देश में ईसाइयों पर अत्याचार की घटनाओं पर निगरानी रखने वाले मानवाधिकार संगठनों ने हिंदुत्व समूहों द्वारा ईसाइयों पर की गई हिंसा का दस्तावेज़ीकरण करते हुए एक फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट जारी की है. इसमें कहा गया है कि 21 राज्यों, विशेष रूप से उत्तर भारत में 2021 के शुरुआती नौ महीनों में इस तरह के तीन सौ से अधिक मामले दर्ज हुए हैं.
नई दिल्लीः उत्तराखंड के रुड़की में तीन अक्टूबर को कथित तौर पर स्थानीय दक्षिणपंथी समूहों से जुड़े 200 से अधिक अज्ञात लोगों और महिलाओं ने एक चर्च में तोड़-फोड़ की और वहां रविवार की प्रार्थना के लिए जुटे कई लोगों पर हमला किया, जिनमें महिलाएं भी थीं. इस मामले में आश्वासन के बाद अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है.
ईसाइयों के खिलाफ हेट क्राइम, भीड़ हिंसा (मॉब लिंचिंग) जैसी घटनाएं कथित धर्मांतरण को लेकर डर और चिंता के आधार पर समुदाय के खिलाफ रैलियों और नारेबाजी की वजह से बढ़ी हैं.
देश में ईसाइयों पर अत्याचार की घटनाओं पर निगरानी रखने वाले मानवाधिकार संगठनों ने सभी राज्यों में हिंदुत्व समूहों द्वारा ईसाइयों पर की गई हिंसा का दस्तावेजीकरण कर ‘भारत में ईसाइयों पर हमले’ नाम की फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट जारी की.
इस रिपोर्ट में कहा गया कि 2021 के शुरुआती नौ महीनों में इस तरह के 300 से अधिक मामले 21 राज्यों, विशेष रूप से उत्तर भारत में दर्ज हुए हैं.
यह रिपोर्ट दिल्ली में 21 अक्टूबर को हुई एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में एसोसिएशन ऑफ प्रोटेक्शन सिविल राइट्स, यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम और यूनाइटेड अगेंस्ट हेट ने जारी की.
दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व सदस्य और यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम (यूसीएफ) के राष्ट्रीय समन्वयक एसी माइकल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘ईसाइयों द्वारा हिंदुओं के धर्मांतरण की जो आग भड़काई जा रही हैं, वह आधारहीन है. ईसाइयों पर ये क्रूर हमले 21 राज्यों में हुए हैं. अधिकतर घटनाएं उत्तरी राज्यों में हो रही हैं जिनमें 288 मामले भीड़ हिंसा के थे. यह खौफनाक स्थिति है, जो राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) और गृह मंत्रालय की स्थिति और उसकी भूमिका और हिंसा रोकने में उनकी असफलता को लेकर गंभीर सवाल उठा रही है.’
उन्होंने कहा, ‘इन मामलों में 49 से अधिक एफआईआर भी दर्ज की गई है लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई.’
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, चर्च पर कई हमले हुए हैं विशेष रूप से उत्तर प्रदेश और देश के अन्य हिस्सों में ईसाइयों के खिलाफ हेट स्पीच के कई मामले सामने आए हैं, विशेष रूप से छत्तीसगढ़ और कर्नाटक में.
रुड़की में चर्च पर हमले को लेकर अपनी गवाही को साझा करते हुए इवा लैंस ने कहा, ‘200 से अधिक लोग नारेबाजी करते हुए हमारे चर्च में घुसे. हमें घटना से हफ्तेभर पहले धमकी भी मिली थी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई. रविवार को चर्च के सीसीटीवी कैमरे तोड़ दिए गए और हम पर सांप्रदायिक टिप्पणियां की गई. चर्च में मौजूद महिलाओं को उनके बालों से पकड़कर घसीटा गया और उनके सीने पर घूंसे मारे गए.’
उन्होंने कहा, ‘हमारे अधिकारों के गंभीर उल्लंघन के बावजूद हमारे ही खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई, जिसमें हत्या, उत्पीड़न और डकैती जैसे गंभीर आरोप लगाए गए पर हमारी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. इस घटना के बाद से हम डर-डर के जी रहे हैं क्योंकि हमारे इलाकों में ध्रुवीकरण हो रहा है.’
मालूम हो कि चर्च में सहायक रजत कुमार पर भीड़ ने लोहे की छड़ से हमला किया, जिससे उन्हें गंभीर चोट आई है. उनकी गवाही के मुताबिक, ‘उन्होंने (भीड़) मुझे गर्दन से पकड़कर जमीन पर घसीटा और मेरे चेहरे और पीठ पर घूसे मारे. मेरे सिर पर लोहे की रॉड से हमला किया गया, जिससे मैं बेहोश हो गया.’
भीड़ हिंसा के अन्य उदाहरण
इस हफ्ते की शुरुआत में दक्षिणपंथी संगठन बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद के सदस्य कर्नाटक के हुबली के एक चर्च में भजन गाते हुए घुसे. ये लोग कथित तौर पर जबरन धर्मांतरण का विरोध कर रहे थे.
इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें सुबह लगभग 11 बजे हुबली के एक चर्च में दर्जन महिलाएं और पुरुष हाथ जोड़कर भजन गाते दिखाई दिए. बाद में भाजपा विधायक अरविंद बेलाड ने पैस्टर सोमू अवरधी की गिरफ्तारी की मांग करते हुए राजमार्ग ब्लॉक कर दिया.
10 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश पुलिस ने दक्षिणपंथी हिंदुत्व समूह के सदस्यो की शिकायतों के बाद मऊ जिले में कई लोगों को हिरासत में लिया. इन पर लोगों का धर्मांतरण करने का आरोप लगाया गया है.
फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट में कहा गया है कि बड़ी संख्या में इस तरह के हमले दलित और आदवासी समुदायों के ईसाइयों के साथ हुए हैं.
छत्तीसगढ़ में भी ईसाइयों के खिलाफ हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं. 29 अगस्त को छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले के एक दूरवर्ती गांव में 100 से अधिक लोगों के एक समूह ने कथित तौर पर 25 साल के एक पादरी के घर में घुसकर उसकी पिटाई की.
द गार्डियन की रिपोर्ट के मुताबिक, छत्तीसगढ़ में इस साल की शुरुआत में ही ईसाइयों पर हमले की घटनाएं होनी शुरू हो गई थी. रिपोर्ट में कहा गया, कुछ गांवों में चर्चों में तोड़फोड़ की गई. अन्य पादरियों की पिटाई की गई और उनके साथ दुर्व्यवहार हुआ.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)