इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में मिज़ोरम, असम, त्रिपुरा, नगालैंड और मेघालय के प्रमुख समाचार.
आइजॉल/गुवाहाटी/अगरतला/दीमापुर/शिलॉन्ग: चिन नेशनल आर्मी (सीएनए) के कैडर्स के नेतृत्व में चिनलैंड डिफेंस फोर्स (सीडीएफ) और म्यांमार सेना के बीच शुक्रवार तड़के मिजोरम में सशस्त्र संघर्ष हुआ.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, सीएनए सूत्रों ने बताया कि 150 सीएनए कैडर्स की अगुवाई में सीडीएफ के 150 सदस्यों ने लुंगलेर गांव में म्यांमार सेना के कैंप पर हमला किया और म्यांमार सेना द्वारा वहां जवाबी कार्रवाई करने के लिए कुछ हेलीकॉप्टर और दो जेट लड़ाकू विमान भेजने से पहले ही वे कैंप में चारों और फैल गए.
बता दें कि लुंगलेर गांव चिन स्टेट की थानटलांग टाउनशिप के भीतर है, जहां 30 सैनिक और पुलिसकर्मी तैनात हैं.
गांव में तैनात एक पुलिसकर्मी ने बताया कि हेलीकॉप्टर और जेट लड़ाकू विमानों से हुए हवाई हमलों को थिंगसाई गांव से देखा जा सकता था.
उन्होंने कहा, ‘थिंगसाई गांव के सभी ग्रामीण इस बमबारी को देखने बाहर निकले और वे गोलियों एवं विस्फोट की आवाज सुन सकते थे.
पुलिसकर्मी ने बताया कि म्यांमार के कुछ शरणार्थी भी थिंगसाई गांव पहुंचे हैं.’
बता दें कि दरअसल दोनों पक्षों की ओर से यह मुठभेड़ म्यांमार के थांगटलांग से मिजोरम में लगभग 100 शरणार्थियों के घुसने पर हुई है.
इन लोगों ने म्यांमार-मिजोरम सीमावर्ती नदी टीओ को पार किया और चम्पई जिले के फरकॉन और थेक्टे गांवों में शरण लीं, जहां इन्हें क्वारंटीन कर दिया गया है.
सीएनए सूत्रों ने बताया, मिजोरम, म्यांमार सीमावर्ती नदी टिओ के उस पर 15 लोग और हैं, जो क्वारंटीन केंद्रों की अनुपलब्धता की वजह से वहां इंतजार कर रहे हैं.
इससे पहले राज्य के अधिकारियों ने कहा था कि बर्मा की निर्वासित सरकार ‘नेशनल यूनिटी गवर्नमेंट’ के समर्थकों और सैन्य जुंटा बल के बीच झड़प के मद्देनजर मिजोरम म्यांमार से शरणार्थियों की दूसरी लहर से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है.
उनके अनुसार, मंगलवार सात सितंबर को विद्रोह के आह्वान के बाद सैन्य कार्रवाई के मद्देनजर पहले ही 150 से अधिक लोग सीमा पार कर चुके हैं.
अधिकारियों ने कहा कि म्यांमार के एक गांव में एनयूजी के समर्थकों और म्यांमार सेना के बीच भयंकर गोलीबारी की आवाजें मिजोरम के हनहथियाल जिले के निकटतम सीमावर्ती गांव थिंगसाई में भी सुनाई दीं.
म्यांमार के एनयूजी का गठन उन निर्वाचित सांसदों द्वारा किया गया है, जिन्हें सेना ने अपदस्थ कर दिया था.
हनहथियाल जिले के उपायुक्त एच. डोलियानबुआइया ने बताया था कि गुरुवार से म्यांमार के लगभग 60 नागरिकों और म्यांमार सेना के बीच सशस्त्र संघर्ष से भागकर जिले में प्रवेश कर चुके हैं.
उन्होंने बताया, ‘हमारे जिले ने पहले ही म्यांमार के लगभग 700 शरणार्थियों को शरण दी है. पड़ोसी देश में देशव्यापी विद्रोह के बाद और लोगों के प्रवेश करने की संभावना है.’
