विवादित अध्यादेश लाने के बाद केंद्र ने एक साल और बढ़ाया ईडी निदेशक का कार्यकाल

आईआरएस कैडर के 1984 बैच के अधिकारी संजय कुमार मिश्रा का ईडी के निदेशक के बतौर पहले से विस्तारित कार्यकाल गुरुवार को समाप्त होना था. 2020 में मिश्रा को मिले सेवा विस्तार को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी, जहां अदालत ने केंद्र का निर्णय बरक़रार रखते हुए कहा था कि उन्हें आगे कोई विस्तार नहीं दिया जा सकता.

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संजय कुमार मिश्रा. (फोटो साभार: ट्विटर/IRS Association)

आईआरएस कैडर के 1984 बैच के अधिकारी संजय कुमार मिश्रा का ईडी के निदेशक के बतौर पहले से विस्तारित कार्यकाल गुरुवार को समाप्त होना था. 2020 में मिश्रा को मिले सेवा विस्तार को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी, जहां अदालत ने केंद्र का निर्णय बरक़रार रखते हुए कहा था कि उन्हें आगे कोई विस्तार नहीं दिया जा सकता.

संजय कुमार मिश्रा. (फोटो साभार: ट्विटर/IRS Association)

नई दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो(सीबीआई) के निदेशकों के कार्यकाल को पांच साल तक बढ़ाने के लिए अध्यादेश लाने के कुछ दिनों बाद सरकार ने बुधवार को ईडी निदेशक संजय कुमार मिश्रा का कार्यकाल 18 नवंबर 2022 तक बढ़ा दिया.

आयकर विभाग के भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) कैडर के 1984 बैच के अधिकारी मिश्रा का पहले से विस्तारित कार्यकाल गुरुवार को समाप्त होना था.

केंद्रीय वित्त मंत्रालय के तहत राजस्व विभाग द्वारा जारी आदेश में कहा गया है, ‘भारत के राष्ट्रपति ने आईआरएस अधिकारी संजय कुमार मिश्रा के कार्यकाल को 18 नवंबर 2021 से 18 नवंबर 2022 तक, या अगले आदेश तक, जो भी पहले हो, आगे एक वर्ष की अवधि के लिए प्रवर्तन निदेशालय निदेशक के रूप में बढ़ा दिया है.’

61 वर्षीय मिश्रा 1984 बैच के आयकर कैडर में भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी हैं और उन्हें पहली बार 19 नवंबर 2018 को एक आदेश द्वारा दो साल की अवधि के लिए ईडी निदेशक नियुक्त किया गया था.

बाद में 13 नवंबर 2020 के एक आदेश द्वारा नियुक्ति पत्र को केंद्र सरकार द्वारा पूर्व प्रभाव से संशोधित किया गया और दो साल के उनके कार्यकाल को तीन साल के कार्यकाल में बदल दिया गया.

केंद्र के 2020 के इस आदेश को उच्चतम न्यायालय के समक्ष चुनौती दी गई थी, जिसने विस्तार आदेश को बरकरार रखा लेकिन शीर्ष अदालत ने कहा था कि मिश्रा को आगे कोई विस्तार नहीं दिया जा सकता है.

जस्टिस एल. नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली पीठ ने स्पष्ट किया था कि सेवानिवृत्ति की आयु प्राप्त कर चुके अधिकारियों के कार्यकाल का विस्तार दुर्लभ और असाधारण मामलों में किया जाना चाहिए. अदालत ने यह भी स्पष्ट किया था कि मिश्रा को आगे कोई सेवा विस्तार नहीं दिया जा सकता है.

हालांकि, सरकार ने पिछले रविवार को दो अध्यादेश जारी किए जिसमें कहा गया था कि ईडी और सीबीआई के निदेशकों का कार्यकाल अब दो साल के अनिवार्य कार्यकाल के बाद तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है.

अध्यादेशों में कहा गया है कि दोनों मामलों में, निदेशकों को उनकी नियुक्तियों के लिए गठित समितियों की मंजूरी के बाद तीन साल के लिए एक साल का विस्तार दिया जा सकता है.

सीबीआई, ईडी निदेशक के कार्यकाल विस्तार के खिलाफ अदालत पहुंचीं सांसद महुआ मोइत्रा

लोकसभा सदस्य महुआ मोइत्रा ने केंद्र सरकार द्वारा लाए गए दो अध्यादेशों के खिलाफ बुधवार को उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया.

इन अध्यादेशों के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और सीबीआई के निदेशकों का कार्यकाल अब दो साल के अनिवार्य कार्यकाल के बाद तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है.

केंद्र ने दोनों अध्यादेश 14 नवंबर को जारी किए थे, तबसे केंद्र इन्हें लेकर विपक्ष के निशाने पर है. तृणमूल कांग्रेस नेता ने कहा कि ये अध्यादेश उच्चतम न्यायालय के हालिया फैसले के विपरीत हैं.

