इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में असम, मिज़ोरम, त्रिपुरा और नगालैंड के प्रमुख समाचार.
गुवाहाटी/अगरतला/आइजोल/कोहिमा असम के कछार जिले में स्थानीय लोगों द्वारा मिजोरम जाने वाले चार ट्रकों में शुक्रवार रात को कथित तौर पर तोड़-फोड़ करने के बाद असम-मिजोरम सीमा विवाद को लेकर तनाव एक बार फिर बढ़ गया है.
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, जिन ट्रकों में तोड़-फोड़ की गई, वे ट्रक करीमगंज से अंडे लेकर मिजोरम जा रहे थे. जैसे ही ट्रक कछार जिले के बाघा बाजार इलाके में पहुंचे.
कुछ लोगों ने ट्रक रुकवाकर पूछा कि वह कहां जा रहा है? इस पर जब ट्रक ड्राइवरों ने कहा कि वे मिजोरम जा रहे हैं तो स्थानीय लोगों ने वाहनों में तोड़-फोड़ कर दी और अंडे सड़कों पर फेंक दिए. इसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति को नियंत्रित किया.
यह घटना दोनों राज्यों के बीच बनी सहमति के बाद असम सरकार द्वारा अपने नागरिकों को मिजोरम जाने को लेकर जारी की गई एडवाइजरी वापस लेने के बाद हुई है.
असम के कैबिनेट मंत्री अतुल बोरा और अशोक सिंघल ने पांच अगस्त को आइजोल का दौरा कर मिजोरम सरकार के मंत्रियों से मुलाकात की थी और अंतर्राज्यीय सीमा पर स्थिति को लेकर चर्चा की थी.
मामले पर विचार-विमर्श के बाद दोनों राज्य सरकारों ने एक संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर किए थे और सीमा पर जारी तनाव को समाप्त करने और बातचीत के जरिये स्थाई समाधान ढूंढने पर सहमति जताई थी.
वहीं, शुक्रवार को असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने स्थानीय लोगों से वाहनों को मिजोरम जाने देने की अपील की थी.
बता दें कि बीते 26 जुलाई को कछार जिले के लैलापुर में असम और मिजोरम पुलिस बलों के बीच खूनी संघर्ष हुआ था, जिसमें असम पुलिस के छह पुलिसकर्मी और एक निवासी की मौत हो गई थी जबकि 50 से अधिक अन्य घायल हो गए थे, तभी से वहां गतिरोध बना हुआ है.
दोनों राज्यों ने सीमा पर अपने सुरक्षाबलों की तैनाती की हुई है.
दवाइयों की किल्लत, ट्रक मिजोरम नहीं पहुंच पा रहेः स्वास्थ्य मंत्री
सीमा विवाद के बीच मिजोरम कोरोना वायरस के मरीजों के इलाज में इस्तेमाल में आने वाली दवाओं की कमी का सामना कर रहा है.
मिजोरम के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. आर लालथंगलियाना ने बताया कि असम से जरूरी सामान लिए ट्रक मिजोरम में प्रवेश नहीं कर पा रहे हैं.
उन्होंने बताया, असम सरकार की ओर से अपने नागरिकों को जारी की गई एडवाइजरी के वापस लिए जाने के बाद भी जरूरी सामान युक्त ट्रक असम से मिजोरम आने में असमर्थ हैं.
उन्होंने कहा, कोरोना मरीजों के इलाज के लिए इस्तेमाल में आने वाली कई दवाओं की सप्लाई बुरी तरह बाधित है. कई लोगों को जीवनरक्षक दवाइयां भी नहीं मिल पा रही हैं, जिससे मौतों की संख्या बढ़ सकती है. अहंकारयुक्त यह कार्रवाई संविधान के अनुरूप बुनियादी मानवाधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन है. कोविड किट और अन्य सामग्री नहीं मिल पा रही है. पीएम केयर्स फंड के तहत ग्रांट, ऑक्सीजन प्लांट्स के लिए सामग्री नहीं पहुंच पा रही. असम और मिजोरम दोनों ने शांति बहाली का फैसला किया था. हम तत्काल वाहनों की आवाजाही बहाल करने का अनुरोध करते हैं.
