असम और मिज़ोरम के मुख्यमंत्रियों ने कहा, बातचीत के ज़रिये सीमा विवाद सुलझाया जा सकता है

बीते 26 जुलाई को असम कछार ज़िले के लैलापुर और मिजोरम के कोलासिब ज़िले के वैरेंग्टे गांव जो दोनों राज्यों की सीमा पर पड़ते हैं, में पुलिस बलों के बीच खूनी संघर्ष हुआ था, जिसमें असम पुलिस के छह पुलिसकर्मी और एक निवासी की मौत हो गई थी. जबकि 50 से अधिक अन्य घायल हो गए थे. इसके बाद से ही दोनों राज्यों की सीमा पर तनाव बरक़रार है.

/
असम विधानसभा अध्यक्ष बिस्वजीत दैमारी ने असम-मिजोरम सीमा विवाद में हाल ही में मारे गए असम पुलिस के शहीदों को गुवाहाटी में रविवार को श्रद्धांजलि दी. (फोटो: पीटीआई)

बीते 26 जुलाई को असम कछार ज़िले के लैलापुर और मिजोरम के कोलासिब ज़िले के वैरेंग्टे गांव जो दोनों राज्यों की सीमा पर पड़ते हैं, में पुलिस बलों के बीच खूनी संघर्ष हुआ था, जिसमें असम पुलिस के छह पुलिसकर्मी और एक निवासी की मौत हो गई थी. जबकि 50 से अधिक अन्य घायल हो गए थे. इसके बाद से ही दोनों राज्यों की सीमा पर तनाव बरक़रार है.

असम विधानसभा अध्यक्ष बिस्वजीत दैमारी ने असम-मिजोरम सीमा विवाद में हाल ही में मारे गए असम पुलिस के शहीदों को गुवाहाटी में रविवार को श्रद्धांजलि दी. (फोटो: पीटीआई)

दीमापुर/गुवाहाटी: बीते 26 जुलाई को हुए असम और मिजोरम के बीच हुए सीमा विवाद के खूनी संघर्ष में बदल जाने के बाद असम के छह पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी. इसके बाद से दोनों राज्यों की सीमा पर तनाव बरकरार है. रविवार को दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने बातचीत करने के बाद तनाव कम करने की दिशा में सहमति बनाने की बात कही है.

सीमा पर तनाव के बीच मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथांगा ने रविवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा के साथ टेलीफोन पर चर्चा के बाद कहा कि असम के साथ सीमा विवाद को बातचीत के जरिये सुलझा लिया जाएगा. उन्होंने मिजोरम के लोगों से स्थिति को किसी भी तरह के संभावित बिगड़ने से रोकने की अपील की है.

मुख्यमंत्री ने ट्विटर पर कहा, ‘केंद्रीय गृह मंत्री और असम के मुख्यमंत्री के साथ टेलीफोन पर हुई चर्चा के अनुसार, हम मिजोरम-असम सीमा मुद्दे को सार्थक बातचीत के जरिये सुलझाने पर सहमत हुए.’

उन्होंने आगे कहा, ‘इस बीच संभावित तनाव को बढ़ने से रोकने के लिए मैं मिजोरम के लोगों से अपील करता हूं कि वे सोशल मीडिया पर संवेदनशील पोस्ट न करें और अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उचित इस्तेमाल करें.’

मिजोरम सरकार के सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया, स्थिति को सुधारने के लिए दोनों सरकारों के बीच नए सिरे से बातचीत शुरू हो गई है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार असम के मुख्यमंत्री के खिलाफ दायर एक मामले को वापस लेने पर विचार कर रही है.

सूत्रों ने कहा कि केंद्र ने दोनों राज्यों से कहा है कि उनके अधिकारियों और सुरक्षा बलों को संघर्ष क्षेत्र का दौरा करते समय हथियार ले जाने की अनुमति नहीं होगी, जो अब केंद्रीय बलों द्वारा संचालित है.

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने दोनों राज्यों को तनाव कम करने की योजना के तहत आपात और आवश्यक आपूर्ति बहाल करने को कहा है.

इस पर रविवार को एक ट्वीट में हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा, हमारा मुख्य ध्यान उत्तर-पूर्व की भावना को जिंदा रखने पर है. असम-मिजोरम सीमा पर जो हुआ वह दोनों राज्यों के लोगों के लिए अस्वीकार्य है. माननीय मुख्यमंत्री जोरमथंगा क्वारंटीन के बाद मुझे फोन करने का वादा किया था. सीमा विवाद को बातचीत से ही सुलझाया जा सकता है.

इससे पहले असम के मुख्यमंत्री ने सीमा पर हुई हिंसक झड़प के संबंध में मिजोरम सरकार द्वारा उनके और राज्य के छह अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किए जाने के औचित्य पर शनिवार को सवाल उठाया था. उन्होंने कहा था कि जब घटना असम के ‘संवैधानिक क्षेत्र’ में हुई तो मिजोरम में प्राथमिकी कैसे दर्ज की जा सकती है.

