संसद के शीतकालीन सत्र से पहले भाजपा की सहयोगी नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) ने नागरिकता संशोधन अधिनियम को निरस्त करने की मांग की है. मेघालय के तूरा लोकसभा क्षेत्र से सांसद अगाथा संगमा ने सरकार से अपील की है कि जिस तरह उसने लोगों की संवेदना को ध्यान में रखकर कृषि क़ानून निरस्त किए हैं, उसी तरह पूर्वोत्तर के लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखकर सीएए भी निरस्त किया जाना चाहिए.
नई दिल्ली: संसद के शीतकालीन सत्र से पहले रविवार को बुलाई गई राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के घटक दलों की बैठक और सर्वदलीय बैठक में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सहयोगी नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) की नेता अगाथा संगमा ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को निरस्त करने की मांग की.
मेघालय के तूरा लोकसभा क्षेत्र से सांसद संगमा ने सरकार से अपील की कि जिस तरह उसने लोगों की संवेदना को ध्यान में रखकर कृषि कानून निरस्त किए हैं, उसी तरह सीएए भी निरस्त किया जाना चाहिए.
संगमा ने सरकार द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक और भाजपा नीत राजग की बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह एवं केंद्रीय मंत्रियों- प्रह्लाद जोशी और पीयूष गोयल की उपस्थिति में यह मांग की.
In the floor leaders' meeting of NDA parties, I demanded the Govt to repeal the Citizenship (Amendment) Act, 2019, keeping in mind sentiments of the people: National People's Party MP Agatha Sangma in New Delhi pic.twitter.com/nVcfrKYgcZ
— ANI (@ANI) November 28, 2021
उन्होंने यहां राजग की बैठक के बाद कहा, ‘चूंकि कृषि कानून निरस्त कर दिए गए हैं और यह खासकर लोगों की संवेदना को ध्यान में रखकर किया गया, इसलिए मैंने सरकार से पूर्वोत्तर के लोगों की संवेदना को उसी तरह ध्यान में रखकर सीएए को निरस्त करने का आग्रह किया है.’
संगमा ने कहा कि सरकार से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली, लेकिन उसने संसद में सभी दलों के नेताओं द्वारा उठाई गई मांगों का पूरा ब्योरा ले लिया है.
जब उनसे पूछा गया कि क्या राजग से जुड़े पूर्वोत्तर के अन्य दलों की भी ऐसी ही मांग थी, तो उन्होंने कहा, ‘मैंने यह मांग अपनी पार्टी और पूर्वोत्तर के लोगों की तरफ से की है. मैं कुछ अन्य (दलों को) को भी जानती हूं, जिनका ऐसा ही दृष्टिकोण है.’
मालूम हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते 19 नवंबर को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कानूनों को निरस्त करने के केंद्र के फैसले की घोषणा की थी.
कानूनों को वापस लेने की घोषणा करने के बाद बीते 24 नवंबर को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कृषि कानून निरस्तीकरण विधेयक-2021 को मंजूरी दी. इसे 29 नवंबर को शुरू हो रहे संसद सत्र के दौरान लोकसभा में पारित करने के लिए पेश किया जाएगा.
गौरतलब है कि हाल ही में असम के कई संगठनों ने कहा था कि किसानों के एक साल से अधिक लंबे आंदोलन ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) विरोधी आंदोलन को फिर से शुरू करने के लिए नया प्रोत्साहन दिया है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)