बता दें कि गुरुवार को असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने दोनों राज्यों के बीच सामानों की आवाजाही को सुगम बनाने की अपील की.
एडवाइजरी वापस लिए जाने के बावजूद असम से वाहन मिजोरम में प्रवेश नहीं कर रहे
मिजोरम के मुख्य सचिव लालनुनमाविया चुआंगो ने शुक्रवार को कहा कि हिमंता बिस्वा शर्मा सरकार द्वारा जारी यात्रा परामर्श (एडवाइजरी) वापस लेने के बावजूद असम से कोई भी वाहन राज्य में नहीं आया है.
चुआंगो ने यह भी कहा कि मिजोरम, असम सरकार के साथ लगातार संपर्क में है. बता दें कि असम ने राष्ट्रीय राजमार्ग-306 के जरिये यातायात की आवाजाही फिर से शुरू करने के लिए आवश्यक कदम उठाने का वादा किया है.
असम के कछार जिले में कुछ संगठनों ने 26 जुलाई को अंतर्राज्यीय सीमा पर हुई हिंसक झड़प के बाद वाहनों को मिजोरम में प्रवेश करने से कथित रूप से रोक दिया था. इस संघर्ष में सात लोगों की मौत हो गई थी.
हालांकि नाकाबंदी और प्रदर्शन अगले कुछ दिनों में समाप्त हो गए थे, लेकिन ट्रक चालक परोक्ष तौर पर ताजा हिंसा के डर से अशांत क्षेत्रों में जाने को तैयार नहीं हैं.
असम सरकार ने बाद में एक परामर्श जारी करके लोगों से मिजोरम की यात्रा करने से बचने की हिदायत दी थी लेकिन गुरुवार को दोनों पक्षों के बीच बातचीत के बाद इसे वापस ले लिया गया था.
चुआंगो ने कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि यात्रा परामर्श वापस लिए जाने के बावजूद कोई भी वाहन या यात्री असम से मिजोरम में प्रवेश नहीं कर रहा है. सरकार केंद्र और असम से लगातार संपर्क में है. मैंने असम के मुख्य सचिव से भी बात की है, जिन्होंने हमें आश्वासन दिया हैं.’
मिजोरम में अधिकारियों ने आरोप लगाया कि असम के हैलाकांडी जिले में राज्य से जुड़ी रेल पटरियां कम से कम तीन स्थानों पर क्षतिग्रस्त हैं.
उन्होंने कहा कि गैर आधिकारिक’ नाकाबंदी से चिकित्सा खेप और कोविड-19 उपकरण सहित सभी आपूर्ति रुक गई है.
मिजोरम के सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री लालरुत्किमा ने कहा कि गैर-आदिवासियों सहित 30 से अधिक लोग वर्तमान में नाकाबंदी के कारण सिल्चर के मिजोरम हाउस में फंसे हुए हैं.
उन्होंने कहा कि मिजोरम के कई निवासी भी गुवाहाटी में फंसे हुए हैं. संपर्क करने पर कछार पुलिस अधीक्षक रमनदीप कौर ने बताया कि असम सरकार लोगों को मिजोरम की यात्रा करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है, लेकिन कई लोग प्रतिक्रिया के डर से इसे लेकर अनिच्छुक हैं.
उन्होंने कहा, ‘परामर्श वापस लेने से पहले ही सरकार ने लोगों को मिजोरम की यात्रा करने के लिए प्रोत्साहित किया. ऐसा लगता है कि उनमें से कुछ अनिच्छुक हैं क्योंकि उन्हें हमला होने का डर है.’
कौर ने यह भी कहा कि सिल्चर और लैलापुर के बीच किसी स्थान पर अज्ञात लोगों द्वारा दो वाहनों में तोड़फोड़ की गई, जब उन्होंने गुरुवार को मिजोरम की ओर जाने की कोशिश की थी. उन्होंने कहा कि घटना की जांच शुरू कर दी गई है.
