों के बावजूद, कठोर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत जेल में बंद हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)