असम-मिज़ोरम सीमा पर बीते 26 जुलाई को झड़प में असम पुलिस के छह कर्मचारियों और एक आम व्यक्ति के मारे जाने तथा 50 अन्य के घायल होने के बाद तनावपूर्ण शांति है. दोनों राज्य सरकारें दशकों पुराने सीमा विवाद का टिकाऊ हल तलाशने, वाहनों का आवागमन बहाल करने और टकराव वाले इलाकों से अपने-अपने पुलिस बलों को दूर रखने सहित अन्य उपाय करने के लिए को सहमत हुईं. इस बीच असम और मेघालय ने अंतर राज्यीय विवादों के हल के लिए समितियां गठित करने पर समझौता किया है.
गुवाहाटी/आइजोल: असम और मिजोरम की सरकारें दशकों पुराने सीमा विवाद का टिकाऊ हल तलाशने तथा वाहनों का अंतर-राज्यीय आवागमन बहाल करने और तनाव घटाने के लिए टकराव वाले इलाकों से अपने-अपने पुलिस बलों को दूर रखने सहित अन्य उपाय करने के लिए बृहस्पतिवार को सहमत हुई.
दोनों राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों ने अंतर-राज्यीय सीमा पर स्थिति सामान्य करने के लिए आइजोल में बैठक की. 26 जुलाई को दोनों राज्यों की सीमा पर खूनी झड़प में असम पुलिस के छह कर्मचारियों और एक आम व्यक्ति के मारे जाने तथा 50 अन्य के घायल होने के बाद तनावपूर्ण शांति है.
असम का प्रतिनिधित्व करने वाले राज्य के सीमा क्षेत्र विकास मंत्री अतुल बोरा ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि दोनों पक्ष सीमा पर शांति कायम रखने के लिए सहमत हुए.
उन्होंने कहा कि असम सरकार मिजोरम की यात्रा के खिलाफ जारी किए गए परामर्श को वापस ले लेगी और दोनों पड़ोसी राज्यों के बीच वाहनों की आवाजाही बहाल करने के लिए कदम उठाएगी.
उल्लेखनीय है कि असम की बराक घाटी में राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 306 पर कई समूहों के आर्थिक नाकेबंदी करने के बाद मिजोरम के लिए आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति बुरी तरह से प्रभावित हुई है.
मिजोरम ने केंद्र से की राष्ट्रीय राजमार्ग खुलवाने के लिए हस्तक्षेप करने की मांग की थी. हालांकि असम सरकार ने दावा किया है अभी ऐसी कोई नाकेबंदी नहीं है.
दोनों राज्यों द्वारा जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया है, ‘दोनों राज्यों ने विवादित क्षेत्रों में तटस्थ बलों की तैनाती का स्वागत किया है और वे अपने-अपने वन और पुलिस बलों को गश्त करने, वर्चस्व स्थापित करने, प्रवर्तन के लिए नहीं भेजने को सहमत हुए हैं.’
बयान के अनुसार, ‘साथ ही हाल के समय में दोनों राज्यों के पुलिस बलों के बीच जिन स्थानों पर टकराव हुआ था, उन इलाकों में बलों की नए सिरे से तैनाती नहीं की जाएगी. इसमें असम में करीमगंज, हैलाकांडी और कछार जिलों तथा मिजोरम के मामित और कोलासिब जिलों में असम-मिजोरम सीमा से लगे सभी इलाके शामिल हैं.’
संयुक्त बयान पर असम के सीमा सुरक्षा एवं विकास मंत्री अतुल बोरा और विभाग के आयुक्त एवं सचिव जीडी त्रिपाठी ने तथा मिजोरम के गृह मंत्री लालचमलीयाना और गृह सचिव वनलंगथस्का ने हस्ताक्षर किए हैं.
दोनों राज्यों ने सीमा पर झड़प की घटना में लोगों की मौत होने पर शोक प्रकट किया और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की.
असम के मंत्री अशोक सिंहल द्वारा ट्विटर पर साझा किए गए बयान में कहा गया है, ‘असम और मिजोरम सरकारों के छह प्रतिनिधि असम और मिजोरम में, खासतौर पर सीमावर्ती क्षेत्रों में रह रहे लोगों के बीच शांति एवं सौहार्द्र को बढ़ावा देने तथा उन्हें कायम रखने के लिए सभी आवश्यक उपाय करने को सहमत हुए.’
