बीते 28 अगस्त को करनाल में पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे किसानों पर लाठीचार्ज किया था, जिसमें कई किसान घायल हो गए थे. कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय से इस लाठीचार्ज की न्यायिक जांच की मांग की है. साथ ही विधानसभा द्वारा हाल में पारित भूमि अधिग्रहण विधेयक को मंज़ूरी न देने का आग्रह किया है.
चंडीगढ़: कांग्रेस विधायकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय से मुलाकात कर किसानों पर लाठीचार्ज की न्यायिक जांच की मांग की और राज्य विधानसभा द्वारा हाल में पारित किए गए भूमि अधिग्रहण विधेयक को मंजूरी नहीं देने का उनसे आग्रह किया.
इस बीच, पार्टी के एक अन्य प्रतिनिधिमंडल ने किसानों पर लाठीचार्ज के खिलाफ दिल्ली में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) को एक ज्ञापन सौंपा.
पुलिस ने 28 अगस्त को भाजपा की एक बैठक के विरोध में हरियाणा के करनाल की ओर जाते समय एक राजमार्ग पर यातायात बाधित करने वाले किसानों के एक समूह पर लाठीचार्ज किया था.
राज्य विधानसभा ने मानसून सत्र में भूमि अधिग्रहण में उचित मुआवजे एवं पारदर्शिता, पुनर्वास और स्थान-परिवर्तन (संशोधन) विधेयक पारित किया था. जिसे कांग्रेस ने किसान विरोधी बताया है.
एक बयान के अनुसार, विधानसभा में विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने एक अधिकारी का एक वीडियो भी राज्यपाल को दिया है जिसमें वह पुलिस को ‘किसानों के सिर फोड़ने’ के लिए कहते हुए कथित रूप से सुने जा सकते हैं.
ज्ञापन सौंपते हुए हुड्डा ने लाठीचार्ज की घटना की उच्च न्यायालय के मौजूदा न्यायाधीश या सेवानिवृत्त न्यायाधीश से न्यायिक जांच कराने की अपनी मांग दोहराई. इस लाठचार्ज में करीब 10 किसान घायल हो गए थे.
भूमि अधिग्रहण विधेयक को किसान विरोधी बताते हुए, कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से इसे मंजूरी नहीं देने और इसे पुनर्विचार के लिए हरियाणा विधानसभा में वापस भेजने का आग्रह किया.
हुड्डा ने राज्यपाल से कहा, ‘यह विधेयक किसान विरोधी, गरीब विरोधी और अलोकतांत्रिक है. सदन में विस्तृत चर्चा के बिना ही विधेयक को जल्दबाजी में पारित कर दिया गया.’
उन्होंने कहा कि नया विधेयक किसानों के हितों को नुकसान पहुंचाएगा, जो पिछले नौ महीनों से केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ पहले से ही आंदोलन कर रहे हैं.
उन्होंने दावा किया कि किसानों के हितों की रक्षा करने वाले प्रावधानों को हटा दिया गया है.
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘पुराने भूमि अधिग्रहण अधिनियम के सभी प्रावधान, जैसे किसानों की सहमति, पूर्व सूचना की प्रक्रिया और भूमि के बदले मुआवजे के साथ आवासीय भूखंड देने की प्रक्रिया को नए विधेयक में समाप्त कर दिया गया है.’
राज्यपाल से मिलने से पहले हुड्डा ने पत्रकारों से बातचीत करने के दौरान राज्य में भाजपा नीत सरकार के 2,500 दिन पूरे होने पर कहा, ‘भाजपा सरकार के दोनों कार्यकाल विफलताओं से भरे रहे हैं. सरकार फिर किस चीज़ का जश्न रही है?’
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, हुड्डा ने कहा, ‘क्या सरकार इस बात का जश्न मना रही है कि उसने बेरोजगारी, अपराध, ड्रग्स, घोटाले, किसान विरोध और प्रदूषण में हरियाणा को नंबर एक बना दिया है?’
उन्होंने कहा कि क्या सरकार इस बात का जश्न मना रही है कि उसने किसानों को लाठियों से पीटा? और किसान आज सड़कों पर बैठा है? क्या यह इस बात का जश्न मना रहा है कि आज राज्य पर ढाई लाख करोड़ रुपये का कर्ज है.
इस बीच, पार्टी महासचिव विवेक बंसल के नेतृत्व में हरियाणा कांग्रेस के नेताओं के एक अन्य प्रतिनिधिमंडल ने लाठीचार्ज के संबंध में दिल्ली में एनएचआरसी को एक ज्ञापन सौंपा. बंसल हरियाणा में पार्टी के मामलों के प्रभारी हैं.
बंसल ने मीडियाकर्मियों से कहा कि उन्होंने मांग की कि किसानों पर इस तरह के बर्बर लाठीचार्ज का निर्देश देने वाले अधिकारी को निलंबित किया जाए. उन्होंने कहा कि सरकार को इस कृत्य के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए और किसानों की मांगों को पूरा करने का रास्ता खोजना चाहिए.
बंसल ने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आत्मनिर्भर भारत का नारा दे रहे हैं, लेकिन दूसरी तरफ सरकार उन किसानों पर लाठीचार्ज करने का आदेश दे रही है, जिन्होंने वास्तव में देश को आत्मनिर्भर बनाया है.’
विवेक बंसल के साथ हरियाणा कांग्रेस प्रमुख कुमारी शैलजा, राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र सिंह हुड्डा, किरण चौधरी और अजय सिंह यादव सहित अन्य वरिष्ठ नेता थे.
मालूम हो कि बीते 28 अगस्त को हरियाणा के करनाल के बस्तारा टोल प्लाजा पर पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे किसानों पर लाठीचार्ज कर दिया था, जिसमें कई किसान घायल हो गए. किसान आगामी पंचायत चुनाव को लेकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की अध्यक्षता में भाजपा की बैठक का विरोध कर रहे थे.
पुलिस द्वारा किए गए लाठीचार्ज में घायल एक किसान की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी.
प्रदर्शनकारी किसानों पर पुलिस के लाठीचार्ज के बाद करनाल के सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) का एक वीडियो सामने आया था, जिसमें वह पुलिसकर्मियों को प्रदर्शनकारियों की पिटाई के निर्देश देते दिखाई दिए थे.
इस वीडियो में करनाल एसडीएम आयुष सिन्हा को सुरक्षा घेरा तोड़ने वालों के सिर फोड़ने का पुलिसकर्मियों को निर्देश देते सुना जा सकता है.
हरियाणा के मुख्यमंत्री खट्टर ने करनाल एसडीएम का बचाव करते हुए कहा था कि आईएएस अधिकारी का शब्द चयन सही नहीं था, लेकिन वहां कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए सख्ती की जरूरत थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)