मिजोरम म्यांमार के साथ 510 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करता है. मिजोरम में पहले से ही म्यांमार के हजारों नागरिक रह रहे हैं, जो म्यांमार सेना द्वारा इस साल पहली फरवरी को लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार से सत्ता हथियाने के बाद अपना देश छोड़कर भाग आए थे.
अधिकारियों ने बताया कि म्यांमार के अधिकतर नागरिकों को मानवीय आधार पर स्थानीय संगठनों और व्यक्तियों ने अस्थायी आश्रय और भोजन उपलब्ध कराया है, जबकि अन्य अपने रिश्तेदारों के साथ रह रहे हैं.
उन्होंने बताया कि म्यांमार के अधिकांश नागरिक गैर सरकारी संगठनों द्वारा स्थापित अस्थायी आश्रयों में रहते हैं.
असम: नौका दुर्घटना में लापता व्यक्ति का शव मिला, कांग्रेस ने लगाया सुरक्षा इंतजामों के अभाव का आरोप
असम के जोरहाट जिले में निमती घाट में नौका दुर्घटना में लापता दो लोगों में से एक का शव चार दिन बाद शनिवार सुबह बिस्वनाथ घाट के समीप बरामद किया गया, जो घटनास्थल से करीब 100 किलामीटर दूर स्थित है.
यह शव मिलने के साथ ही नौका दुर्घटना में मारे गए लोगों की संख्या बढ़कर दो हो गई है. जोरहाट के उपायुक्त अशोक बर्मन ने बताया कि वन विभाग के अधिकारियों ने इलाके से शव बरामद किया.
उन्होंने बताया, ‘शव से मिले दस्तावेजों से मृतक व्यक्ति की पहचान लखीमपुर जिले के इंद्रेश्वर बोरा के रूप में हुई है.’
बर्मन ने बताया कि अन्य लापता व्यक्ति जोरहाट का एक डॉक्टर है. उसका पता लगाया जा रहा है और जोरहाट में निमती घाट पर दुर्घटनास्थल के साथ ही ब्रह्मपुत्र नदी के आसपास के इलाकों में भी तलाश अभियान चल रहा है.
शव को बिस्वनाथ चरियाली लाया गया और परिवार के सदस्यों को शव सौंपने से पहले उसे पोस्टमार्टम के लिए भेजा जाएगा.
गौरतलब है कि बुधवार को निमती घाट के समीप करीब 90 यात्रियों के साथ माजुली जा रही एकल इंजन वाली निजी नौका की एक सरकारी नौका से टक्कर हो गई थी, जिसमें कम से कम दो लोग मारे गए थे.
राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ), जिला प्रशासन और पुलिसकर्मियों समेत कई एजेंसियां तलाश अभियान में लगी हैं.
उधर, असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी (एपीसीसी) के अध्यक्ष भूपेन बोरा ने गुरुवार को आरोप लगाया कि बुधवार को बाढ़ग्रस्त ब्रह्मपुत्र नदी में टकराने और डूबने वाली दोनों नौकाओं में लाइफ जैकेट, स्विमिंग ट्यूब आदि जैसे सुरक्षा किट का कोई इंतजाम नहीं था.
बोरा ने एक संवाददाता सम्मेलन में यह भी रेखांकित किया कि मीडिया रिपोर्टों के अनुसार एसडीआरएफ और एनडीआरएफ दोनों की मदद से आपदा स्थल तक पहुंचने में एक घंटे का समय लगा.
कांग्रेस ने मांग की कि राज्य सरकार मृतकों के परिवारों को तत्काल 25 लाख रुपये की अनुग्रह राशि प्रदान करे.
राज्य कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि उनकी पार्टी दुर्भाग्यपूर्ण घटना का राजनीतिकरण नहीं करना चाहेगी, लेकिन साथ ही एक विपक्षी दल के रूप में यह हमारा नैतिक कर्तव्य है कि हम सरकार को लोगों के जीवन के प्रति उसकी लापरवाही और खामियों की याद दिलाएं.
इससे पहले गुरुवार को इस घटना को लेकर गुवाहाटी में विरोध प्रदर्शन किया गया था, जिसके बाद पुलिस ने विद्यार्थियों सहित अन्य प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया.
मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा के दौरे से पहले माजुली पहुंचे ऊर्जा मंत्री बिमल बोरा को प्रदर्शनकारी विद्यार्थियों ने घेरलिया और करीब आधे घंटे तक गारमुर चेरियाली में सड़क पर बैठे रहने पर मजबूर किया.
