नॉर्थ ईस्ट डायरी: अमेरिकी रिपोर्ट में कहा गया- चीन ने अरुणाचल के विवादित क्षेत्र में गांव बसाया

इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में असम, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, मेघालय और मिज़ोरम के प्रमुख समाचार.

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(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में असम, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, मेघालय और मिज़ोरम के प्रमुख समाचार.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

गुवाहाटी/ईटानगर/अगरतला/आइजॉल: अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने अमेरिकी संसद में पेश की गई वार्षिक रिपोर्ट में दावा किया है कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश के विवादित क्षेत्र में एक बड़ा गांव बसाया है.

इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, चीनी सेना पर पेंटागन की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया कि सीमा विवाद सुलझाने में भारत औऱ चीन के बीच वार्ता ने सीमित प्रगति की है.

रिपोर्ट में मई 2020 में दोनों देशों के बीच शुरू हुए टकराव को लेकर चीन की सेना को जिम्मेदार ठहराया है.

बता दें कि मई 2020 में दोनों देशों की सेनाओं के बीच गलवान घाटी में झड़प हुई थी, जिसमें भारत के 21 जवान शहीद हो गए थे जबकि चीन के मारे गए जवानों की संख्या का पता नहीं चल पाया है.

रिपोर्ट में कहा गया, मई 2020 की शुरुआत में पीएलए (चीनी सेना) ने सीमा पर भारत के नियंत्रित क्षेत्र में घुसपैठ की और एलएसी के साथ कई स्थानों पर जवानों की तैनाती की. इसके अलावा तिब्बत और शिनजियांग सैन्य जिलों से रिजर्व बलों को पश्चिमी चीन के अंदरूनी हिस्सों में तैनात किया गया.

पेंटागन की रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि दोनों देशों के बीच सैन्य तनाव को कम करने के लिए राजनियक और सैन्य संवाद जारी है लेकिन चीन एलएसी पर अपने दावे को पुख्ता करने के लिए लगातार सैन्य कार्रवाई कर रहा है.

रिपोर्ट में चीनी सरकार द्वारा पिछले साल अरुणाचल प्रदेश के विवादित क्षेत्र में त्सारी नदी पर एक नया गांव बसाने का भी उल्लेख किया गया है.

रिपोर्ट में कहा गया, 2020 में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (पीआरसी) ने तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र और भारत के अरुणाचल के पूर्वी सेक्टर के बीच विवादित क्षेत्र में 100 घरों के एक असैन्य गांव का निर्माण किया है.

भारतीय अधिकारियों ने चीन की इस गतिविधि को दोहरा उद्देश्य बताया है.

एनआरसी में नाम होने पर ही दरांग से बेदख़ल लोगों को दूसरी जगह मिलेगी: असम सरकार

24 सितंबर 2021 को दरांग जिले के गोरुखुटी में एक बेदखली अभियान के दौरान ध्वस्त किए गए अपने घरों के पास जमा ग्रामीण. (फोटो: पीटीआई)

असम सरकार ने गौहाटी हाईकोर्ट को बताया कि दरांग जिले में बेदखल किए गए परिवारों को स्थानांतरित किया जाएगा लेकिन उनके नाम राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) में दर्ज होने चाहिए.

स्क्रोल की रिपोर्ट के मुताबिक, सराकरी ने हलफनामे में कहा, धोलपुर गांव के एक हिस्से की लगभग 1,000 बीघा क्षेत्र जमीन को बेदखल किए गए लोगों के रिलोकेशन के लिए निर्धारित किया गया है. सितंबर में असम सरकार ने जिले में बड़े पैमाने पर बेदखली अभियान चलाया था.

23 सितंबर को जिले के सिपाझार क्षेत्र में बेदखली अभियान हिंसक हो गया था, जिसमें पुलिस की फायरिंग में 12 साल के एक बच्चे सहित दो लोगों को मौत हो गई थी. इस बेदखली अभियान का विरोध कर रहे लोगों में ग्रामीण थे.

उस हफ्ते हुआ यह दूसरा सामूहिक बेदखली अभियान था. जिन गांवों को बेदखली का नोटिस जारी किया गया था, उनमें मुख्य रूप से बंगाली मूल के मुसलमानों के घर थे.

