असम में बीते 25 सालों में हुई 2.15 लाख करोड़ की अनियमितताओं का अब तक जवाब नहीं: कैग

कैग ने असम विधानसभा में पेश की गई एक रिपोर्ट में खुलासा किया कि असम सरकार के विभिन्न विभागों में 1994 से लेकर अगले 25 वर्षों के दौरान हुई 2,15,286 करोड़ रुपये की जिन कथित अनियमितताओं का उसने उजागर किया था, उससे संबंधित प्रश्नों का राज्य सरकार उत्तर नहीं दे पाई. 

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असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा. (फोटो: पीटीआई)

कैग ने असम विधानसभा में पेश की गई एक रिपोर्ट में खुलासा किया कि असम सरकार के विभिन्न विभागों में 1994 से लेकर अगले 25 वर्षों के दौरान हुई 2,15,286 करोड़ रुपये की जिन कथित अनियमितताओं का उसने उजागर किया था, उससे संबंधित प्रश्नों का राज्य सरकार उत्तर नहीं दे पाई.

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा. (फोटो: पीटीआई)

गुवाहाटी: नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने कहा कि असम सरकार के विभिन्न विभागों में 1994 से लेकर अगले 25 वर्षों के दौरान हुई 2,15,286 करोड़ रुपये की जिस कथित अनियमितताओं का उसने उजागर किया था, उससे संबंधित प्रश्नों का राज्य सरकार उत्तर नहीं दे पायी.

कैग ने असम विधानसभा में पेश की गई एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया है.

कैग ने 31 मार्च, 2019 को समाप्त हुए वित्त वर्ष के लिए सामाजिक, आर्थिक (गैर-पीएसयू) और सामान्य क्षेत्रों पर जारी अपनी रिपोर्ट में कहा कि राज्य सरकार के 55 विभागों की जांच करते हुए 1994-95 और 2018-19 के बीच जारी 2,734 निरीक्षण रिपोर्टों (आईआर) में कथित अनियमितताओं का उल्लेख किया गया था.

असम विधानसभा के मौजूदा बजट सत्र के दौरान प्रस्तुत की गई इस रिपोर्ट में कहा गया है दिसंबर 2018 तक जारी किए गए आईआर में से 6,385 आईआर से संबंधित 39,479 मामलों का जून 2019 के अंत तक निपटारा नहीं हुआ था.

कैग ने कहा कि यह निरीक्षण रिपोर्टें विभिन्न विभागों जैसे सार्वजनिक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग, लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी), जल संसाधन, सिंचाई और अंतर्देशीय जल परिवहन और अन्य विभागों से संबंधित हैं.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, रिपोर्ट में कहा गया है कि 1,208 आईआर के 5,262 पैरेग्राफ में उठाई गई आपत्तियों का बीते 10 सालों या उससे अधिक समय से जवाब नहीं दिया गया है. इतना ही नहीं आरंभिक जवाब, जो कि रिपोर्ट मिलने के चार सप्ताह में संबंधित विभागों के प्रमुखों द्वारा दिए जाने जरूरी हैं, भी नहीं दिए गए. यह जवाब नहीं देने वाले विभागों की संख्या 55 है.

कैग ने कहा, ‘परिणामस्वरूप 39,591 पैराग्राफों के माध्यम से गंभीर अनियमितताओं पर टिप्पणी की गई थी, जिसमें 2,15,285.77 करोड़ रुपये  की अनियमितताएं शामिल थे, जिनके जवाब जून 2019 तक नहीं दिया गया था.’

कैग ने आंकड़े का विवरण देते हुए कहा कि 24,240.61 करोड़ रुपये की कथित अनियमितताएं नकदी की कस्टडी और हैंडलिंग, कैश बुक और मस्टर रोल के रखरखाव के संबंध में नियमों का पालन न करने से संबंधित थीं.

अनुदान सहायता के लंबित उपयोगिता प्रमाण पत्र और लेखा परीक्षित खातों के परिणामस्वरूप 9,381.61 करोड़ रुपये की संभावित अनियमितताएं हुईं, जबकि प्राप्तियों, अग्रिमों और अन्य शुल्कों की वसूली में देरी से ​​8,821.35 करोड़ रुपये की कथित अनियमितताएं हुईं.

कैग ने कहा कि वास्तविक भुगतानकर्ताओं की वांछित प्राप्ति का अनुमान 7,309.12 करोड़ रुपये था, नकद और स्टोर रखने वाले व्यक्तियों से प्रतिभूतियों की प्राप्ति 1,056.29 करोड़ रुपये थी, और अधिक भुगतान की गैर-वसूली 673.62 करोड़ रुपये पाई गई थी.

इसमें कहा गया है कि स्टोर का ठीक से रखरखाव न करने से सरकारी खजाने को 602.28 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, जबकि 155.54 करोड़ रुपये कथित अनियमितताओं को ऋण और नुकसान को बट्टे खाते में डालने की मंजूरी के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है.

कैग ने कथित अनियमितताओं के 1,63,045.36 करोड़ रुपये को ‘अन्य’ मद में रखा है.

रिपोर्ट में कहा, ’55 विभागों के संबंध में निरीक्षण प्रतिवेदनों का उत्तर प्राप्त न होना विभागाध्यक्षों (निदेशकों/कार्यपालक अभियंताओं) की ओर से लेखापरीक्षा द्वारा इंगित त्रुटियों, चूकों एवं अनियमितताओं के संबंध में कार्रवाई प्रारंभ करने में विफलता का सूचक था.’

कैग ने कहा कि आयुक्तों और सचिवों, जो संबंधित निदेशकों और कार्यकारी इंजीनियरों के वरिष्ठ हैं, को अर्ध-वार्षिक रिपोर्टों के माध्यम से इन आईआर की स्थिति के बारे में सूचित किया गया था, लेकिन वे भी संबंधित विभागों के अधिकारियों द्वारा त्वरित और समय पर कार्रवाई सुनिश्चित करने में विफल रहे थे.

कैग ने कहा, ‘उपरोक्त तथ्य भी चूक करने वाले अधिकारियों के खिलाफ निष्क्रियता का संकेत देते हैं, जिससे गंभीर वित्तीय अनियमितताएं जारी रहती हैं और सरकार को संभावित नुकसान होता है, हालांकि इन्हें ऑडिट में इंगित किया गया था.’

रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने 2017-18 तक बकाया ऑडिट आपत्तियों पर चर्चा करने के लिए मई 2018 में एक ऑडिट ऑब्जेक्शन कमेटी (एओसी) का गठन किया था. इसने अब तक 1,102 आईआर और 5,512 पैराग्राफ पर चर्चा की है, जिनमें से केवल 91 आईआर और 981 पैराग्राफ का निपटारा किया गया है.

कैग ने सिफारिश की कि राज्य सरकार मामले की समीक्षा करे और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए एक प्रभावी प्रणाली सुनिश्चित करे जो आईआर का जवाब देने में विफल रहे; हानियों, बकाया अग्रिमों और अधिक भुगतानों की वसूली करना और लेखापरीक्षा आपत्तियों पर त्वरित और समय पर प्रतिक्रिया के लिए संपूर्ण तंत्र में सुधार करें.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)