मिजोरम और असम सरकारें गुरुवार को सदियों पुराने सीमा विवाद का स्थायी समाधान खोजने और दोनों पक्षों के बीच तनाव कम करने के लिए अंतरराज्यीय वाहनों की आवाजाही को फिर से शुरू करने सहित उपाय करने पर सहमत हुई थीं.
मिजोरम पुलिस ने की अंतरराज्यीय सीमा पर हिंसा: असम विधानसभा प्रतिनिधिमंडल
असम विधानसभा के एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि असम-मिजोरम सीमा पर हाल में हुई हिंसा को पड़ोसी राज्य के पुलिसबल ने अंजाम दिया. इस प्रतिनिधिमंडल ने जिस स्थल पर हिंसा हुई थी, वहां का दौरा किया था.
प्रतिनिधिमंडल ने असम विधानसभा में पेश की गई अपनी रिपोर्ट में आरोप लगाया है कि यह घटना सोच-समझकर किए गए नरसंहार के अलावा और कुछ नहीं थी और इस दौरान मिजोरम पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कोई प्रयास नहीं किया था.
प्रतिनिधिमंडल ने आरोप लगाया कि असम में मिजोरम पुलिस कुछ उपद्रवियों के साथ मिलकर अतिक्रमण गतिविधियों में शामिल थी.
बता दें कि अंतरराज्यीय सीमा पर 26 जुलाई को हुए खूनी संघर्ष में असम पुलिस के छह जवानों और एक नागरिक की मौत हो गई थी.
प्रतिनिधिमंडल ने आरोप लगाया कि इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना को मिजोरम पुलिस ने अंजाम दिया था.
त्रिपुरा: मुख्यमंत्री की हत्या के प्रयास के आरोप में तीन लोग गिरफ्तार: पुलिस
त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब देब की हत्या के प्रयास के आरोप में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
पुलिस ने बताया कि मुख्यमंत्री देब अपने आधिकारिक आवास श्यामाप्रसाद मुखर्जी लेन के पास गुरुवार को शाम की सैर पर निकले थे तभी कार में सवार तीन व्यक्ति उनके सुरक्षा घेरे में घुस गए.
मुख्यमंत्री देब के पास से जैसे ही वाहन गुजरा, वह तेजी से एक ओर हो गए. इस घटना में उनका एक सुरक्षाकर्मी मामूली रूप से घायल हो गया.
मुख्यमंत्री के सुरक्षा दस्ते ने कार को रोकने का प्रयास किया लेकिन कामयाबी हाथ नहीं लगी. पुलिस ने बताया कि बाद में तीन व्यक्तियों को केरचाऊमुहानी से गिरफ्तार किया गया और वाहन को जब्त कर लिया गया.
आरोपियों को शुक्रवार को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पीपी पॉल की अदालत में पेश किया गया जहां से उन्हें 14 दिन की रिमांड पर जेल भेज दिया गया.
सहायक लोक अभियोजक विद्युत सूत्रधार ने बताया कि तीनों आरोपी बीस वर्ष से अधिक के हैं और उनके इरादों के बारे में अभी पता नहीं चल पाया है.
सूत्रधार ने बताया, ‘हमने आरोपियों से पूछताछ के लिए उन्हें दो दिन की पुलिस रिमांड पर देने की मांग की थी, लेकिन अदालत ने 19 अगस्त तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया. अब पुलिस उनसे पूछताछ करके उनके इरादे का पता लगाने का प्रयास करेगी.’
नगालैंड: विधानसभा ने असम सीमा संबंधी मुद्दों की पड़ताल के लिए प्रवर समिति गठित की
असम-नगालैंड के बीच सीमा संबंधी तनाव के मद्देनजर नगालैंड विधानसभा ने गुरुवार को 10 सदस्यीय प्रवर समिति का गठन किया जो असम के साथ सीमा विवादों से जुड़े सभी तथ्यों की पड़ताल करेगी.
