सीएए विरोधी प्रदर्शन: सुप्रीम कोर्ट ने निष्कासित छात्र को स्नातक परीक्षा देने की अनुमति दी

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित ख़्वाज़ा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय ने अहमद रज़ा ख़ान को नागरिकता संशोधन अधिनियम के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन आयोजित करने में उनकी कथित संलिप्तता के लिए निष्कासित कर दिया था.

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(फोटो: पीटीआई)

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित ख़्वाज़ा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय ने अहमद रज़ा ख़ान को नागरिकता संशोधन अधिनियम के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन आयोजित करने में उनकी कथित संलिप्तता के लिए निष्कासित कर दिया था.

(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने उस छात्र को लखनऊ के एक विश्वविद्यालय से स्नातक के लिए छठे सेमेस्टर की परीक्षा देने की सोमवार को अनुमति दे दी, जिसे नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) विरोधी प्रदर्शन आयोजित करने का प्रयास करने को लेकर निष्कासित कर दिया गया था.

जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय के इस हलफनामे पर गौर किया कि छात्र ने विश्वविद्यालय के कुलपति से ‘माफी’ मांगी है.

विश्वविद्यालय को पहले ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती उर्दू, अरबी-फारसी विश्वविद्यालय के नाम से जाना जाता था.

पीठ ने छात्र अहमद रजा खान की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हुजेफा अहमदी की इस दलील से सहमति जताई कि बाद के घटनाक्रम को देखते हुए उसे परीक्षा देने की अनुमति दी जानी चाहिए.

पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘याचिकाकर्ता को अब अपने आचरण को सही रखने और विश्वविद्यालय को शिकायत का कोई मौका नहीं देने की आवश्यकता है. इसके मद्देनजर विश्वविद्यालय को रियायतें देने दिया जाए. यदि याचिकाकर्ता किसी भी मामले में विश्वविद्यालय को ऐसा कोई अवसर देता है तो हम विश्वविद्यालय को याचिकाकर्ता के खिलाफ कार्रवाई करने की स्वतंत्रता देते हैं.’

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि छात्र को निष्कासित कर दिया गया था और उन्होंने कुछ समय के लिए कक्षाओं में भाग नहीं लिया था, पीठ ने कहा कि उपस्थिति की आवश्यकता परीक्षा में आड़े नहीं आएगी.

अहमद खान को नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 के खिलाफ विरोध प्रदर्शन आयोजित करने में उनकी कथित संलिप्तता के लिए निष्कासित कर दिया गया था.

वकील अहमदी ने बताया कि लखनऊ स्थित विश्वविद्यालय ने कहा है कि अहमद खान ने 21 सितंबर, 2021 को कुलपति को संबोधित करते हुए माफी मांगी थी, परिणामस्वरूप छात्र के मामले पर विचार करने के लिए एक समिति का गठन किया गया था.

विश्वविद्यालय ने हलफनामे में कहा कि समिति ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि अहमद खान को मई 2022 में या बाद की तारीख में होने वाली परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जाए.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)