कैंपस में छात्राओं के साथ बढ़ती छेड़खानी के विरोध में छात्राएं दो दिन से धरने पर बैठीं थीं.
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में छेड़खानी और कैंपस में महिला सुरक्षा को लेकर पिछले दो दिनों से जारी छात्राओं को प्रदर्शन शनिवार रात हिंसक हो उठा.
दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार, शनिवार रात कुलपति आवास पर प्रदर्शन करने पहुंचे छात्र-छात्राओं पर बीएचयू के सुरक्षाकर्मियों की ओर से किए गए पथराव के बाद बीएचयू में जंग जैसे हालात बन गए.
रिपोर्ट के अनुसार, हालात को काबू करने के कैंपस में घुसी पुलिस फोर्स को छात्रों का जबरदस्त विरोध झेलना पड़ा. परिसर में गुरिल्ला युद्ध की स्थिति बन गई तो पुलिस को हवाई फायरिंग के साथ आंसू गैस के गोले भी छोड़ने पड़े.
अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, तनाव को देखते हुए 25 सितंबर की दशहरा की छुट्टियों को तीन दिन पहले लागू कर दिया गया और अब विश्वविद्यालय में दो अक्टूबर तक छुट्टी रहेगी. इसके अलावा कुलपति ने घटना की जांच के लिए एक कमेटी गठित कर दी है.
रिपोर्ट के अनुसार, रात 10 बजे कुलपति आवास के सामने प्रदर्शन करने जा रहे छात्रों पर कैंपस के सुरक्षा गार्डों और पुलिस ने लंका गेट और महिला महाविद्यालय के पास लाठीचार्ज कर दिया. इसमें आधा दर्जन छात्रों को चोटें आईं. इसके बाद छात्रों का गुस्सा फूट पड़ा और उन्होंने पुलिस की लाठीचार्ज के जवाब में पथराव शुरू कर दिया.
दैनिक जागरण के अनुसार, हिंसा ने तब उग्र रूप धारण कर लिया जब सर सुंदरलाल अस्पताल के पास पुलिस और छात्रों के बीच दोतरफा पथराव शुरू हो गया. इसके अलावा महिला महाविद्यालय में घुसी फोर्स ने बाहर खड़ी छात्राओं पर लाठीचार्ज कर दी.
इसके बाद सैकड़ों आक्रोशित छात्र छात्राओं वही प्रदर्शन करना शुरू कर दिया और कुलपति के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी की.
दैनिक जागरण के अनुसार, हालात को काबू में करने के लिए पुलिस और प्रशासनिक अमला सिर्फ बिड़ला हॉस्टल में घुस सका. इस बीच 10 बम धमाके हुए जिसके बाद फोर्स को बाहर निकलने का आदेश दे दिया गया. इसमें एक दारोगा और सिपाही के अलावा दर्जनों छात्रों को चोटें आईं. रिपोर्ट में एक की स्थिति गंभीर होने की बात कही गई है.
अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, एलबीएस हॉस्टल के बाहर प्रधानमंत्री के वाराणसी आने के होर्डिंग में छात्रों ने आग लगा दी थी और परिसर में खड़ी तीन स्कूटी भी फूंक दी गई.
दैनिक जागरण के अनुसार, इधर, सिंहद्वार पर दो दिन से धरना दे रहीं छात्राओं को पुलिस ने कैंपस के भीतर खदेड़ दिया. इसके बावजूद आधी रात के करीब छात्र सिंहद्वार पर जमा हो गए थे.
इससे पहले कैंपस में महिला सुरक्षा और छेड़खानी के विरोध में धरनारत छात्राओं की मांग थी कि कुलपति गिरीश त्रिपाठी मौके पर आकर छात्राओं की बात और समस्याएं सुनें. हालांकि विश्वविद्यालय प्रशासन ने फैसला किया कि कुलपति धरनास्थल पर नहीं जाएंगे.
इस ज़िद के बाद से ही बीएचयू की माहौल गर्मा गया, जिसके परिणामस्वरूप शनिवार रात कैंपस कई घंटे तक हिंसा और आगजनी की चपेट में रहा.
अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, छात्रों को काबू में करने के लिए 23 थानों की पुलिस, एक दर्जन वज्र वाहन और पांच कंपनी पीएसी बुला ली गई. पूरी घटला की विश्वविद्यालय प्रशासन की लापरवाही माना जा रहा है.
दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार, बीते 21 सितंबर को अपने विभाग से हॉस्टल जा रही दृश्य कला संकाय की छात्रा के साथ भारत कला भवन के पास कुछ युवकों ने छेड़खानी के अलावा उसके कपड़े खींचने की कोशिश की थी.
हॉस्टल पहुंचने के बाद त्रिवेणी हॉस्टल की छात्राएं रात में ही सड़क पर उतर आईं. हालांकि उन्हें समझा बुझाकर वापस भेज दिया गया. इसके बाद शुक्रवार सुबह छह बजे से छात्राओं न सिंहद्वार पर धरना शुरू कर दिया. रिपोर्ट में लिखा गया है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने आंदोलन ख़त्म करने के लिए हरसंभव हथकंडा अपनाया लेकिन वे विफल रहे.
दैनिक जागरण के अनुसार, छात्राओं का कहना था कि अगर कुलपति आ जाते तो वे धरना ख़त्म कर देती लेकिन कुलपति नहीं आए. इसके विरोध में छात्राएं दो दिन तक सिंहद्वार पर डटी रहीं.
धरने की वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो कि उस दिन वाराणसी में ही थे, के दुर्गा और मानस मंदिर जाने का रास्ता बदलना पड़ा. छात्राओं का धरना जारी रहा और कुलपति का पुतला भी फूंका गया.
इस बीच किसी ने सिंहद्वार पर चढ़कर ‘बीएचयू इज़ अनसेफ’ का पोस्टर लगा दिया, जिसे बाद में उतार दिया गया.