नगालैंड: सुरक्षा बलों के अभियान में 14 आम लोगों की मौत, दंगों में एक सैनिक की भी जान गई

नगालैंड के मोन ज़िले के ओटिंग और तिरु गांवों के बीच यह घटना उस समय हुई, जब कुछ दिहाड़ी मज़दूर शनिवार शाम पिकअप वैन से एक कोयला खदान से घर लौट रहे थे. पुलिस ने बताया कि प्रतिबंधित संगठन ‘एनएससीएन-के’ के युंग ओंग धड़े के उग्रवादियों की सूचना मिलने के बाद इलाके में अभियान चला रहे सैन्यकर्मियों ने वैन पर कथित रूप से गोलीबारी की थी. मामले की एसआईटी जांच के आदेश दे दिए गए हैं.

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नगालैंड के मोन जिले के ओटिंग गांव में चार दिसंबर 2021 को उग्रवाद विरोधी अभियान में सुरक्षा बलों की गोलीबारी में नागरिकों के मारे जाने के बाद नाराज़ ग्रामीणों ने सैन्यकर्मियों के वाहनों को आग के हवाले कर दिया था. (फाइल फोटो: पीटीआई)

नगालैंड के मोन ज़िले के ओटिंग और तिरु गांवों के बीच यह घटना उस समय हुई, जब कुछ दिहाड़ी मज़दूर शनिवार शाम पिकअप वैन से एक कोयला खदान से घर लौट रहे थे. पुलिस ने बताया कि प्रतिबंधित संगठन ‘एनएससीएन-के’ के युंग ओंग धड़े के उग्रवादियों की सूचना मिलने के बाद इलाके में अभियान चला रहे सैन्यकर्मियों ने वैन पर कथित रूप से गोलीबारी की थी. मामले की एसआईटी जांच के आदेश दे दिए गए हैं.

नगालैंड के मोन जिले के ओटिंग गांव में बीते चार दिसंबर को उग्रवाद विरोधी अभियान में सुरक्षा बलों की गोलीबारी में नागरिकों के मारे जाने के बाद नाराज़ ग्रामीणों ने सैन्यकर्मियों के वाहनों को आग के हवाले कर दिया. (फोटो: पीटीआई)

कोहिमा/गुवाहाटी/शिलांग/नई दिल्ली: नगालैंड के मोन जिले में एक के बाद एक गोलीबारी की तीन घटनाओं में सुरक्षाबलों की गोलियों से कम से कम 14 आम लोगों की मौत हो गई, जबकि 11 अन्य घायल हो गए. पुलिस ने रविवार को बताया कि गोलीबारी की पहली घटना संभवत: गलत पहचान का मामला थी. इसके बाद हुए दंगों में एक सैनिक की भी मौत हो गई.

एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि यह घटना ओटिंग और तिरु गांवों के बीच उस समय हुई, जब कुछ दिहाड़ी मजदूर शनिवार शाम एक पिकअप वैन के जरिये एक कोयला खदान से घर लौट रहे थे.

गोलीबारी की पहली घटना तब हुई जब शनिवार शाम कुछ कोयला खदान के मजदूर एक पिकअप वैन में सवार होकर घर लौट रहे थे. सेना के जवानों को प्रतिबंधित संगठन नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड-के (एनएससीएन-के) के युंग ओंग धड़े के उग्रवादियों की गतिविधि की सूचना मिली थी और इसी गलतफहमी में इलाके में अभियान चला रहे सैन्यकर्मियों ने वाहन पर कथित रूप से गोलीबारी की, जिसमें छह मजदूरों की जान चली गई.

पुलिस के अधिकारियों ने बताया कि जब मजदूर अपने घर नहीं पहुंचे तो स्थानीय युवक और ग्रामीण उनकी तलाश में निकले तथा इन लोगों ने सेना के वाहनों को घेर लिया. इस दौरान हुई धक्का-मुक्की व झड़प में एक सैनिक की मौत हो गई और सेना के वाहनों में आग लगा दी गई. इसके बाद सैनिकों द्वारा आत्मरक्षार्थ की गई गोलीबारी में सात और लोगों की जान चली गई.

इस घटना के खिलाफ उग्र विरोध और दंगों का दौर रविवार अपराह्न भी जारी रहा और गुस्साई भीड़ ने कोन्याक यूनियन और असम राइफल्स कैंप के कार्यालयों में तोड़फोड़ की और उसके कुछ हिस्सों में आग लगा दी. सुरक्षा बलों द्वारा हमलावरों पर की गई जवाबी गोलीबारी में कम से कम एक और नागरिक की मौत हो गई, जबकि दो अन्य घायल हो गए.

उग्र भीड़ गोलीबारी के घटना में शामिल सुरक्षाकर्मियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग कर रही थी.

नगालैंड सरकार ने एक अधिसूचना के माध्यम से ‘भड़काऊ वीडियो, तस्वीरों या लिखित सामग्री के प्रसार’ को रोकने के लिए जिले में मोबाइल इंटरनेट और डेटा सेवाओं के साथ-साथ एक साथ कई एसएमएस करने पर भी प्रतिबंध लगा दिया है.

