धनबाद के ज़िला एवं सत्र न्यायाधीश उत्तम आनंद मौत के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीबीआई की सीलबंद रिपोर्ट में अधिक विवरण शामिल नहीं है. साथ ही शीर्ष अदालत ने कहा कि झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश हर हफ़्ते सीबीआई जांच की प्रगति देखेंगे.
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश धनबाद में 28 जुलाई को एक वाहन द्वारा एक न्यायाधीश को कथित रूप से कुचलने के मामले में सीबीआई जांच की प्रगति की साप्ताहिक निगरानी करेंगे.
शीर्ष अदालत ने कहा कि केंद्रीय एजेंसी की सीलबंद रिपोर्ट में अधिक विवरण शामिल नहीं है.
लाइव लॉ के अनुसार, प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना, जस्टिस विनीत सरन और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने सीबीआई से कहा कि वह उच्च न्यायालय में हर हफ्ते अपनी रिपोर्ट दाखिल करे जहां मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ इसकी निगरानी करेगी.
पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा, ‘एजेंसी द्वारा सौंपे गए सीलबंद लिफाफे में कुछ भी नहीं है.’ उन्होंने कहा कि वह धनबाद के न्यायाधीश की कथित हत्या के पीछे के मकसद या कारण का संकेत देते हुए ‘कुछ ठोस’ चाहते हैं.
शीर्ष अदालत ने 30 जुलाई को इस भयावह घटना में जिला एवं सत्र न्यायाधीश उत्तम आनंद के दुर्भाग्यपूर्ण दुखद निधन का स्वत: संज्ञान लिया था और झारखंड के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक से जांच पर एक सप्ताह के भीतर स्थिति रिपोर्ट मांगी थी.
पहले इस घटना को हिट एंड रन केस माना जा रहा था, लेकिन घटना का सीसीटीवी फुटेज सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद पता चला कि ऑटो रिक्शा चालक ने कथित तौर पर जान-बूझकर जज को टक्कर मारी थी.
सीसीटीवी फुटेज में दिखाई दे रहा है कि धनबाद अदालत के जिला एवं सत्र न्यायाधीश -8 उत्तम आनंद 28 जुलाई की सुबह रणधीर वर्मा चौक पर काफी चौड़ी सड़क के एक तरफ चहलकदमी कर रहे थे, तभी एक भारी ऑटो रिक्शा उनकी ओर मुड़ा, उन्हें पीछे से टक्कर मारी और मौके से भाग गया.
स्थानीय लोग उन्हें पास के अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.
30 जुलाई को शीर्ष अदालत ने स्वत: संज्ञान लिया था और जांच पर झारखंड के मुख्य सचिव और डीजीपी से एक सप्ताह के भीतर स्थिति रिपोर्ट मांगी थी और कहा था कि खबरें और वीडियो क्लिप से संकेत मिलता है कि ‘यह साधारण सड़क दुर्घटना का मामला नहीं था.’
जिला एवं सत्र न्यायाधीश उत्तम आनंद की मौत मामले में गिरफ्तार ऑटो चालक लखन कुमार वर्मा धनबाद के सुनार पट्टी का रहने वाला है, जबकि दूसरा आरोपित राहुल वर्मा भी स्थानीय निवासी है. लखन कुमार वर्मा ने स्वीकार किया है कि घटना के वक्त ऑटो वही चला रहा था. उसकी गिरफ्तारी गिरिडीह से हुई, जबकि दूसरे आरोपित राहुल वर्मा की गिरफ्तारी धनबाद स्टेशन से हुई.
दोनों को घटना के अगले दिन बीते 29 जुलाई को गिरफ्तार किया गया था. इस बीच 31 जुलाई को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराने की अनुशंसा कर दी थी.
इससे पहले झारखंड उच्च न्यायालय के निर्देश पर पुलिस महानिदेशक ने तीन सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया था.
मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की सिफारिश करने का यह फैसला चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट की एक पीठ द्वारा घटना का स्वत: संज्ञान लेने और झारखंड के मुख्य सचिव तथा पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को एक हफ्ते के भीतर रिपोर्ट सौंपने के निर्देश देने के एक दिन बाद लिया गया था.
इस मामले में अब तक पुलिस ने 243 लोगों को हिरासत में लिया है, 17 अन्य को गिरफ्तार भी किया है. इसके अलावा 250 ऑटो रिक्शा को भी जब्त किया गया है.
इस संबंध में दो पुलिस अधिकारियों को भी निलंबित किया गया है. इनमें से एक पर कार्रवाई घटना के सीसीटीवी फुटेज को सार्वजनिक करने के लिए हुई, जबकि न्यायाधीश को टक्कर मारने वाले ऑटो की चोरी की प्राथमिकी दर्ज करने में देरी के लिए दूसरे पुलिसकर्मी को निलंबित किया गया है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)