त्रिपुरा में हो रही हिंसा के संबंध में मस्जिदों पर हमले और तोड़फोड़ के मामलों को कवर कर रहीं एचडब्ल्यू न्यूज़ नेटवर्क की इन दो महिला पत्रकारों के ख़िलाफ़ एक स्थानीय विहिप नेता की शिकायत पर राज्य के कुमारघाट थाने में एफ़आईआर दर्ज की गई है. शिकायत में दावा किया गया है कि मुस्लिम समुदाय के लोगों से मिलने के दौरान पत्रकारों ने हिंदू समुदाय और त्रिपुरा सरकार के ख़िलाफ़ भड़काऊ बातें कही थीं.
अगरतला: त्रिपुरा में समुदायों के बीच कथित तौर पर नफरत की भावना पैदा करने वाली हालिया सांप्रदायिक घटनाओं की रिपोर्टिंग को लेकर गिरफ्तार की गईं दो महिला पत्रकारों को सोमवार को एक मजिस्ट्रेट अदालत ने जमानत दे दी.
एचडब्ल्यू न्यूज नेटवर्क (HW News Network) की पत्रकार समृद्धि सकुनिया और स्वर्णा झा को गोमती जिला मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) शुभ्रा नाथ के समक्ष पेश किया गया, जिन्होंने उन्हें 75,000 रुपये की जमानत राशि पर जमानत दे दी. हालांकि, उन्हें राज्य छोड़ने से पहले मंगलवार को जिले के काकराबन पुलिस थाने में अपनी हाजिरी लगाने को कहा गया है.
त्रिपुरा में हो रही हिंसा के संबंध में मस्जिदों पर हमले और तोड़फोड़ के मामलों को कवर कर रहीं इन दो पत्रकारों के खिलाफ राज्य के कुमारघाट पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज की गई है. यह एफआईआर विश्व हिंदू परिषद (विहिप) की स्थानीय नेता कंचन झा की शिकायत पर 14 नवंबर को दर्ज की गई.
शिकायत में आईपीसी की तीन धाराओं को दर्ज किया गया है, जो आपराधिक षड्यंत्र, विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना और जानबूझकर शांतिभंग करने से संबंधित हैं.
दास की शिकायत में दावा किया गया है कि पॉल बाजार इलाके में मुस्लिम समुदाय के लोगों से मिलने के दौरान पत्रकारों ने हिंदू समुदाय और त्रिपुरा सरकार के खिलाफ भड़काऊ बातें कही थीं. शिकायत में कहा गया कि पत्रकारों ने पॉल बाजार इलाके में मस्जिद जलाने के लिए विहिप और बजरंग दल को जिम्मेदार ठहराया था.
दास ने शिकायत में कहा कि ये पत्रकार त्रिपुरा के सांप्रदायिक सद्भाव को नुकसान पहुंचाने और विहिप एवं त्रिपुरा सरकार की छवि धूमिल करने के लिए की गई आपराधिक साजिश का हिस्सा है.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, सोमवार को मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने कहा कि अपराध गंभीर प्रकृति के हैं, जबकि रिकॉर्ड पर मौजूद सबूतों से यह ऐसा प्रतीत होता है कि आरोपियों को पुलिस हिरासत में रखने की आवश्यकता नहीं है.
अदालत ने कहा, ‘कथित अपराध गंभीर प्रकृति के हैं. हालांकि, रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री और दोनों पक्षों की दलीलों से अदालत को यह प्रतीत होता है कि जांच के उद्देश्य से आरोपी व्यक्तियों को हिरासत में लेना आवश्यक नहीं हो सकता है. इसी कारण से आरोपी व्यक्तियों को पुलिस हिरासत में रखना आवश्यक नहीं है, क्योंकि यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अत्यधिक उल्लंघन है.’
जमानत देते हुए अदालत ने पत्रकारों को निर्देश दिया कि जब भी उन्हें बुलाया जाए मामले के जांच अधिकारी के सामने पेश हों और कहा कि उन्हें जांच में सहयोग करना चाहिए.
जमानत के लिए दलील पेश करते हुए उनके वकील पीजूष विश्वास ने कहा कि ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है कि वे सांप्रदायिक नफरत फैला रही थीं.
उन्होंने जोर देते हुए कहा, ‘पत्रकारों के खिलाफ लगाए गए आरोप पूरी तरह से बेबुनियाद हैं. पुलिस ने दुर्भावनापूर्ण इरादे से मामला दर्ज किया.’
विश्वास ने कहा कि उनकी मुवक्किल मामले को रद्द कराने के लिए उच्चतम न्यायालय का रुख करेंगी.
पत्रकारों के नियोक्ता द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक, विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के एक समर्थक की शिकायत पर रविवार को त्रिपुरा के फतिक्रॉय पुलिस थाने में दोनों पत्रकारों के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी. शिकायत में आरोप लगाया गया था कि उन दोनों की रिपोर्टिंग से त्रिपुरा सरकार की छवि धूमिल हुई है.