इस दौरान बोरा ने प्रदर्शनकारियों से बातचीत कर समझाने का प्रयास किया, लेकिन जब प्रदर्शनकारी शांत नहीं हुए और मुख्यमंत्री से उनसे मुलाकात करने आने की मांग करने लगे तो वह वहां से निकल गए.
एकप्रदर्शनकारी छात्र ने कहा, ‘नौकाओं पर कोई टिकट नहीं मिलती और न कोई लाइफ जैकेट थी. हम जन्म से ही यहां पुल बनने की बात सुन रहे हैं लेकिन अब तक एक भी पुल नहीं देखा है.’
एक अन्य छात्र ने कहा कि उन्होंने बोरा से कई सवाल पूछे, लेकिन ‘वह कोई जवाब नहीं दे सके.’
जब प्रदर्शनकारियों ने अवरोधकों को तोड़ने की कोशिश की और स्थिति तनावपूर्ण हो गई तब पुलिस और अर्धसैनिक बल के जवानों ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए बल प्रयोग किया.
विरोध प्रदर्शन के बाद माजुली के दौरे पर आए मुख्यमंत्री से ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू) के प्रतिनिधियों ने मुलाकात की. उन्होंने नाव पलटने के लिए जिम्मेदार लोगों को सजा देने की मांग की.
इससे पहले मुख्यमंत्री नौका दुर्घटना मामले में आपराधिक मामला दर्ज करने के निर्देश देते हुए कहा था कि मामले की उच्च स्तरीय जांच होगी.
शर्मा ने एकल इंजन वाली सभी नौकाओं के माजुली तक चलने पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है और घोषणा की कि जोरहाट और माजुली के बीच प्रस्तावित पुल का निर्माण नवंबर 2021 से शुरू हो जाएगा तथा इसे चार साल के अंदर पूरा किया जाएगा.
वरिष्ठ अधिकारियों के साथ दुर्घटनास्थल का दौरा करने के बाद जोरहाट और माजुली के बीच काफी समय से लंबित पुल के बारे में बात करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह एक ईपीसी (इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण) अनुबंध था और संरचना का नक्शा केंद्र सरकार को सौंपा गया है.
उन्होंने कहा, “ मैंने केंद्र से बात की, जो पुल का निर्माण करेगा. एक बार नक्शे को मंजूरी मिलने के बाद, नवंबर से निर्माण शुरू हो जाएगा. उसके बाद, इसे पूरा होने में चार साल लगेंगे. इसकी प्रगति की निगरानी के लिए एक मंत्रिस्तरीय समूह का गठन किया जाएगा.’
माजुली को मुख्य भूमि से जोड़ने के लिए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने फरवरी 2016 में ब्रह्मपुत्र नदी के दक्षिण तट पर जोरहाट को नदी द्वीप के जरिये उत्तरी तट पर लखीमपुर से जोड़ने वाले एक पुल की नींव रखी थी.
उसी पुल के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल फरवरी में विधानसभा चुनाव से पहले 925 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले आठ किलोमीटर लंबे जोरहाट-माजुली पुल की आधारशिला रखी थी.
त्रिपुराः मीडिया दफ्तरों में तोड़फोड़ के विरोध में पत्रकारों और माकपा का प्रदर्शन
त्रिपुरा में भाजपा और माकपा कार्यकर्ताओं के बीच संघर्ष के दौरान दो अखबारों और दो टीवी चैनलों के दफ्तरों में तोड़फोड़ किए जाने के बाद दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर पत्रकारों ने गुरुवार को त्रिपुरा पुलिस मुख्यालय के सामने धरना दिया.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, बुधवार को विभिन्न जिलों में माकपा पार्टी के कुछ कार्यालयों पर हमले के दौरान अखबार और टीवी चैनल के कार्यालयों में तोड़फोड़ की गई थी.
तीन जिलों में भाजपा और माकपा कार्यकर्ताओं के बीच हुई झड़पों में कम से कम दस लोग घायल हो गए थे, दो पार्टी कार्यालय जल गए, कई अन्य में तोड़फोड़ की गई और छह वाहनों में आग लगा दी गई.
