अफ़ग़ानिस्तान में तालिबानी प्रशासन के सदाचार प्रचार एवं अवगुण रोकथाम संबंधी मंत्रालय द्वारा जारी नए धार्मिक दिशानिर्देशों के मुताबिक़, अफ़ग़ान चैनलों को महिलाओं के अभिनय वाले ड्रामा और सोप ओपेरा का प्रसारण न करने का निर्देश दिया गया है. साथ ही शरिया क़ानून के ख़िलाफ़ मानी जाने वाली फिल्मों पर भी प्रतिबंध लगाने को कहा गया है.
नई दिल्लीः अफगानिस्तान में तालिबान ने महिलाओं के टीवी ड्रामा में काम करने प्रतिबंध लगा दिया है और महिला पत्रकारों और प्रेजेंटर्स को हेडस्कार्फ पहनने का आदेश दिया है.
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, सदाचार प्रचार एवं अवगुण रोकथाम संबंधी मंत्रालय द्वारा जारी नए धार्मिक दिशानिर्देशों के मुताबिक, अफगान टेलीविजन चैनलों को महिलाओं के अभिनय वाले ड्रामा और सोप ओपेरा का प्रसारण नहीं करने का निर्देश दिया गया है.
रिपोर्ट के अनुसार, इसके साथ ही शरिया कानून और अफगान मूल्यों के खिलाफ मानी जाने वाली फिल्मों पर भी प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया गया है. इसके साथ ही कॉमेडी शो या फिर इंटरटेनमेंट शो जिसमें धर्म का मजाक उड़ाया जाता है, उन पर भी रोक लगाने को कहा गया है.
मंत्रालय के प्रवक्ता हाफिक मोहाजिर ने एएफपी को बताया, ये नियम नहीं बल्कि धार्मिक दिशानिर्देश हैं.
अफगानिस्तान से अमेरिकी फौजों की रवानगी के साथ ही देश पर तालिबान के कब्जे के बाद अधिक उदार शासन के लिए दुनियाभर की नजरें तालिबान पर रही हैं.
महिलाओं को काम करते रहने देने और प्रेस की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के तालिबान के वादों के बावजूद देशभर से महिला पत्रकारों के उत्पीड़न और उन्हें डराने-धमकाने के कई मामले सामने आए हैं.
रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (आरएसएफ) द्वारा कराए गए सर्वेक्षण के मुताबिक, तालिबान के कब्जे के बाद मीडिया संगठनों की अधिकांश महिला कर्मचारियों ने काम करना बंद कर दिया था.
काबुल के मेयर ने नगर निगम की महिला कर्मचारियों को तब तक घर पर ही रहने को कहा था, जब तक कि उनके स्थान पर पुरूष उम्मीदवारों को नियुक्त नहीं किया जाता.
बता दें कि हाल ही में देश की जूनियर राष्ट्रीय फुटबॉल टीम ने पाकिस्तान में शरण मांगने से पहले ब्रिटेन पहुंची थी.
तालिबान का दावा है कि कामकाजी महिलाओं और पढ़ने वाली लड़कियों पर उनके प्रतिबंध अस्थाई हैं और यह सुनिश्चित करने के लिए हैं कि सभी कार्यस्थल और शैक्षणिक संस्थान इनके लिए सुरक्षित हो.
हालांकि, कई लोगों को डर है कि तालिबान देश को 20 साल पीछे उसी हालात में ले जा सकता है, जब तालिबान ने देश में टीवी, फिल्मों और मनोरंजन के सभी अन्य प्रारूपों को अनैतिक बताते हुए इन पर प्रतिबंध लगा दिया था.
मालूम हो कि तालिबान ने 1990 के दशक में अपने शासनकाल के दौरान बालिकाओं और महिलाओं को शिक्षा के अधिकार से वंचित कर दिया था और उनके सार्वजनिक जीवन पर पाबंदी लगा दी थी.