रफाल सौदा: फ्रांसीसी वेबसाइट की रिपोर्ट के बाद कांग्रेस की जेपीसी जांच की मांग

फ्रांसीसी वेबसाइट मेदियापार के अनुसार, रफाल निर्माता दासो एविएशन ने ‘फ़र्ज़ी बिल’ के ज़रिये बिचौलिए सुषेन गुप्ता को रिश्वत दी थी और 2018 में भारत में इस सौदे में भ्रष्टाचार की आधिकारिक शिकायत मिलने के हफ्तेभर बाद सीबीआई को मॉरीशस के अटॉर्नी-जनरल के कार्यालय से इससे संबंधित कई दस्तावेज़ मिले थे.

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रफाल विमान. (फोटो: रॉयटर्स)

फ्रांसीसी वेबसाइट मेदियापार के अनुसार, रफाल निर्माता दासो एविएशन ने ‘फ़र्ज़ी बिल’ के ज़रिये बिचौलिए सुषेन गुप्ता को रिश्वत दी थी और 2018 में भारत में इस सौदे में भ्रष्टाचार की आधिकारिक शिकायत मिलने के हफ्तेभर बाद सीबीआई को मॉरीशस के अटॉर्नी-जनरल के कार्यालय से इससे संबंधित कई दस्तावेज़ मिले थे.

रफाल विमान. (फोटो: रॉयटर्स)

मुंबई: कांग्रेस ने फ्रांस के साथ किए गए रफाल विमान सौदे की व्यापक जांच तत्काल संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से कराए जाने की गुरुवार को मांग की.

ये टिप्पणियां तब आई है जब फ्रांस के एक पोर्टल ‘मेदियापार’ ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि रफाल निर्माता कंपनी दासो एविएशन की ओर से बिचौलियों को कम से कम 75 लाख यूरो की रिश्वत देने के लिए कथित फर्जी रसीदों का उपयोग किया गया.

मेदियापार की एक नई रिपोर्ट में ऐसे ‘कई फर्जी बिल’ प्रकाशित किए गए हैं, जिसे लेकर ये दावा किया गया है कि इसका इस्तेमाल कर दासो एविएशन की ओर से बिचौलिये सुषेन गुप्ता को साल 2007 से 2012 के बीच सात मिलियन यूरो से अधिक का रिश्वत दी गई थी.

वर्तमान में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) वीवीआईपी हेलीकॉप्टर घोटाले में गुप्ता के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर रही है.

इससे पहले मेदियापार ने रिपोर्ट कर बताया था कि गुप्ता का करीब दो दशकों से दासो एविएशन और इसके पार्टनर ‘थेल्स’ के साथ व्यापारिक संबंध हैं और रफाल सौदे को लेकर उन्होंने गुप्ता को ‘ऑफशोर खातों एवं शेल कंपनियों के जरिये कई मिलियन यूरो (करोड़ों रुपये) का भुगतान किया था.

यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी के मंत्री रफाल मामले में खुद को कितना ही बेदाग साबित करने की कोशिश कर लें लेकिन उनका भ्रष्टाचार और नरेंद्र मोदी की इस घोटाले में सीधी संलिप्तता का अब पूरी दुनिया के सामने पर्दाफाश हो चुका है.’

उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी सबसे पहले रफाल विमान ‘घोटाले’ को जनता के सामने लाए थे और तब से कई नई चीजें सामने आई हैं.

उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस इस मामले की फौरन संयुक्त संसदीय समिति से व्यापक जांच कराने की मांग करती है.’

कांग्रेस नेता ने कहा कि रफाल विमान को खरीदने का प्रस्ताव सबसे पहले मनमोहन सिंह सरकार ने किया था. उन्होंने कहा कि प्रस्ताव के अनुसार, भारत को दासो एविएशन से 126 विमान खरीदने थे जिनमें से 18 विमान सीधे खरीदे जाने थे और बाकी के 108 विमानों का निर्माण भारत में किया जाना था लेकिन फिर 2014 में भाजपा सरकार आई और पूरी तस्वीर ही बदल गई.

खेड़ा ने कहा कि 2015 में मोदी पेरिस गए और घोषणा की कि भारत बिना किसी निविदा के दासो से 36 रफाल विमान खरीदेगा. उन्होंने कहा कि जब कांग्रेस सत्ता में भी तो एक रफाल विमान की अनुमानित कीमत 526 करोड़ रुपये थी लेकिन मोदी सरकार ने पहले विमानों की संख्या 126 से कम करके 36 कर दी और दूसरी, उन्होंने बिना किसी निविदा के इन्हें खरीदने का फैसला किया.

उन्होंने कहा कि तीसरा, मोदी सरकार ने एक विमान की कीमत 526 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1,670 करोड़ रुपये कर दी.

उन्होंने कहा, ‘चौथी बात यह है कि उन्होंने इस सौदे से तकनीक के हस्तांतरण की बात हटा दी और पांचवीं तथा सबसे गंभीर बात यह है कि उन्होंने इस समझौते से भ्रष्टाचार न होने का खंड भी हटा दिया. मोदी ने खुद हस्तक्षेप किया और इस खंड को हटाया. लेकिन अब हम जानने चाहते हैं कि क्यों मोदी ने इसे हटाया.’

मालूम हो कि सोमवार को प्रकाशित रिपोर्ट में वेबसाइट ने खुलासा किया कि सीबीआई के पास अक्टूबर 2018 से ही ये सबूत उपलब्ध था कि गुप्ता को गोपनीय तरीके से ‘कम से कम 7.5 मिलियन यूरो (65 करोड़ रुपये) का भुगतान किया गया था.’

मेदियापार के अनुसार, सीबीआई को 11 अक्टूबर 2018 को मॉरीशस के अटॉर्नी-जनरल के कार्यालय से कई दस्तावेज मिले थे, जिसमें ‘फर्जी बिल’ भी शामिल था. ऐसा जांच एजेंसी को रफाल मामले में भ्रष्टाचार से संबंधित आधिकारिक शिकायत मिलने के ठीक एक सप्ताह बाद हुआ था.

खेड़ा ने कहा कि चार अक्टूबर 2018 को पूर्व भाजपा मंत्रियों यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी ने सीबीआई निदेशक को रफाल सौदे में भ्रष्टाचार को लेकर शिकायत की. इसके बाद 11 अक्टूबर 2018 को मॉरिशस के अटॉर्नी जनरल ने सीबीआई को कुछ सूचना से जुड़ी फाइल सौंपी.

उन्होंने कहा, ‘इसमें सुषेन गुप्ता नामक एक बिचौलिए का नाम था. ऐसा आरोप है कि गुप्ता ने रफाल विमान खरीद मामले में कुछ भुगतान प्राप्त किया.’

उन्होंने कहा कि फिर 23 अक्टूबर 2018 को सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा का रातोंरात तबादला कर दिया गया और उनकी जगह एमए नागेश्वर राव को नियुक्त किया गया.

खेड़ा ने दावा किया कि गुप्ता को मामले में नामजद किया गया था और उनके घर पर ईडी ने 16 मार्च, 2019 को छापा मारा था और केंद्रीय एजेंसी को रफाल सौदे से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण गोपनीय दस्तावेज मिले थे.

उन्होंने आरोप लगाया, ‘मुख्य दस्तावेजों में से एक सुशेन गुप्ता द्वारा डसॉल्ट एविएशन को लिखा गया एक नोट था, जिसमें उन्होंने दासो से वादा किया था कि वह रफाल विमान खरीद के लिए केंद्र में भाजपा सरकार से मिलने में उनकी मदद करेंगे.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)