असम पुलिस ने मिज़ोरम के कोलासिब ज़िले के एसपी और उपायुक्त समेत छह अधिकारियों को धौलाई थाने में पेश होने को कहा है. वहीं मिज़ोरम पुलिस ने बताया कि 26 जुलाई को कोलासिब के वैरेंग्टे में हुई हिंसा मामले में असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा और राज्य पुलिस के छह अधिकारियों के ख़िलाफ़ आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं.
हैलाकांडी/गुवाहाटी: असम पुलिस ने कोलासिब जिले के पुलिस अधीक्षक और उपायुक्त समेत मिजोरम सरकार के छह अधिकारियों को धौलाई पुलिस थाने में सोमवार को पेश होने के लिए समन किया है. असम पुलिस के एक सूत्र ने शुक्रवार को कहा कि इन अधिकारियों को 28 जुलाई को समन जारी किए गए थे.
इसके जवाब में मिजोरम पुलिस ने शुक्रवार को यह जानकारी दी कि उसने कोलासिब जिले के वैरेंग्टे नगर के बाहरी हिस्से में हुई हिंसा के मामले में असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा, राज्य पुलिस के चार वरिष्ठ अधिकारियों और दो अन्य अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज किए हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, असम के ये छह वरिष्ठ अधिकारी, पुलिस महानिरीक्षक अनुराग अग्रवाल, कछार के पुलिस उपमहानिरीक्षक दिव्यज्योति मुखर्जी, जिला उपायुक्त कीर्ति जली, कछार के जिला वन अधिकारी सनीदेव चौधरी, कछार के पुलिस अधीक्षक चंद्रकांत निम्बाल्कर, ढोलाई पुलिस स्टेशन के क्षेत्राधिकारी साहब उद्दीन हैं.
मिजोरम के पुलिस महानिरीक्षक (मुख्यालय) जॉन एन. ने बताया कि इन लोगों के खिलाफ हत्या का प्रयास और आपराधिक साजिश समेत अन्य धाराओं में मामला दर्ज किया गया है.
उन्होंने कहा कि सीमांत नगर के पास मिजोरम और असम पुलिस बल के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद सोमवार देर रात को राज्य पुलिस द्वारा वैरेंग्टे थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई थी. उन्होंने बताया कि असम पुलिस के 200 अज्ञात कर्मियों के खिलाफ भी मामले दर्ज किए गए हैं.
एक आधिकारिक संचार में शुक्रवार को वैरेंग्टे के उप विभागीय पुलिस अधिकारी ने असम के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक से नामित अधिकारियों को वैरेंग्टे पुलिस स्टेशन भेजने के लिए कहा.
इससे पहले कछार के पुलिस उपाधीक्षक कल्याण कुमार दास द्वारा मिजोरम के सभी छह अधिकारियों को जारी अलग-अलग समन में कहा गया, ‘एक उचित और विश्वसनीय जानकारी प्राप्त हुई है कि आपने कथित संज्ञेय अपराध किया है.’
ये छह अधिकारी कोलासिब जिले के पुलिस अधीक्षक वनलालफाका राल्ते, कोलासिब उपायुक्त एच. लालथलंगलियाना, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक डेविड जेबी, वैरेंग्टे उप जिलाधिकारी (सिविल) सी. लालरेम्पुइया, वैरेंग्टे उप विभागीय पुलिस अधिकारी थरटिया ह्रांगचल और इंडिया रिजर्व बटालियम के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ब्रूस किबी हैं.
नोटिसों में उन्हें आर्म्स एक्ट और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने से संबंधित धाराओं के साथ आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत ढोलाई पुलिस स्टेशन के जांच अधिकारी के सामने पेश होने के लिए कहा गया है.
हालांकि, कोलासिब के एसपी राल्ते ने कहा कि उन्हें कोई नोटिस नहीं मिला है. उन्होंने कहा, ‘मुझे अभी तक आधिकारिक तौर पर नोटिस नहीं मिला है लेकिन मुझे यह सोशल मीडिया से पता चला है. अगर मुझे आधिकारिक तौर भी यह मिलता है, मैं वहां नहीं जाऊंगा. असम के अधिकारी केवल ड्रामा कर रहे हैं. मैं वहां क्यों जाऊंगा? यह सवाल ही पैदा नहीं होता है.’
वहीं, असम पुलिस के अधिकारी ने कहा, ये वे अधिकारी थे जो उस दिन कोलासिब जिले और वहां की फोर्स का प्रभार संभाल रहे थे. उन्हें यह बताना होगा कि उन्होंने हमारे आदमियों पर गोली चलाने का आदेश क्यों दिया. यदि उन्होंने नहीं किया, तो वे हमारे गवाह बनें और हमें बताएं कि किसने किया.