विपक्ष के नेता देवव्रत सैकिया ने हिंसा के संबंध में एक याचिका दायर की थी. हाईकोर्ट ने भी इस मामले पर स्वत: संज्ञान लिया था. सैकिया की याचिका के जवाब में बुधवार को असम सरकार ने हलफनामा दाखिल किया था.

सिपाझार के राजस्व सर्किल अधिकारी कमलजीत शर्मा ने हलफनामे में कहा कि बेदखल किए गए परिवारों को कोई मुआवजा नहीं दिया जाएगा क्योंकि उन्होंने जमीन पर अतिक्रमण किया है.

उन्होंने कहा कि उन्हें (ग्रामीणों) असम भूमि व राजस्व विनिमयन 1886 के तहत नियमों के अनुरूप किसी भी समय बेदखल किया जा सकता है.

हलफनामे में कहा गया, ‘यह मामला अतिक्रमण और बेदखली से जुड़ा हुआ है और यह जमीन के अधिग्रहण से संबंधित नहीं है इसलिए भूमि अधिग्रहण अधिनियम के अनुसार पुनर्वास और मुआवजे का सवाल प्रासंगिक नहीं है.’

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, चीफ जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस काखेतो सेमा की पीठ ने सरकार के जवाब को दर्ज किया और आदेश जारी किया.

आदेश में कहा गया, ‘फिलहाल बाकी बचे अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी लेकिन अगर यह की गई तो रिट याचिकाकर्ता अदालत का रुख करने के लिए स्वतंत्र हैं.’

एडवोकेट जनरल देबोजीत सैकिया ने हाईकोर्ट को बताया कि सरकार सभी तथ्यों का पता लगा रही है जिनसे हिंसा हुई या इस हिंसा को भड़काने में किसी बाहरी ताकत या संगठन का हाथ तो नहीं है.

त्रिपुरा: एनएचआरसी ने अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ हिंसा पर राज्य सरकार से रिपोर्ट तलब की

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने त्रिपुरा सरकार से राज्य में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की कथित घटनाओं को लेकर की गई कार्रवाई रिपोर्ट चार हफ्ते के भीतर पेश करने को कहा है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, एनएचआरसी ने तृणमूल कांगेस के प्रवक्ता और आरटीआई कार्यकर्ता साकेत गोखले की शिकायत त्रिपुरा के मुख्य सचिव कुमार आलोक और पुलिस महानिदेशक वीएस यादव को भेज दी है.

आयोग ने कहा कि उन्होंने शिकायत पर विचार किया है और रजिस्ट्री को शिकायत की एक प्रति मुख्य सचिव और डीजीपी को भेजने का निर्देश दिया है ताकि वे चार हफ्ते के भीतर इस पर की गई कार्रवाई रिपोर्ट पेश कर सकें.

एनएचआरसी का पत्र त्रिपुरा सरकार के बार-बार किए जा रहे उस दावे के बीच आया है, जिसमें सरकार लगातार कह रही है कि बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हुई हिंसा के मद्देनजर राज्य में कोई सांप्रदायिक तनाव नहीं है.

एनएचआरसी ने यह भी कहा कि अगर संबंधित प्रशासन को इस मामले पर राज्य के मानवाधिकार आयोग से किसी तरह का नोटिस या आदेश मिलता है तो इसके बारे में आयोग को सूचित करना चाहिए.

एनएचआरसी को 28 अक्टूबर को की गई शिकायत में गोखले ने आरोप लगाया कि अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के खिलाफ हिंसा की रिपोर्टों के बावजूद राज्य सरकार ने उचित कार्रवाई नहीं की.

गोखले द्वारा की गई शिकायत में यह भी दावा किया गया कि जब टीएमसी के कार्यकर्ता राज्य में प्रचार कर रहे थे तो सत्तारूढ़ पार्टी के कार्यकर्ताओं ने उन पर हमला किया. शिकायत में कहा गया कि विश्व हिंदू परिषद ने उत्तरी त्रिपुरा में एक रैली निकाली, जिसके दौरान एक मस्जिद में तोड़फोड़ की गई और दो दुकानें जला दी गई.

