अगरतला में पत्रकारों ने बुधवार रात त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक सरकार के सरकारी आवास के सामने प्रदर्शन किया.
अगरतला: बुधवार को त्रिपुरा के मंडई में पत्रकार शांतनु भौमिक की हत्या के विरोध में त्रिपुरा के पत्रकारों ने मुख्यमंत्री माणिक सरकार के सरकारी आवास के सामने प्रदर्शन किया.
पश्चिमी त्रिपुरा ज़िले के मंडई में एक प्रदर्शन के दौरान इंडीजिनस पीपुल्स फोरम ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) और माकपा के आदिवासी संगठन त्रिपुरा उपजती गण मुक्ति परिषद (टीयूजीएमपी) के बीच हुए संघर्ष के दौरान बुधवार शाम को शांतनु भौमिक की हत्या कर दी गई. 27 साल के शांतनु भौमिक के शव पर धारदार हथियार से कई वार किए गए थे. वह त्रिपुरा के टीवी चैनल ‘दिनरात’ में बतौर पत्रकार कार्यरत थे.
बुधवार को मुख्यमंत्री माणिक सरकार के सरकारी आवास के सामने तकरीबन 200 पत्रकारों ने प्रदर्शन किया. त्रिपुरा आॅब्ज़र्वर की रिपोर्ट के अनुसार शाम छह बजे से शुरू हुआ प्रदर्शन रात 11 बजे तक चला.
रिपोर्ट के अनुसार, इसके बाद मुख्यमंत्री आवास से बाहर निकलकर पुलिस महानिदेशक अखिल कुमार शुक्ला ने पत्रकारों को आश्वस्त किया कि शांतनु भौमिक के हत्यारों को गुरुवार को उनके अंतिम संस्कार से पहले गिरफ्तार कर लिया जाएगा.
त्रिपुरा आॅब्ज़र्वर के मुताबिक, इस बीच कुछ पत्रकारों ने मुख्यमंत्री माणिक सरकार से मुलाकात भी की. पत्रकारों ने उनसे 24 घंटे के अंदर हत्यारों को गिरफ्तार करने, मामले की सीबीआई जांच करवाने और 50 लाख रुपये के मुआवज़े के अलावा पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने जैसी मांग रखी.
मुख्यमंत्री माणिक सरकार ने पत्रकारों को मामले में उचित कार्रवाई करने का आश्वासन दिया. हालांकि उन्होंने दोषियों की गिरफ्तारी को लेकर कोई समयसीमा तय नहीं की. उन्होंने शांतनु के परिजनों को मुआवज़ा देने का भी आश्वासन दिया. अख़बार लिखता है, मुख्यमंत्री ने कहा- सरकार पत्रकारों को विशेष सुरक्षा जैकेट मुहैया करवाएगी.
त्रिपुरा वर्किंग जर्नलिस्ट एसोसिएशन ने शांतनु भौमिक की हत्या की निंदा करते हुए पुलिस से उचित कदम उठाने की मांग की है. संगठन की ओर से कहा गया कि मामले में जल्द से जल्द कोई कदम नहीं उठाया गया तो पत्रकार राज्यव्यापी प्रदर्शन करेंगे. त्रिपुरा जर्नलिस्ट यूनियन ने भी मामले की सीबीआई जांच की मांग की है.
समाचार एजेंसी भाषा के अनुसार, माकपा ने भाजपा समर्थित आईपीएफटी के बदमाशों पर भौमिक की हत्या का आरोप लगाया और मांग की कि अपराधियों के खिलाफ तत्काल मामला दर्ज किया जाए.
भौमिक की हत्या से कुछ दिन पहले कर्नाटक में पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या हुई थी.
माकपा ने कहा, इस हत्या में आरएसएस-भाजपा द्वारा ख़ासकर उन राज्यों में, जहां चुनाव होने हैं, प्रगतिशील पत्रकारों की आवाज़ को कुचलने में अपनाए जाने वाले स्पष्ट पैटर्न दिखता है.
त्रिपुरा आॅब्ज़र्वर अख़बार ने गुरुवार को प्रकाशित रिपोर्ट में शांतनु भौमिक की हत्या में इंडीजिनस पीपुल्स फोरम ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) के लोगों का हाथ होने की बात बताई है.
