इलाहाबाद में अखाड़ा परिषद की बैठक में संत की उपाधि देने के लिए एक प्रक्रिया तय करने का फ़ैसला लिया गया.
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने इलाहाबाद में अपनी कार्यकारिणी की बैठक के बाद देश के 14 फर्जी बाबाओं की सूची जारी की है.
इसमें आसाराम उर्फ आशुमल शिरमानी, सुखविंदर कौर उर्फ राधे मां, सचिदानंद गिरी उर्फ सचिन दत्ता, गुरमीत राम रहीम डेरा सच्चा सिरसा, ओम बाबा उर्फ विवेकानंद झा, निर्मल बाबा उर्फ निर्मलजीत सिंह, इच्छाधारी भीमानंद उर्फ शिवमूर्ति द्विवेदी, स्वामी असीमानंद, ऊं नम: शिवाय बाबा, नारायण साईं, रामपाल, खुशी मुनि, बृहस्पति गिरि और मलकान गिरि समेत कुल 14 नाम शामिल हैं.
इस बैठक में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने संत की उपाधि देने के लिए एक प्रक्रिया तय करने का फैसला किया है ताकि गुरमीत राम रहीम सिंह जैसे लोगों को इसका गलत इस्तेमाल करने से रोका जाए.
Akhil Bharatiya Akhara Parishad comes out with a list of Fake Babas: Asaram, Radhe Maa, Gurmeet Ram Rahim, Narayan Sai, Nirmal Baba,Om Baba pic.twitter.com/Q7wRMDtuwe
— ANI UP (@ANINewsUP) September 10, 2017
गौरतलब है कि हरियाणा के सिरसा में अर्द्ध धार्मिक संस्था डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत सिंह राम रहीम को बलात्कार के एक मामले में हाल ही में दोषी करार देने और जेल भेजे जाने की घटना के बाद हिंदू धर्म के नेताओं की शीर्ष संस्था को यह कदम उठाना पड़ा.
विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के संयुक्त महासचिव सुरेंद्र जैन ने कहा कि संतों के बीच यह भावना है कि एक या दो धार्मिक नेताओं के गलत कामों की वजह से पूरे समुदाय की छवि को गलत तरीके से दिखाया जा रहा है.
Such hypocrite babas should be put in jails, also their assets must be probed: Akhada Parishad National President, Mahant Narendra Giri pic.twitter.com/nO7Pt7RtPt
— ANI UP (@ANINewsUP) September 10, 2017
विहिप, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के साथ मिलकर काम करता है. जैन ने कहा, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का मानना है कि संत की उपाधि का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है इसलिए परिषद ने यह उपाधि देने के लिए एक प्रक्रिया तय करने का फैसला किया है. अब से किसी व्यक्ति की पड़ताल करने और उसका आकलन करने के बाद ही यह उपाधि प्रदान की जाएगी.
उन्होंने कहा, यह उपाधि देने से पहले अखाड़ा परिषद यह भी देखेगी कि व्यक्ति की जीवनशैली किस तरह की है. अखाड़ा परिषद के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि उन्होंने यह फैसला लिया है कि एक संत के पास नकदी या उसके नाम पर कोई संपत्ति नहीं होगी.
पदाधिकारी ने कहा, संपत्ति और नकदी जैसी सभी चीजें न्यास की होनी चाहिए और इसका बड़े पैमाने पर लोगों के कल्याण के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए. जैन ने कहा कि लोगों को किसी का अनुयाई बनने से पहले उसकी विश्वसनीयता जांच लेनी चाहिए.
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद 14 अखाड़ों की संयुक्त संस्था है जिसमें निर्मोही अखाड़ा भी शामिल है जो अयोध्या में राम जन्मभूमि आंदोलन का चेहरा है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)