After a meeting with the officials of Govt of Assam & Mizoram, a joint statement is singed by Hon’ble Minister, Assam, @ATULBORA2 Ji, Hon’ble Home Minister, Mizoram, @Lalchamliana12, Comm. & Secy, Border Protection, Assam Sri GD Tripathi & Home Secy, Mizoram Sri Vanlalngathsaka. pic.twitter.com/a10QmA4pP3
— Ashok Singhal (@TheAshokSinghal) August 5, 2021
मिजोरम के मुख्यमंत्री कार्यालय ने ट्वीट किया, ‘असम सरकार और मिजोरम सरकार ने आइजोल में वार्ता के बाद आज सफलतापूर्वक एक संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर किए. दोनों सरकारें मौजूदा तनाव को दूर करने और चर्चा के जरिये टिकाऊ समाधान निकालने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय की पहल को आगे ले जाने के लिए सहमत हुईं’
Govt. of Assam & Govt. of Mizoram successfully signed a Joint Statement today after deliberations at Aizawl. Both governments agree to take forward Ministry of Home Affairs' initiatives to remove prevailing tensions and to find lasting solutions through discussions. pic.twitter.com/W3H8buNrj9
— CM Office Mizoram (@CMOMizoram) August 5, 2021
बता दें कि बीते 26 जुलाई को कछार जिले के लैलापुर में असम और मिजोरम पुलिस बलों के बीच खूनी संघर्ष हुआ था, जिसमें असम के छह पुलिसकर्मी और एक निवासी की मौत हो गई थी जबकि 50 से अधिक अन्य घायल हो गए थे.
दरअसल दोनों राज्यों की क्षेत्रीय सीमा को लेकर अलग-अलग व्याख्याएं हैं. मिजोरम का मानना है कि उसकी सीमा तराई क्षेत्र के लोगों के प्रभाव से आदिवासियों को बचाने के लिए 1875 में खींची गई इनर लाइन तक है, जबकि असम 1930 के दशक में किए गए जिला रेखांकन सर्वेक्षण को मानता है.
वहीं, केंद्र सरकार ने अंतर-राज्यीय सीमा विवादों को निपटाने के लिए सैटेलाइट इमेजिंग के माध्यम से पूर्वोत्तर राज्यों की सीमाओं का सीमांकन करने का निर्णय लिया है.
असम और मेघालय अंतर-राज्यीय विवादों के हल के लिए समितियां गठित करेंगे
इसके इतर असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिश्वा शर्मा और उनके मेघालय के समकक्ष कोनराड के. संगमा ने शुक्रवार को कहा कि दोनों राज्य अंतर-राज्यीय सीमा विवाद का समाधान करने के लिए समितियां गठित करेंगे.
उन्होंने कहा कि दोनों राज्यों के कैबिनेट मंत्रियों की अध्यक्षता वाली दो समितियां गठित की जाएगी.
दोनों मुख्यमंत्रियों ने गुवाहाटी में संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि शुरुआत में समितियों का लक्ष्य सीमा विवाद में 12 विवादित स्थलों में छह का चरणबद्ध तरीके से समाधान करने का होगा.
शर्मा ने कहा कि प्रत्येक समिति में उस राज्य के नौकरशाहों के अलावा एक कैबिनेट मंत्री सहित पांच सदस्य होंगे. उन्होंने कहा कि स्थानीय प्रतिनिधि समिति का हिस्सा हो सकते हैं.
दोनों समितियों के सदस्य विवादित स्थलों का दौरा करेंगे, नागरिक समाज संस्थाओं के सदस्यों से मिलेंगे और 30 दिनों के अंदर बातचीत पूरी करेंगे.
संगमा ने कहा कि विवादों के समाधान के लिए पांच पहलुओं पर विचार किया जाना है, जिनमें ऐतिहासिक साक्ष्य, वहां के लोगों की साझा संस्कृति, प्रशासनिक सुविधा, संबद्ध लोगों के मनोभाव और भावनाएं तथा भूमि की निकटता शामिल हैं.
उन्होंने कहा, ‘सैद्धांतिक तौर पर हम इन पांच पहलुओं के दायरे में एक समाधान तलाशने की कोशिश करेंगे.’
पहले चरण में लिए जाने वाले छह विवादित स्थलों में ताराबारी, गिजांग, फालिया, बाकलापारा, पिलिंगकाटा और खानपारा शामिल हैं.
ये असम के कछार, कामरूप शहर और कामरूप ग्रामीण जिलों तथा मेघालय में पश्चिमी खासी पहाड़ियों, री भोई और पूर्वी जयंतिया पहाड़ियों में आते हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)