इन प्रदर्शनों के दौरान त्रिपुरा में माकपा का मुखपत्र डेली देशेर कथा का दफ्तर, स्थानीय मीडिया हाउस प्रतिवादी कलम और उसकी टीवी शाखा पीबी24 और गोमती जिले के उदयपुर का एक स्थानीय टीवी चैनल दुरंता टीवी हमले का शिकार हुए.
एक स्थानीय मीडिया अधिकार संगठन फोरम फॉर डेवलपमेंट एंड प्रोटेक्शन ऑफ मीडिया कम्युनिटी के संयोजक सेबक भट्टाचार्य ने एक बयान में कहा कि हमले में प्रतिबादी कलम अखबार और पीबी 24 न्यूज चैनल के तीन पत्रकार घायल हो गए. पत्रकार प्रसेनजीत साहा को सिर में चोट लगी और बाद में उन्हें कई टांके लगे.
मीडिया संस्था ने हमले में शामिल लोगों को कड़ी से कड़ी सजा देने और मीडियाकर्मियों की सुरक्षा की मांग की है.
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) कार्यालयों पर हमले और आगजनी की घटनाओं को लेकर शुक्रवार को डीसी ऑफिस के बाहर प्रदर्शन किया गया. माकपा के राज्य सचिव ओंकार शाद ने कहा कि भाजपा पूरे देश में दंगे करवा रही है ताकि इससे उनकी विफलताएं लोगों के सामने न आएं.
इससे पहले गुरुवार को माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि त्रिपुरा में आठ सितंबर को उनकी पार्टी के दफ्तरों पर ‘भाजपा की के लोगों की भीड़’ द्वारा हमला किया गया.
पत्र में येचुरी ने कहा था कि माकपा के प्रदेश मुख्यालय और कई कार्यालयों पर सुनियोजित ढंग से हमला किया गया तथा हमलावरों ने जिस तरह से यह सब किया उससे राज्य सरकार की ’मिलीभगत’ भी दिखाई देती है.
माकपा महासचिव ने आरोप लगाया था कि पार्टी समर्थित अखबार ‘डेली देशरकथा’ के कार्यालय पर भी हमला किया गया. उन्होंने प्रधानमंत्री से आग्रह कि वह मामले में हस्तक्षेप करें और माकपा एवं वाम मोर्चे के खिलाफ हिंसा को रोकें.
नगालैंड: राज्यपाल आरएन रवि तमिलनाडु के राज्यपाल नियुक्त
नगा शांति वार्ता में केंद्र के वार्ताकार और नगालैंड के राज्यपाल आरएन रवि को तमिलनाडु का राज्यपाल बनाया गया है.
राष्ट्रपति भवन ने गुरुवार को बयान में कहा कि राष्ट्रपति ने एक राज्यपाल के इस्तीफे को स्वीकार करने के अलावा तीन राज्यपालों की नियुक्ति की है.
आदेश में कहा गया है कि वर्तमान में असम के राज्यपाल जगदीश मुखी नगालैंड का अतिरिक्त प्रभार भी संभालेंगे.
न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, तमिलनाडु के राज्यपाल पद पर उनकी नियुक्ति किसी प्रमोशन से कम नहीं है.
हालांकि, वह नगा शांति वार्ता के लिए केंद्र के वार्ताकार बने रहेंगे. इससे पहले नगा समाज और एनएससीएन-आईएम ने वार्ताकार के तौर पर उन्हें हटाने की मांग की थी.
विद्रोही समूह और राज्य सरकार ने तमिलनाडु के राज्यपाल के तौर पर उनकी नियुक्ति पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
हालांकि, सत्तारूढ़ नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी के प्रमुख चिंगवांग कोनयाक का कहना है कि कुछ लोग खुश हैं जबकि कुछ निराश हैं.
उन्होंने कहा, ‘वे राज्य के राज्यपाल थे लेकिन उन्होंने एक लोकप्रिय सरकार के मामलों में हस्तक्षेप किया. सरकार खुश नहीं थी.’
उल्लेखनीय है कि केंद्र के साथ बातचीत करने वाले प्रमुख नगा समूह नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालिम (एनएससीएन-आईएम) और रवि के बीच बिगड़ते रिश्तों के चलते पिछले कुछ समय में नगा शांति प्रक्रिया में मुश्किलें आई हैं.