असम-नगालैंड सीमा मुद्दे पर गहन विचार-विमर्श के बाद सदन ने मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो द्वारा यहां विधानसभा में पेश तीन सूत्रीय प्रस्ताव को सर्वसम्मति से स्वीकार किया.
सदन ने समिति को अपनी रिपोर्ट तीन महीने के भीतर सौंपने को कहा है.
समिति की अध्यक्षता मुख्यमंत्री रियो करेंगे और इसमें उपमुख्यमंत्री वाई पैटन और नेता प्रतिपक्ष टीआर जिलियांग समेत 10 सदस्य शामिल हैं.
सदन ने यह भी प्रस्ताव किया कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुद्दों के निपटारे तक विवादित क्षेत्र में यथास्थिति सुनिश्चित किए जाने का अनुरोध किया जाए.
विधानसभा ने यह भी निर्णय लिया कि सीमा मुद्दे का निपटारा दोनों राज्य सरकारों द्वारा अदालत के बाहर ही किया जाना चाहिए.
असम: 46 वर्ष से अधूरी धनसिरी सिंचाई परियोजना बंद होगी
असम की सबसे बड़ी परियोजना बताई जा रही धनसिरी सिंचाई परियोजना का निर्माण 46 वर्ष में भी पूरा नहीं हो पाने के कारण राज्य सरकार ने इसे बंद करने का निर्णय लिया है. बीते हफ्ते विधानसभा को इस संबंध में जानकारी दी गई.
यूनाइटेड पीपल्स पार्टी लिबरल (यूपीपीएल) के विधायक गोबिंद चंद्र बसुमतारी के एक प्रश्न के उत्तर में सिंचाई मंत्री अशोक सिंघल ने बताया कि इस परियोजना पर 15.83 करोड़ रुपये शुरुआती खर्च का अनुमान लगाया गया था, जो बढ़कर 567.05 करोड़ रुपये हो गया है. अब तक इस परियोजना पर 444.18 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं।
सिंघल ने बताया कि 77,230 हेक्टेयर सालाना सिंचाई क्षमता पैदा करने के लिए परियोजना का निर्माण 1975 में शुरू हुआ था, लेकिन विभिन्न कारणों से परियोजना अभी तक पूरी नहीं हो पाई है.
सिंघल ने कहा, ‘मौजूदा परियोजना पुनरुद्धार की स्थिति में नहीं है. पुरानी मशीनरी लगभग कबाड़ बन गई है इसलिए हमें नई परियोजना पर काम करना पड़ेगा. यह परियोजना इस वित्त वर्ष के अंत तक बंद हो जाएगी. अन्यथा धनसिरी परियोजना में निर्माण और मरम्मत का काम कभी खत्म ही नहीं होगा.’
मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने परियोजना पर विचार-विमर्श करने और एक नई परियोजना शुरु करने के लिए असम के बाहर के एक प्रतिष्ठित सलाहकार की सेवा लेने का फैसला किया है.
उन्होंने कहा कि प्रारंभिक अवधि में डिजाइन और मॉडल परीक्षण में देरी, कलकत्ता हाईकोर्ट में दर्ज मामलों के कारण कई कानूनी बाधाएं, अरुणाचल प्रदेश और भूटान से अनुमति में देरी और लक्ष्य पूरा नहीं कर पाने के कारण ठेकेदार बदलने जैसे कई कारणों से परियोजना में देरी हुई.
मंत्री ने कहा, ‘साल 1979 से 1985 तक असम आंदोलन ने परियोजना के काम में बाधा डाली. उसके बाद 1993 तक बोडो आंदोलन ने भी काम की प्रगति को धीमा किया. इसके साथ ही इस बात का भी उल्लेख किया जाना चाहिए कि उस समय क्षेत्र में उग्रवाद की समस्या व्याप्त थी जिसके कारण इसे पूरा करने में कठिनाई हुई.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)