इंडियन वूमंस प्रेस कोर ने त्रिपुरा में एक पत्रकार समेत कइयों पर यूएपीए के तहत मामला दर्ज किए जाने को लेकर राज्य पुलिस की आलोचना करते हुए इन्हें तत्काल वापस लिए जाने की मांग की है. एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने कहा कि वह पत्रकारों के ख़िलाफ़ पुलिस की कार्रवाई से स्तब्ध है और यह राज्य सरकार द्वारा हिंसा को नियंत्रित करने में अपनी विफलता से ध्यान हटाने का एक प्रयास है.
नई दिल्ली: इंडियन वूमंस प्रेस कोर (आईडब्ल्यूपीसी) ने त्रिपुरा में एक पत्रकार और अन्य पर कथित तौर पर गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किए जाने को लेकर सोमवार को राज्य पुलिस की आलोचना करते हुए कहा कि यह मीडिया को डराने व खामोश करने की कोशिश है. साथ ही मामला फौरन वापस लिए जाने की भी मांग की.
त्रिपुरा पुलिस ने शनिवार (6 नवंबर) को 102 सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं के खिलाफ यूएपीए, आपराधिक साजिश रचने और फर्जीवाड़ा करने के आरोपों के तहत मामला दर्ज किया था.
इसके अलावा ट्विटर, फेसबुक और यूट्यूब के अधिकारियों को नोटिस जारी कर उनके एकाउंट को बंद करने तथा उन लोगों की सभी सामग्री से अवगत कराने को कहा था.
उल्लेखनीय है कि इससे ठीक पहले त्रिपुरा पुलिस ने उच्चतम न्यायालय के चार वकीलों के खिलाफ यूएपीए और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत एक मामला दर्ज किया था.
यह मामला राज्य में मुसलमानों को निशाना बना कर हुई हालिया हिंसा पर उनके सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए सामाजिक वैमनस्य को कथित तौर पर बढ़ावा देने को लेकर दर्ज किया गया था.
आईडब्ल्यूपीसी ने कहा कि पत्रकार श्याम मीरा सिंह के साथ अन्य पर यूएपीए के तहत मामला दर्ज करने की त्रिपुरा पुलिस की कार्रवाई से वह स्तब्ध है.
“An attempt to intimidate #Media, must be withdrawn immediately”-@iwpcdelhi on #UAPA charges against @ShyamMeeraSingh reportedly for tweeting about #TripuraViolence .102 individuals charged with UAPA by state. SC needs to act against such rampant abuse of draconian laws. pic.twitter.com/nAev1KZTpn
— Smita Sharma (@Smita_Sharma) November 8, 2021
पत्रकार संगठन ने कहा, ‘सिंह ने कहा है कि ‘त्रिपुरा जल रहा है’, ट्वीट करने को लेकर उन पर मामला दर्ज किया गया. घटनाओं के बारे में सूचना देना और उसकी सही तस्वीर प्रस्तुत करना एक पत्रकार का कर्तव्य है. सत्ता में बैठे लोगों को खुश करना पत्रकार का काम नहीं है.’
आईडब्ल्यूपीसी ने सिंह के खिलाफ त्रिपुरा पुलिस की कार्रवाई की आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि यूएपीए लगाना कानून का दुरूपयोग करते हुए पत्रकारों को डरा कर उन्हें खामोश करने की एक स्पष्ट कोशिश है.
पत्रकार संगठन ने कहा, ‘आईडब्ल्यूपीसी यह मांग करती है कि इस तरह के सभी मामले फौरन वापस लिए जाएं और मीडिया को स्वतंत्र रूप से अपना काम करने दिया जाए.’
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने भी त्रिपुरा पुलिस द्वारा पत्रकारों सहित 102 लोगों पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत मामला दर्ज करने की कार्रवाई की निंदा की और कहा है कि सरकार इस तरह सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं पर रिपोर्टिंग को दबाने के लिए कड़े कानून का उपयोग नहीं कर सकती है.
गिल्ड ने एक बयान में कहा कि वह पत्रकारों के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई से स्तब्ध है और यह त्रिपुरा सरकार द्वारा बहुसंख्यक हिंसा को नियंत्रित करने में अपनी विफलता से ध्यान हटाने का एक प्रयास है.
एडिटर्स गिल्ड ने यह भी कहा, ‘यह एक बेहद परेशान करने वाली प्रवृत्ति है, जहां इस तरह के कठोर कानून, जिसमें जांच और जमानत आवेदनों की प्रक्रिया बेहद कठोर और भारी है, का इस्तेमाल केवल सांप्रदायिक हिंसा पर रिपोर्ट करने और विरोध करने के लिए किया जा रहा है.’
गिल्ड ने मांग की कि राज्य सरकार पत्रकारों और नागरिक समाज के कार्यकर्ताओं को दंडित करने के बजाय अधिकारों की परिस्थितियों की निष्पक्ष जांच करे.
मालूम हो कि बांग्लादेश में सांप्रदायिक हिंसा के विरोध में 26 अक्टूबर को विश्व हिंदू परिषद की एक रैली के दौरान त्रिपुरा के चमटिल्ला में एक मस्जिद में तोड़फोड़ की गई और दो दुकानों में आग लगा दी गई थी.
पुलिस के अनुसार, पास के रोवा बाजार में कथित तौर पर मुसलमानों के स्वामित्व वाले तीन घरों और कुछ दुकानों में भी तोड़फोड़ की गई.
राज्य सरकार ने 29 अक्टूबर को आरोप लगाया था कि निहित स्वार्थों वाले एक बाहरी समूह ने 26 अक्टूबर की घटना के बाद सोशल मीडिया पर एक जलती हुई मस्जिद की नकली तस्वीरें अपलोड करके त्रिपुरा में अशांति पैदा करने और उसकी छवि खराब करने के लिए प्रशासन के खिलाफ साजिश रची थी.
यूएपीए के जरिये सच्चाई को दबाया नहीं जा सकता: राहुल गांधी
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने त्रिपुरा पुलिस द्वारा 102 लोगों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (निषेध) कानून (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किए जाने की पृष्ठभूमि में सोमवार को कहा कि इस तरह सच्चाई को दबाया नहीं जा सकता.
उन्होंने ट्वीट किया, ‘त्रिपुरा के जलने के बारे में बताना सुधारात्मक कदम उठाने का आह्वान है. परंतु भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर्दा डालने की अपनी पसंदीदा तरकीब के तहत संदेशवाहक को ही निशाना बना रही है. यूएपीए के जरिये सच को दबाया नहीं जा सकता.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)