सूचना एवं संस्कृति मामलों के मंत्री सुशांत चौधरी ने उत्तरी त्रिपुरा के पानीसागर में किसी भी मस्जिद को आग लगाए जाने की खबरों से इनकार किया है. दक्षिणी रेंज के डीआईजी जीके राव ने बुधवार को वीडियो संदेश में कहा कि राज्य में बीते कुछ दिनों से कुछ शरारती घटनाएं हो रही हैं.

उन्होंने कहा, ‘संपत्ति के मामूली नुकसान और अशांति फैलाने की कुछ घटनाएं हुईं. त्रिपुरा पुलिस ने उत्तरी त्रिपुरा में चार, पश्चिमी त्रिपुरा में तीन, गोमती जिले में एक और सिपाहीजाला में तीन-तीन मामलों सहित 11 मामले दर्ज किए.’

राव ने कहा कि इन मामलों में पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया और तीन को नोटिस जारी किए गए.

पुलिस ने सांप्रदायिक झड़पों पर पोस्ट करने वाले 68 एकाउंट ट्विटर से सस्‍पेंड करने को कहा

त्रिपुरा पुलिस ने राज्य में हाल ही में हुई सांप्रदायिक हिंसा को लेकर किए गए भ्रामक ट्वीट को लेकर 68 एकाउंट को सस्पेंड करने को कहा है.

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस का कहना है कि इन एकाउंट के जरिए राज्य में मस्जिद में हुई कथित तोड़फोड़ को लेकर भ्रामक और आपत्तिजनक सामग्री पोस्ट करने का आरोप है.

पुलिस का कहना है कि इन 68 एकाउंट के खिलाफ यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया है.

पश्चिमी त्रिपुरा जिला पुलिस ने इन 68 एकाउंट के लिंक का जिक्र कर एक पत्र अमेरिका के कैलिफोर्निया में ट्विटर के शिकायत अधिकारी के आधिकारिक पते पर भेजा है. यह पत्र तीन नवंबर को भेजा गया था.

पत्र में कहा गया, ‘कुछ लोग/संगठन त्रिपुरा में हाल में हुई झड़पों और राज्य में मस्जिदों पर हुए कथित हमले को लेकर भ्रामक, गलत और आपत्तिजनक खबरें और बयान पोस्ट कर रहे हैं.’

पत्र में कहा गया, ‘इन एकाउंट पर पोस्ट किए गए कुछ कंटेंट में अन्य घटनाओं की तस्वीरें और वीडियो हैं. इसके साथ ही विभिन्न धार्मिक समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के लिए मनगढंत और भ्रामक बयान शामिल हैं. इन पोस्ट में त्रिपुरा में विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच सांप्रदायिक तनाव भड़काने की क्षमता है, जिससे सांप्रदायिक दंगे भड़क सकते हैं.’

पुलिस ने उन आईपी एड्रेस की सूची की भी जानकारी मांगी है, जहां यूजर्स ने एकाउंट में लॉग इन किया था और मोबाइल नंबर भी ट्विटर एकाउंट में जोड़े गए थे.

बांग्लादेश की सीमा से लगे त्रिपुरा में मुसलमानों का आरोप है कि पड़ोसी देश में सांप्रदायिक हिंसा के बाद उन पर हमले हुए हैं.

उल्लेखनीय है कि बांग्लादेश में दुर्गा पूजा के दौरान झड़प के दौरान कम से कम सात लोगों की मौत हो गई थी. हालांकि, बांग्लादेश सरकार ने तुरंत ही इन झड़पों पर काबू पा लिया था लेकिन भारत के त्रिपुरा समेत कुछ हिस्‍सों में असंतोष फैल गया.

जमीयत उलेमा की राज्य इकाई ने शनिवार को बताया था कि उनके धार्मिक स्थानों और लोगों पर हमलों की 15 घटनाएं हुईं.

त्रिपुरा पुलिस ने ख़ुद पर उठे सवालों के बीच कहा- सांप्रदायिक हिंसा की जांच निष्पक्ष

त्रिपुरा पुलिस ने शुक्रवार को उन आरोपों से इनकार किया, जिनमें कहा गया कि वे राज्य में हुई सांप्रदायिक घटनाओं की निष्पक्ष जांच नहीं कर रहे हैं.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने जारी बयान में कहा कि जांच पूरी तरह से निष्पक्ष और वैध तरीके से की गई.