शर्मा ने कहा कि वह जांच में शामिल होने पर बहुत खुश होंगे, लेकिन आश्चर्य है कि इसे ‘तटस्थ एजेंसी’ को क्यों नहीं सौंपा जा रहा है.

मिजोरम पुलिस ने, मिजोरम और असम पुलिस के बीच बीते 26 जुलाई को हुए खूनी संघर्ष के बाद उसी दिन देर रात वैरेंग्टे पुलिस थाने में शर्मा और छह अधिकारियों के खिलाफ हत्या के प्रयास व आपराधिक साजिश से जुड़े विभिन्न आरोपों के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी. यह प्राथमिकी शुक्रवार को सार्वजनिक हो गई.

इस झड़प में पूर्वोत्तर के इन दोनों राज्यों के निवासी भी शामिल थे. इसमें असम के छह पुलिसकर्मियों और एक निवासी की मौत हो गई थी.

शर्मा ने इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया था, ‘खुशी-खुशी जांच में सहयोग करूंगा, लेकिन इस मामले को तटस्थ एजेंसी को क्यों नहीं सौंपा जा रहा, विशेषकर तब जबकि यह घटना असम के संवैधानिक क्षेत्र में अंदर हुई.’

जिन छह अधिकारियों के नाम एफआईआर में हैं उनमें पुलिस महानिरीक्षक अनुराग अग्रवाल, कछार के पुलिस उपमहानिरीक्षक दिव्यज्योति मुखर्जी, जिला उपायुक्त कीर्ति जली, कछार के जिला वन अधिकारी सनीदेव चौधरी, कछार के पुलिस अधीक्षक चंद्रकांत निम्बाल्कर, ढोलाई पुलिस स्टेशन के क्षेत्राधिकारी साहबउद्दीन शामिल हैं.

एक-दूसरे के अधिकारियों को समन भेजने के एक दिन बाद शनिवार को असम और मिजोरम दोनों ही राज्यों ने समन का पालन करने के लिए इनकार कर दिया था..

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, असम के पुलिस महानिदेशक भास्करज्योति महंता ने कहा, ‘हम समन या मिजोरम पुलिस द्वारा दर्ज मामले को मान्यता नहीं देते हैं. वे यह नहीं कह सकते कि उनके पास उस भूमि का अधिकार क्षेत्र है, जो कि नहीं है. यह (मामला) हमारे लिए कोई मायने नहीं रखता.’

वहीं, मिजोरम के गृहमंत्री लालचामलियाना ने असम के एफआईआर का उल्लेख करते हुए कहा कि मिजोरम असम पुलिस के समन का सम्मान नहीं करने जा रहा है.

केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा दिल्ली में बुलाई गई उस बैठक में असम और मिजोरम के मुख्य सचिवों और पुलिस प्रमुखों ने सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग 306 के पास तटस्थ केंद्रीय बलों की तैनाती पर सहमति व्यक्त की थी.

इसके साथ ही दोनों राज्य सरकारें एक उचित समय सीमा के भीतर तटस्थ बलों के कामकाज को सुविधाजनक बनाने के लिए गृह मंत्रालय के समन्वय से एक व्यवस्था पर काम करने के लिए भी सहमत हुई थीं.

शनिवार तक दोनों ही राज्य सीएपीएफ के साथ अपने बलों को तैनात किए हुए थे और पीछे हटने को तैयार नहीं थे.

बता दें कि बीते 26 जुलाई को कछार जिले के लैलापुर में असम और मिजोरम पुलिस बलों के बीच खूनी संघर्ष हुआ था, जिसमें असम पुलिस के छह पुलिसकर्मी और एक निवासी की मौत हो गई थी. जबकि 50 से अधिक अन्य घायल हो गए थे.

दरअसल, दोनों राज्यों की क्षेत्रीय सीमा को लेकर अलग-अलग व्याख्याएं हैं. मिजोरम का मानना है कि उसकी सीमा तराई क्षेत्र के लोगों के प्रभाव से आदिवासियों को बचाने के लिए 1875 में खींची गई इनर लाइन तक है, जबकि असम 1930 के दशक में किए गए जिला रेखांकन सर्वेक्षण को मानता है.

वहीं, एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए हिमंता बिस्वा शर्मा ने बीते 29 जुलाई को यात्रा परामर्श (एडवाइजरी) जारी करके राज्य के लोगों से अशांत परिस्थितियों के मद्देनजर मिजोरम की यात्रा से बचने और वहां काम करने वाले और रहने वाले राज्य के लोगों से ‘अत्यंत सावधानी बरतने’ को कहा है.