उन दोनों को असम पुलिस ने त्रिपुरा पुलिस के आग्रह पर रविवार (14 नवंबर को) को असम के करीमगंज जिले में हिरासत में लिया था, जब वे सिलचर हवाईअड्डा जा रही थीं. इसके बाद उन्हें महिलाओं के एक सरकारी आश्रय गृह में रखा गया था.
इसके बाद त्रिपुरा पुलिस ने उन दोनों को गिरफ्तार किया और बीते सोमवार को गोमती जिले में सीजेएम अदालत में पेश किया.
त्रिपुरा पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दावा किया था कि पत्रकारों की योजना विमान से राज्य से बाहर जाने की थी. अधिकारियों ने उनसे वहां से जाने से पहले कुछ पुलिस अधिकारियों से मिलने को कहा था. इसके बाद दोनों, अधिकारियों को सूचना दिए बगैर सिलचर हवाईअड्डा जा रही थी, जिसके चलते त्रिपुरा पुलिस को अपने असम के समकक्षों से उन्हें हिरासत में लेने को कहना पड़ा.
अधिकारी ने बताया कि पत्रकारों ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था कि गोमती जिले में एक मस्जिद जल गई है और कुरान की एक प्रति को नुकसान पहुंचाया गया है.
उन्होंने कहा, ‘पुलिस को संदेह है कि उनके (सकुनिया के) द्वारा अपलोड किए गए वीडियो में छेड़छाड़ की गई है तथा पुलिस उनसे पूछताछ कर पता लगाना चाहती है कि वीडियो फर्जी हैं या असली हैं.’
सकुनिया ने 11 नवंबर को एक ट्वीट में लिखा था, ‘त्रिपुरा हिंसा दरगा बाजार: 19 अक्टूबर को रात करीब ढाई बजे, कुछ अज्ञात लोगों ने दरगा बाजार इलाके में मस्जिद जला दी. आस-पड़ोस के लोग इस बात से बहुत परेशान हैं कि उनके पास नमाज अदा करने के लिए नजदीक में कोई जगह नहीं है.’
When asked who they think have done this, they said they don't want to speculate any name or get into it because they love their neighbours who are from other community. They said they trust the police and will wait. Though none of them have heard back from TP since 20th Oct. pic.twitter.com/w3wbXnZoYT
— Samriddhi K Sakunia (@Samriddhi0809) November 11, 2021
त्रिपुरा पुलिस प्रमुख वीएस यादव के कार्यालय से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में दावा किया गया है कि सकुनिया द्वारा किए गए पोस्ट सही नहीं थे और इसने समुदायों के बीच नफरत की भावना को बढ़ावा दिया.
पुलिस के बयान में कहा गया है, ‘इस सोशल मीडिया पोस्ट में उन्होंने पोस्ट किया कि काकराबन पुलिस थानाक्षेत्र में हुरीजाला के रहमत अली के घर आग से क्षतिग्रस्त अधजले उपासना गृह की उनकी यात्रा के एक वीडियो में दावा किया गया है कि पवित्र कुरान की एक प्रति जल गई है, जहां 19 अक्टूबर की रात यह कथित घटना हुई थी.’
बयान में कहा गया है कि यह जांच में अब तक खुलासा हुए तथ्यों से उलट है, क्योंकि जांच अधिकारी और आग बुझाने वाले दमकलकर्मी के संज्ञान में कोई जली हुई पुस्तक/दस्तावेज संज्ञान में नहीं लाया गया.
बयान में कहा गया है कि राज्य का दौरा करने वाले वकीलों की एक टीम ने भी सवाल खड़े करने वाली एक तस्वीर के साथ इसी तरह का दावा किया था.
बयान में कहा गया है कि निहित स्वार्थ वाले लोग राज्य में सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, महिला पत्रकारों के वकील पीजूष विश्वास ने कहा, ‘वे रिपोर्टिंग के लिए त्रिपुरा गई हुई थीं. पिछले कुछ दिनों से राष्ट्रीय मीडिया में (त्रिपुरा में) धार्मिक तोड़फोड़ और कुछ अल्पसंख्यक लोगों पर हमले की खबरें चल रही थीं. वे यहां इन समाचारों को कवर करने के लिए आई हुई थीं. उन्होंने उदयपुर और उत्तरी त्रिपुरा के कुछ हिस्सों का दौरा किया, जहां आरोप लगे थे कि मस्जिदों पर हमला किया गया और तोड़फोड़ की गई.’
मुंबई स्थित डिजिटल न्यूज चैनल एचडब्ल्यू न्यूज नेटवर्क के प्रबंध निदेशक गणेश जगताप ने कहा, ‘उन्हें (दोनों पत्रकारों को) रविवार को गिरफ्तार कर सोमवार को अदालत में पेश किया गया. पुलिस ने उन पर आपराधिक साजिश रचने और सांप्रदायिक विद्वेष फैलाने का मामला दर्ज किया है. यह उनके व्यक्तिगत ट्वीट्स के लिए था और हमारे समाचारों से संबंधित नहीं था.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)