बयान में कहा गया, ‘सोशल मीडिया पर की गई कुछ पोस्ट में हाल में राज्य में हुई सांप्रदायिक घटनाओं के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर त्रिपुरा पुलिस की निष्पक्षता पर संदेह जताया जा रहा है लेकिन यह दोहराया जाता है कि इन सांप्रदायिक घटनाओं की जांच बिना किसी पूर्वाग्रह के कानून के अनुरूप की जा रही है.’

पुलिस ने कहा कि उन्होंने हिंसक गतिविधियों और सोशल मीडिया पर फर्जी पोस्ट करने में शामिल लोगों के खिलाफ उचित कार्रवाई की है. अब तक इन घटनाओं में शामिल छह लोगों को गिरफ्तार किया गया है और कई को नोटिस जारी किया गया है.

त्रिपुरा में हुई हिंसा और फैक्ट-फाइंडिंग टीम के सदस्यों पर दर्ज यूएपीए के मामले के विरोध में दिल्ली के त्रिपुरा भवन पर हुआ प्रदर्शन. (फोटो: पीटीआई)

जिन लोगों को नोटिस जारी किए गए हैं, उनमें कुछ अधिकार समूहों का प्रतिनिधित्व कर रहे सुप्रीम कोर्ट के चार वकील भी शामिल हैं जिन्होंने कथित तौर पर सोशल मीडिया पर इस तरह का कंटेंट पोस्ट किया था जिससे सांप्रदियक तनाव भड़क सकता है.

पुलिस ने आईपीसी और यूएपीए के तहत इनके खिलाफ पश्चिमी अगरतला पुलिस स्टेश में मामला दर्ज किया है.

इन वकीलों ने इस हफ्ते की शुरुआत में हिंसा मे प्रभावित इलाकों और क्षतिग्रस्त मस्जिदों के निरीक्षण के लिए त्रिपुरा का दौरा किया था. इन्होंने वहां एक संवाददाता सम्मेलन को भी संबोधित किया था औऱ कहा था कि दिल्ली में इस हिंसा को लेकर एक फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट जारी करेंगे.

त्रिपुरा पुलिस और सरकारी अधिकारियों का दावा है कि कुछ मस्जिदें, कुछ घर और दो वाहन ही क्षतिग्रस्त हुए हैं जबकि बांग्लादेश में दुर्गा पूजा के दौरान हिंदुं पर हमले के विरोध में त्रिपुरा में विश्व हिंदू परिषद द्वार आयोजित की गई रैलियों में शरारती तत्वों द्वारा कई दुकानों को जला दिया गया था.

अधिकारियों ने बड़े पैमाने पर दंगों का भी खंडन किया है. इस बीच जिला प्रशासन ने मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देबा के निर्देश पर हिंसा से प्रभावित लोगों को मुआवाजे देने का काम पूरा कर लिया है. राज्य वक्फ बोर्ड के पास उपलब्ध फंड के जरिए मस्जिदों की भी मरम्मत कराई जा रही है.

मेघालयः पूर्वी पश्चिम खासी हिल्स को 12वां जिला बनाने की मंज़ूरी

मेघालय कैबिनेट ने मैरांग सिविल सब डिविजन को पूर्ण जिले के तौर पर अपग्रेड करने के प्रस्ताव को शुक्रवार को मंजूरी दी.

न्यूज18 की रिपोर्ट के मुताबिक, उपमुख्यमंत्री प्रेस्टोन तिनसोंग ने कहा कि अब इसे पूर्वी पश्चिम खासी हिल्स जिला कहा जाएगा. मैरांग अब पश्चिम खासी हिल्स जिले के तहत सब डिवीजन होगा.

मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा ने ट्वीट कर कहा, ‘मैरांग सिविल सब डिविजन को पूर्ण जिले के रूप में अपग्रेड करने के प्रस्ताव को आज कैबिनेट ने मंजूरी दे दी. यह बताते हुए खुशी हो रही है कि इस नए जिले का नाम पूर्वी पश्चिम खासी हिल्स होगा और इसका उद्घाटन 10 नवंबर 2021 को किया जाएगा.’