असम और नगालैंड ने दो स्थानों पर तनाव कम करने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए

असम और नगालैंड के मुख्य सचिवों ने देसोई घाटी जंगल/सुरंगकोंग घाटी में दो स्थानों पर जारी तनाव को कम करने के लिए शनिवार को एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत अगले 24 घंटों के भीतर सुरक्षाबलों को एक साथ वापस बुलाया जाएगा.

नगालैंड के उपमुख्यमंत्री वाई. पैटन और असम के शिक्षा मंत्री रनोज पेगु की उपस्थिति में असम के मुख्य सचिव जिष्णु बरुआ और नगालैंड के उनके समकक्ष जे आलम के बीच दीमापुर में एक बैठक के बाद समझौते पर हस्ताक्षर किए गए.

दोनों पक्षों ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि नगालैंड के एओ सेंडेन और विकुतो गांव के आसपास के क्षेत्रों में शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए तत्काल व प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है, ताकि नगालैंड और असम के सुरक्षाबलों के बीच गतिरोध को दूर किया जा सके. इन गांवों को असम में क्रमश: जानखोना नाला/नागजंखा एवं कम्पार्टमेंट नं. 12 नाम से जाना जाता है.

समझौते के अनुसार, ‘इस संबंध में यह निर्णय लिया गया है कि दोनों राज्यों के सुरक्षाकर्मी एक साथ अपने वर्तमान स्थानों से अपने-अपने आधार शिविरों में वापस चले जाएंगे. सुरक्षाकर्मियों की एक साथ वापसी तुरंत शुरू होगी और अगले 24 घंटों में जितनी जल्दी संभव हो, पूरी की जाएगी.’

नगालैंड और असम यथास्थिति बनाए रखने के लिए ड्रोन और उपग्रह तस्वीरों का उपयोग कर क्षेत्र की निगरानी रखेंगे.

बैठक में यह निर्णय भी किया गया कि मोकोकचुंग (नगालैंड) और जोरहाट (असम) जिलों के पुलिस अधीक्षक अपने-अपने बलों की व्यवस्थित वापसी सुनिश्चित करेंगे तथा इसके लिए जिम्मेदार होंगे.

पैटन ने बैठक के बाद मीडियाकर्मियों को बताया कि दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने 24 और 25 जुलाई को शिलांग में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ सीमा मुद्दे पर चर्चा की थी और सुरक्षाबलों को वापस बुलाए जाने पर सैद्धांतिक रूप से सहमति जताई गई थी. उसी के अनुसार शनिवार को समझौते पर हस्ताक्षर किए गए.

उन्होंने कहा कि केवल विशेष क्षेत्र पर चर्चा की गई. अंतरराज्यीय सीमा पर अन्य क्षेत्रों से संबंधित मुद्दों पर बाद में चर्चा की जाएगी.

नगालैंड के यात्रियों को पड़ोसी राज्य में प्रवेश करते समय समस्याएं होने के मुद्दे पर पैटन ने कहा कि असम सरकार नगालैंड से आने वाले यात्रियों को रोकने या उनकी जांच नहीं करने पर सहमत हुई है.

असम के शिक्षा मंत्री ने सीमा मुद्दे को हल करने के लिए कदम उठाने को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री और दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की सराहना की तथा आशा व्यक्त की कि दोनों राज्यों के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध बने रहेंगे.

उन्होंने कहा, ‘विभिन्न राज्यों के साथ हमारे काफी समय से लंबित सीमा विवाद हैं, लेकिन विवादों के बावजूद हम सीमा पर शांति बनाए रखते हैं. हम सीमा को अंतिम रूप देने के लिए मुख्यत: सरकार पर निर्भर हैं और मैं शांति बनाए रखने के लिए दोनों पक्षों के लोगों के साथ-साथ सरकारी अधिकारियों को भी धन्यवाद देता हूं.’

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वाा शर्मा ने कहा कि असम-नगालैंड सीमा पर तनाव कम करने की दिशा में एक बड़ी सफलता के रूप में दोनों मुख्य सचिवों ने राज्यों के बलों को सीमावर्ती स्थानों से अपने-अपने आधार शिविरों में तुरंत वापस बुलाने के लिए एक समझौता किया है.

शर्मा ने ट्वीट किया, ‘यह हमारे संबंधों में एक ऐतिहासिक कदम है. सीमा पर शांति बहाल करने में असम के साथ काम करने के लिए नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो का आभार.’

उन्होंने कहा कि असम अपनी सभी सीमाओं पर शांति सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है और पूर्वोत्तर क्षेत्र की सामाजिक और आर्थिक समृद्धि के लिए प्रयासरत है.

असम का सबसे लंबा सीमा विवाद नगालैंड के साथ है, जो 1963 में राज्य की स्थापना के बाद से शुरू हुआ था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25