2015 में नगा शांति समझौते के लिए एक फ्रेमवर्क एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए जाने के बावजूद सरकार समझौते को अंतिम रूप नहीं दे पाई है. इस बीच कई बार रवि को वार्ताकार के पद से हटाए जाने की भी मांग उठी है.
इस महीने की शुरुआत में नगा पीपुल्स मूवमेंट फॉर ह्यूमन राइट्स (एनपीएमएचआर) द्वारा आयोजित कॉन्फ्रेंस में शामिल सांसदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवियों ने नगा शांति वार्ता के लिए नए वार्ताकार को नियुक्त करने की मांग की थी.
रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने आरएन रवि और एनएससीएन-आईएम के बीच विश्वास की कमी की वजह से शांति प्रक्रिया के अचानक पटरी से उतरने को लेकर निराशा जताई थी.
इस दौरान कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच वार्ताकार का होना जरूरी है. शांति बहाल करने के लिए एक वार्ताकार को नियुक्त करना जरूरी है, जो दोनों पक्षों के बीच दोबारा विश्वास बहाल कर सके.
रवि और एनएससीएन-आईएम के बीच संबंधों में 2020 में खटास आ गई थी, जब रवि ने मुख्यमंत्री नेफियू रियो को कानून और व्यवस्था की स्थिति की आलोचना करते हुए पत्र लिखा था.
उस समय भी वार्ताकार बदलने की मांग उठी थी. तब नगा संगठनों के प्रतिनिधि एनएससीएन-आईएम ने कहा था कि वे (रवि) इस प्रक्रिया में बाधा पैदा कर रहे हैं, इसलिए वार्ता आगे बढ़ाने के लिए नया वार्ताकार नियुक्त किया जाना चाहिए.
तब संगठन की ओर से जारी बयान कहा गया कि नगा मुद्दों पर रवि के तीखे हमलों की बदौलत शांति समझौते की प्रक्रिया तनावपूर्ण स्थिति में पहुंच गई है.
गौरतलब है कि उत्तर पूर्व के सभी उग्रवादी संगठनों का अगुवा माने जाने वाला एनएससीएन-आईएम अनाधिकारिक तौर पर सरकार से साल 1994 से शांति प्रक्रिया को लेकर बात कर रहा है.
केंद्र सरकार ने निकी सूमी के नेतृत्व वाले एनएससीएन के साथ शांति समझौता किया
केंद्र ने आठ सितंबर को नगा उग्रवादी समूह ‘एनएससीएन’ के निकी सूमी के नेतृत्व वाले धड़े के साथ संघर्ष विराम समझौते पर हस्ताक्षर किए.
सूमी के खिलाफ एनआईए ने वर्ष 2015 में मणिपुर में सेना के 18 जवानों की कथित रूप से हत्या करने के लिए 10 लाख रुपये के इनाम की घोषणा की थी.
गृह मंत्रालय के मुताबिक, ‘शांति समझौता आठ सितंबर से एक साल के लिए प्रभावी रहेगा और इस समूह के 200 से अधिक सदस्यों ने आत्मसमर्पण किया है.’
गृह मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि संघर्ष विराम समझौता नगा शांति प्रक्रिया और पूर्वोत्तर को उग्रवाद मुक्त बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है.
बयान के मुताबिक, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में उग्रवाद मुक्त और समृद्ध पूर्वोत्तर के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण को पूरा करने और नगा शांति प्रक्रिया को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (के) निकी समूह के साथ संघर्ष विराम समझौता किया है.
मेघालय: निर्दलीय विधायक का कोविड-19 से निधन
मेघालय के निर्दलीय विधायक सिंटार केलास सुन का शुक्रवार को कोविड-19 से निधन हो गया..
मौफलांग सीट से विधायक सुन की कोरोना वायरस से संक्रमित पाए जाने के बाद उनके आवास पर मृत्यु हो गई.
विधानसभा के एक अधिकारी ने बताया कि वह राज्य के उन सात विधायकों में शामिल थे जिन्होंने कोविड-रोधी टीके की खुराक नहीं ली थी..
सुन पर्यावरण पर विधानसभा की समिति के अध्यक्ष भी थे. मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने सुन के निधन पर शोक जताया.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)