त्रिपुरा पश्चिम के पुलिस अधीक्षक अभिजीत सप्तर्षि ने बताया कि आईपीएफटी के चार सदस्यों को गिरफ्तार किया है. उन्होंने कहा कि आईपीएफटी के कार्यकर्ताओं ने ज़िले के मंडई और खुमुलवुंग में हमला किया था. इसमें 16 पुलिसकर्मी घायल हो गए थे और दो वाहनों को भी नुकसान हुआ है.
उन्होंने कहा कि पुलिस पर तीर-कमान, बोतलों और धारदार हथियारों से हमला किया गया. उन्होंने बताया कि कम से कम पांच स्थानों पर पुलिस तथा कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हुई और स्थिति तनावपूर्ण मगर नियंत्रण में है.
त्रिपुरा आॅब्ज़र्वर अख़बार ने माकपा की ओर से जारी एक बयान का हवाला देते हुए बताया है कि अगरतला से 23 किलोमीटर दूर मंडई में सुबह ही आईपीएफटी के कार्यकर्ता जमा हो गए थे और उन्होंने माकपा के आठ कार्यालयों में तोड़फोड़ शुरू कर दी थी.
इसके बाद दोनों संगठनों के बीच झड़प शुरू हो गई तो पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठी चार्ज भी किया. इस बीच शांतनु भौमिक मामले को शूट कर रहे थे.
बता दें कि काफी लंबे समय से आईपीएफटी त्रिपुरा से अलग त्रिपालैंड राज्य की मांग कर रहा है. बीते 10 जुलाई को आईपीएफटी ने अलग राज्य की मांग को लेकर नाकाबंदी की थी, जो 10 दिनों तक चली थी.
त्रिपुरा आॅब्ज़र्वर के अनुसार, शांतनु को आईपीएफटी के कार्यकर्ताओं ने पकड़ लिया और उनसे त्रिपालैंड की मांग के ख़िलाफ़ उनकी रिपोर्ट के बारे में पूछताछ करने लगे. कार्यकताओं ने उन्हें आदिवासियों के ख़िलाफ़ बताया और धारदार हथियारों से हमला कर दिया.
शांतनु के साथ रहे कैमरामैन ने घटना की सूचना पुलिस को दी. पुलिस की मदद से उन्हें अगरतला जीबी अस्पताल लाया गया जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई.
शांतनु अपने परिवार की आजीविका चलाने वाले अकेले व्यक्ति थे. घर में उनकी मां और एक बहन हैं. अख़बार ने बताया कि यह पहली बार है जब त्रिपुरा में ड्यूटी के दौरान किसी पत्रकार की हत्या हो गई. इस घटना की भाजपा, कांग्रेस और दूसरे राजनीतिक दलों ने निंदा की है.
अख़बार से बातचीत में आईपीएफटी के महासचिव मेवाड़ कुमार जमातिया ने घटना की निंदा की है. जमातिया ने कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना है. मैं इसकी निंदा करता हूं. हमारे पत्रकार दोस्तों को अधिकार है कि वे घटनाओं को कवर करें.’ उन्होंने कहा कि उनका संगठन इस मामले में शामिल लोगों की जल्द ही पहचान कर उन्हें पुलिस के हवाले करेगा.
इस घटना के बाद एहतियात के तौर पर त्रिपुरा के दो ज़िलों में धारा 144 लागू कर दिया गया है. पुलिस अधीक्षक अभिजीत सप्तर्षि ने बताया कि इस घटना के बाद अफवाहों को रोकने के लिए राज्य भर में इंटरनेट सेवाएं स्थगित कर दी गई हैं.
गुरुवार सुबह शांतनु भौमिक की अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या में पत्रकार और स्थानीय लोग शामिल हुए. इसके बाद उनके शव को जिरनिया स्थित उनके घर ले जाया गया. शाम को उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.
मीडिया बिरादरी ने त्रिपुरा में पत्रकार शांतनु भौमिक की हत्या की यह कहते हुए गुरुवार को निंदा की कि यह स्वतंत्र प्रेस की आवाज़ को कुचलने की धृष्ट एवं अमानवीय कृत्य है. प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, इंडियन वुमेंस प्रेस कोर, प्रेस एसोसिएशन, फेडरेशन ऑफ प्रेस क्लब इन इंडिया और नॉर्थ ईस्ट मीडिया फोरम ने संयुक्त बयान जारी कर इस घटना की त्वरित जांच की मांग की.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)