कांग्रेस विधायक शर्मन अली अहमद को बीते दिनों दरांग ज़िले में हुए अतिक्रमण रोधी अभियान को लेकर विवादित टिप्पणी करने के लिए शनिवार को गिरफ़्तार किया गया है. कांग्रेस की असम इकाई ने बताया कि पार्टी के अनुशासन का ‘बार-बार उल्लंघन करने’ को लेकर अहमद को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है.
गुवाहाटी: कांग्रेस की असम इकाई ने पार्टी के अनुशासन का ‘बार-बार उल्लंघन करने’ को लेकर अपने विधायक शर्मन अली अहमद को सोमवार को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है.
पार्टी महासचिव बबीता शर्मा ने बताया कि असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी (एपीसीसी) के अध्यक्ष भूपेन कुमार बोरा ने एक आदेश के जरिये अहमद को कांग्रेस से निलंबित कर दिया.
अहमद को दरांग जिले में हालिया अतिक्रमण रोधी अभियान के दौरान कथित रूप से ‘भड़काऊ’ टिप्पणी करने के लिए शनिवार को उनके आधिकारिक आवास से गिरफ्तार किया गया था.
गुवाहाटी में कामरूप जिला मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने उन्हें भारतीय दंड संहिता की प्रासंगिक धाराओं के तहत रविवार को दो दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया था.
प्रदेश कांग्रेस ने राज्य में उपचुनाव से पहले ‘सांप्रदायिक रूप से भड़काऊ’ बयान देने के लिए उन्हें पिछले सप्ताह एक नोटिस भी जारी किया था और उनसे तीन दिन के भीतर जवाब मांगा था.
एक विज्ञप्ति में बताया गया कि असम कांग्रेस विधायक दल (एसीएलपी) ने रविवार को सर्वसम्मति से सिफारिश की थी कि एपीसीसी ‘पार्टी के अनुशासन का बार-बार उल्लंघन’ करने के कारण अहमद के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करे.
ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की युवा शाखा भाजपा जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) सहित कई संगठनों ने विधायक की टिप्पणी को लेकर उनके खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी.
पिछले महीने दरांग में बेदखली का अभियान पहले दिन शांतिपूर्ण रहा, लेकिन दूसरे दिन स्थानीय लोगों ने कड़ा प्रतिरोध किया. पुलिस की गोलीबारी में 12 वर्षीय लड़के सहित दो लोगों की मौत हो गई. झड़प में पुलिसकर्मियों सहित 20 से अधिक लोग घायल हो गए.
सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल असम गण परिषद ने डिब्रूगढ़, बारपेटा, मंगलदोई, धेमाजी, तेजपुर, विश्वनाथ, नलबाड़ी, बोनगाईगांव, माजुली और मोरीगांव सहित विभिन्न स्थानों पर विरोध प्रदर्शन किया और विधायक के पुतले जलाए.
अहमद बारपेटा जिले के बागबर विधानसभा क्षेत्र से तीन बार विधायक रह चुके हैं. वह 2016 और 2021 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने से पहले ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) का हिस्सा रह चुके हैं.
अहमद ने ये टिप्पणियां भाजपा नीत सत्तारूढ़ गठबंधन के कुछ नेताओं के इस दावे पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए की थी कि दरांग जिले के सिपाझार इलाके में कथित अतिक्रमणकारियों ने असम आंदोलन के दौरान 1983 में आठ लोगों की ‘हत्या’ की थी.
अहमद ने कथित तौर पर कहा था कि 1983 के आंदोलन में मारे गए आठ लोग ‘शहीद नहीं, बल्कि हत्यारे’ थे, क्योंकि वे सिपाझार इलाके के अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को मारने में शामिल थे. उन्होंने कथित तौर पर कहा कि आठ लोगों पर हुआ ‘हमला’ उस क्षेत्र की मुस्लिम आबादी द्वारा ‘आत्मरक्षा’ का कार्य था.
उल्लेखनीय है कि छह साल तक चला असम आंदोलन 1979 में ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन द्वारा शुरू किया गया था, जिसके तहत अवैध प्रवासियों की पहचान कर उनके निर्वासन की मांग की गई थी.
आंदोलन के दौरान हिंसा की कई घटनाएं हुई, जिसमें सबसे प्रमुख 1983 का नेल्ली नरसंहार था, जिसमें अनाधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, इस दौरान 3,000 से अधिक (अधिकतर बंगाली मुस्लिम) लोगों की मौत हुई थी.
असम सरकार की वेबसाइट पर असम आंदोलन को ऐतिहासिक और आजादी के बाद के मुख्य रूप से असम के छात्रों के नेतृत्व में हुए सबसे प्रसिद्ध आंदोलनों में से एक बताया गया है. वेबसाइट के मुताबिक, ‘इस ऐतिहासिक आंदोलन के छह सालों के दौरान 855 (बाद में ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन ने इस संख्या को 860 बताया) लोगों ने घुसपैठ मुक्त असम की उम्मीद में अपना बलिदान दिया था.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)