नए जिले के खर्च के बारे में पूछने पर तिनसोंग ने कहा, ‘सरकार ने संबंधित विभाग को सभी जानकारियों पर काम करने का निर्देश दिया है और इसे अगले साल राज्य के बजट में पता चलेगा. नए जिले का गठन यह सुनिश्चित करेगा कि प्रशासन लोगों के करीब रहे और विभिन्न योजनाओं का क्रियान्वयन अधिक प्रभावी तरीके से होगा.’

मिज़ोरम: पूर्व मुख्यमंत्री के पौत्र ने तीन साल पुराने यौन उत्पीड़न मामले में आत्मसमर्पण किया

मिजोरम के पूर्व मुख्यमंत्री टी. सैलियो के पोते जोडिनलियाना सैलियो ने गुरुवार सुबह मिजोरम पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया. जोडिनलियाना पर तीन साल पहले 25 साल के एक युवक का यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगा था.

ईस्ट मोजो की रिपोर्ट के मुताबिक, जोडिनलियाना पर सात सितंबर 2018 को पीड़ित युवक के साथ अप्राकृतिक तरह से संबंध बनाने (सोडोमी) का आरोप है.

वह और एक अन्य आरोपी आर लालरुआतलुंगा को 28 सितंबर को दर्ज शिकायत के बाद गिरफ्तार किया गया था लेकिन दोनों को जमानत मिल गई थी.

मिजोरम के पूर्व मुख्यमंत्री के पोते ने गुरुवार सुबह आइजॉल पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया.

मामले को लेकर जनता के आक्रोश और मीडिया कवरेज के बाद आइजॉल के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश एचटीसी लालरिंचना ने बुधवार को सैलियो और लालरुआतलुंगा के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया लेकिन जब पुलिस सैलियो को गिरफ्तार करने पहुंची, तो वह कथित तौर पर गिरफ्तारी से बच गया और गुरुवार को तड़के लगभग दो बजे उसने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया.

सूत्रों का कहना है कि लालरुआतलुंगा कोरोना संक्रमित हैं और पुलिस ने उन्हें उनके घर में ही आइसोलेशन में रखा है.

पीड़ित की मां की एफआईआर के मुताबिक, ‘यह घटना सात-आठ सितंबर 2018 की रात को आइजॉल के जरकावत में उस समय हुई, जब दो समूहों के बीच लिरिक्स कराओके लाउंज में कराओ बार में शोडाउन हुआ. इनमें से एक समूह की अगुाई जोडिनलियाना कर रहे थे.’

जोडिनलियाना अपने दोस्तों के साथ अपनी बैचलर पार्टी का जश्न मना रहे थे. जब पुलिस मौके पर पहुंची तो पीड़ित ने कहा कि वह एफआईआर दर्ज नहीं कराना चाहता क्योंकि यह एक मामूली घटना थी.

पीड़ित की मां के मुताबिक, आरोपी ने उसके बेटे के नग्न शरीर की तस्वीरें लेते हुए कहा, ‘हम तुम्हारी तस्वीर को बॉडी बैग में रखेंगे और उसे वहां ले जाएंगे, जहां किसी को पता नहीं चलेगा. हमने यह पहले भी कई बार किया है.’

पीड़ित की मां का आरोप है उसके बेटे का एक घंटे से अधिक समय तक यौन उत्पीड़न करने के बाद आरोपियों ने उसके बेटे के कपड़े लौटाए और उसे जाने दिया.

पीड़ित की मां का यह भी आरोप है कि उत्पीड़न के दौरान आरोपियों ने उसके बेटे को कई तरह की यौन गतिविधियां करने को मजबूर किया.

जोडिनलियाना के परिवार के सदस्यों ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि पीड़ित की मां द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर में यौन उत्पीड़न के कोई आरोप नहीं लगाए गए हैं.

इस मामले में न्याय को लेकर 2018 में ही ऑनलाइन पिटीशन शुरू किया गया था, लेकिन इस साल सितंबर में ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को लेकर इसे दोबारा सर्कुलेट किया गया, जिसमें पीड़ित के लिए न्याय की मांग की गई.

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