सांसद ने एक ट्वीट में कहा, ‘सीबीआई और ईडी निदेशक के कार्यकाल के विस्तार से जुड़े केंद्रीय अध्यादेशों को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय में मैंने याचिका दायर की. यह उच्चतम न्यायालय के फैसले के विपरीत है.’

इन अध्यादेशों को चुनौती देने वाली यह दूसरी याचिका है. इससे पहले वकील एमएल शर्मा ने मंगलवार को इसी तरह की जनहित याचिका दायर की थी.

जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि केंद्रीय सतर्कता आयोग (संशोधन) अध्यादेश और दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान (संशोधन) अध्यादेश संविधान के खिलाफ हैं. याचिका में दोनों अध्यादेशों को रद्द करने का अनुरोध किया गया है.

वकील एमएल शर्मा द्वारा अपनी व्यक्तिगत क्षमता से दायर जनहित याचिका में दावा किया गया है कि केंद्र सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 123 के तहत प्रदत्त अपने अधिकार का दुरुपयोग किया है. यह अनुच्छेद संसद के सत्र में नहीं होने के दौरान अध्यादेश जारी करने की राष्ट्रपति के अधिकार से संबंधित है.

याचिका में आरोप लगाया गया है कि अध्यादेशों का मकसद उस जनहित याचिका पर फैसले में सर्वोच्च अदालत के निर्देश को दरकिनार करना है जिसमें 2018 में संजय कुमार मिश्रा की ईडी निदेशक के रूप में नियुक्ति के आदेश में बदलाव को चुनौती दी गई थी.

याचिका में दावा किया गया है, ‘सरकार को दो एजेंसियों के प्रमुखों के कार्यकाल को दो साल से बढ़ाकर अधिकतम पांच साल तक करने का अधिकार देने वाले इन दो अध्यादेशों में इन एजेंसियों की स्वतंत्रता को और कम करने की आशंका है.’

इससे पहले तृणमूल कांग्रेस ने सोमवार को राज्यसभा में वैधानिक प्रस्तावों का एक नोटिस देकर केंद्र सरकार के अध्यादेशों पर आपत्ति जताई थी. तृणमूल कांग्रेस ने कार्यकाल में विस्तार करने के लिए अध्यादेश का मार्ग अपनाने पर आपत्ति जताते हुए सरकार की जल्दबाजी पर सवाल उठाया है क्योंकि संसद का शीतकालीन सत्र कुछ ही दिनों बाद शुरू होने वाला है.

पार्टी ने ईडी और सीबीआई प्रमुखों के कार्यकाल में विस्तार करने के लिए सरकार द्वारा अध्यादेशों के जरिए संशोधित किए गए दोनों कानूनों पर सोमवार को दो अलग-अलग वैधानिक प्रस्तावों का नोटिस दिया.

तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य डेरेक ओ ब्रायन ने ट्वीट किया, ‘दो अध्यादेश ईडी प्रमुख और सीबीआई निदेशक के कार्यकाल को दो साल से बढ़ा कर पांच साल करते हैं, जबकि संसद का शीतकालीन सत्र अब से दो हफ्ते में शुरू होने वाला है. आश्वस्त रहें कि विपक्षी दल भारत को निवार्चित तानाशाही में तब्दील होने देने से बचाने के लिए सब कुछ करेंगे.’’

सूत्रों ने संकेत दिया कि इस तरह के प्रस्ताव का नोटिस आने वाले दिनों में अन्य विपक्षी दल भी देंगे. कार्यकाल का विस्तार करने वाले इन अध्यादेशों को विपक्षी दलों की कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है, जिन्होंने इसके समय पर सवाल उठाए हैं.

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के सांसद बिनॉय विश्वम ने संकेत दिया कि उनकी पार्टी भी अध्यादेशों को नामंजूर करने वाले एक प्रस्ताव का नोटिस देगी.

उन्होंने सोमवार को एक ट्वीट में कहा, ‘…रविवार को सरकार ने पिंजरे में बंद अपने तोतों को बचाने के लिए अध्यादेश मार्ग अपनाया. इस अध्यादेश राज के खिलाफ संसद में नामंजूरी प्रस्ताव लाया जाएगा. संविधान को तोड़ मरोड़कर भारत को एक कमजोर गणराज्य बनाने की (नरेंद्र) मोदी को जल्दबाजी है.’

उल्लेखनीय है कि संजय कुमार मिश्रा विपक्ष के नेताओं के खिलाफ कई मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों को भी देख रहे हैं. 2020 में उनके सेवा विस्तार के समय द वायर  ने एक रिपोर्ट में बताया था कि कम से कम ऐसे सोलह मामले, जो विपक्ष के विभिन्न दलों के नेताओं से जुड़े हुए हैं, मिश्रा की अगुवाई में ईडी उनकी जांच कर रही है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)