बता दें कि बीते 26 जुलाई को कछार जिले के लैलापुर में असम और मिजोरम पुलिस बलों के बीच खूनी संघर्ष हुआ था, जिसमें असम पुलिस के छह पुलिसकर्मी और एक निवासी की मौत हो गई थी जबकि 50 से अधिक अन्य घायल हो गए थे.
दरअसल, दोनों राज्यों की क्षेत्रीय सीमा को लेकर अलग-अलग व्याख्याएं हैं. मिजोरम का मानना है कि उसकी सीमा तराई क्षेत्र के लोगों के प्रभाव से आदिवासियों को बचाने के लिए 1875 में खींची गई इनर लाइन तक है, जबकि असम 1930 के दशक में किए गए जिला रेखांकन सर्वेक्षण को मानता है.
वहीं, एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए हिमंता बिस्वा शर्मा ने बीते गुरुवार को यात्रा परामर्श (एडवाइजरी) जारी करके राज्य के लोगों से अशांत परिस्थितियों के मद्देनजर मिजोरम की यात्रा से बचने और वहां काम करने वाले और रहने वाले राज्य के लोगों से ‘अत्यंत सावधानी बरतने’ को कहा है.
असम पुलिस ने ‘भड़काऊ’ टिप्पणियों के लिए मिजोरम के सांसद को तलब किया
असम पुलिस ने मिजोरम से राज्यसभा के इकलौते सदस्य के. वनलालवेना को अंतराज्यीय सीमा पर हुई हिंसा की साजिश में कथित संलिप्तता के बारे में पूछताछ के लिए एक अगस्त को बुलाया है.
असम पुलिस ने यह भी कहा कि वह सोमवार को सीमा पर हुई हिंसा को लेकर कथित रूप से भड़काऊ बयान देने के वाले वनलालवेना के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी कर सकती है. उस हिंसा में पांच पुलिसकर्मियों और एक व्यक्ति की मौत हो गई थी.
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार दिल्ली आई असम पुलिस सीआईडी की एक टीम वनलालवेना को ढूंढने उनके आवास और मिजोरम सदन गई, लेकिन वह वहां नहीं मिले.
सूत्रों ने कहा कि माना जा रहा है कि वनलालवेना टीम से बच रहे हैं. सांसद की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली.
मिजोरम के रेजिडेंट कमिश्नर ने असम पुलिस की जांच में शामिल होने के लिए वनलालवेना को दिए गए नोटिस को प्राप्त करने से इनकार कर दिया, इसलिए सीआईडी टीम ने उनके आवास पर नोटिस चिपकाया है.
असम पुलिस के नोटिस में कहा गया है, ‘पता चला है कि आपने घटना के संबंध में मीडिया में सिविल और पुलिस अधिकारियों को निशाना बनाते हुए धमकी भरा बयान दिया है जो जांच का विषय है. इसलिए, तथ्यों और परिस्थितियों का पता लगाने के लिए आपसे पूछताछ की जानी है.’
मिजोरम के सांसद को असम के कछार जिले के धौलाई पुलिस थाने के प्रभारी अधिकारी के सामने एक अगस्त को सुबह 11 बजे पेश होने के लिए कहा गया है.
मिजो छात्र संगठन मिजो जिरलाई पावल ने असम सरकार पर संगठन के पूर्व अध्यक्ष वनलालवेना को धमकी देने का आरोप लगाया.
एमजेडपी ने एक लिखित बयान में कहा, ‘उन्हें असम-मिजोरम सीमा संघर्ष के संबंध में विभिन्न आपराधिक मामलों में आरोपित किया गया है और फंसाया गया है. उन्हें कोई समस्या नहीं होनी चाहिए. असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा को भी इसकी जानकारी दी जाए.’
सूत्रों ने कहा कि पुलिस को किसी सांसद का बयान दर्ज करने के लिए अध्यक्ष या राज्यसभा के सभापति की मंजूरी की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन किसी सांसद को गिरफ्तार करने से पहले उनकी अनुमति की आवश्यकता होती है.
संसद के बाहर वनलालवेना ने बुधवार को कथित तौर पर कहा था, ‘200 से अधिक पुलिसकर्मियों ने हमारे क्षेत्र में प्रवेश किया और उन्होंने हमारे पुलिसकर्मियों को हमारी ही चौकियों से पीछे धकेल दिया और हमसे से पहले उन्होंने फायरिंग के आदेश दिए. वे भाग्यशाली हैं कि हमने उन सभी को नहीं मारा. यदि वे फिर आएंगे, तो हम उन सबको मार डालेंगे.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)