जिले में इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध के बावजूद, हालांकि भीड़ द्वारा मोन में कोन्याक यूनियन कार्यालय और असम राइफल्स कैंप में तोड़फोड़ करने के वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहे हैं.

रविवार को दिल्ली से लौटे मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो सोमवार को प्रभावित जिले का दौरा करेंगे.

पुलिस ने कहा कि इस गोलीबारी में मारे गए लोगों का पोस्टमॉर्टम मोन में कराया जा रहा है और आशंका जताई कि मृतकों की संख्या बढ़ सकती है, क्योंकि घायलों में से दो की हालत गंभीर है और उन्हें बेहतर उपचार के लिये असम भेजा गया है, जबकि शेष का उपचार नगालैंड में ही चल रहा है.

सेना ने घटना की ‘कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी’ का आदेश देते हुए बताया कि इस दौरान एक सैन्यकर्मी की मौत हो गई और कई अन्य सैनिक घायल हो गए. इसने कहा कि यह घटना और उसके बाद जो हुआ, वह ‘अत्यंत खेदजनक’ है तथा लोगों की मौत होने की इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना की उच्चतम स्तर पर जांच की जा रही है.

अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश सरकार ने आईजीपी नगालैंड की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है.

रक्षा जनसंपर्क अधिकारी (कोहिमा) लेफ्टि. कर्नल सुमित शर्मा ने कहा, ‘नगालैंड में मोन जिले के तिरु में उग्रवादियों की संभावित गतिविधियों की विश्वसनीय खुफिया जानकारी के आधार पर इलाके में एक विशेष अभियान चलाए जाने की योजना बनाई गई थी. यह घटना और इसके बाद जो हुआ, वह अत्यंत खेदजनक है.’

मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने इस घटना की उच्चस्तरीय जांच कराए जाने का वादा किया और समाज के सभी वर्गों से शांति बनाए रखने की अपील की.

मोन म्यांमार की सीमा के पास स्थित है. म्यांमार से एनएससीएन का युंग ओंग धड़ा अपनी उग्रवादी गतिविधियां चलाता है.

इस बीच सेना की 3 कोर के मुख्यालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, ‘नगालैंड में मोन जिले के तिरु में उग्रवादियों की संभावित गतिविधियों की विश्वसनीय खुफिया जानकारी के आधार पर इलाके में एक विशेष अभियान चलाए जाने की योजना बनाई गई थी. यह घटना और इसके बाद जो हुआ, वह अत्यंत खेदजनक है.

बयान के अनुसार, ‘लोगों की मौत की इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के कारणों की ‘कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी’ के जरिए उच्चतम स्तर पर जांच की जा रही है और कानून के अनुसार उचित कार्रवाई की जाएगी.’

सेना ने कहा, ‘इस अभियान में सुरक्षाकर्मी गंभीर रूप से घायल हुए हैं और एक जवान की मौत हो गई है.’

असम और नगालैंड के राज्यपाल जगदीश मुखी ने शांति की अपील करते हुए एक बयान में कहा, ‘एसआईटी सभी कोणों से घटना की जांच करेगी, जबकि इसमें शामिल सैन्यकर्मियों के खिलाफ कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी का गठन किया गया है.’

मुख्यमंत्री रियो ने ट्वीट किया, ‘मोन के ओटिंग में आम लोगों की मौत की दुर्भाग्यपूर्ण घटना निंदनीय है. मैं शोक संतप्त परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट करता हूं और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं. मामले की एसआईटी (विशेष जांच दल) से उच्चस्तरीय जांच कराई जाएगी और कानून के अनुसार न्याय किया जाएगा. मैं सभी वर्गों से शांति बनाए रखने का आग्रह करता हूं.’

उपमुख्यमंत्री वाई. पैटन ने ट्वीट किया, ‘ओटिंग की जिस व्यथित करने वाली और त्रासदीपूर्ण घटना में आम लोगों की मौत हुई है, उसकी समग्र जांच की जाएगी तथा न्याय किया जाएगा. मैं शोक संतप्त परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट करता हूं और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं. मैं इस त्रासदीपूर्ण घटना के मद्देनजर सभी से शांति बनाए रखने का अनुरोध करता हूं.’

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे को घटना की जानकारी दी गई है.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जान गंवाने वालों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की है.

उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘नगालैंड के मोन जिले के ओटिंग में हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना से दुखी हूं. जिन लोगों ने अपनी जान गंवाई है, उनके परिवारों के प्रति मैं अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं. राज्य सरकार द्वारा गठित एक उच्चस्तरीय एसआईटी शोक संतप्त परिवारों को न्याय सुनिश्चित करने के लिए इस घटना की गहन जांच करेगी.’

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में जिले के एक कोन्याक (जनजाति) नेता ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए बताया कि शनिवार (चार दिसंबर) शाम छह लोगों की मौत हो गई और सात अन्य ने रविवार सुबह तक दम तोड़ दिया.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ट्वीट किया, ‘यह हृदय विदारक है. भारत सरकार को सही-सही जवाब देना चाहिए. गृह मंत्रालय वास्तव में क्या कर रहा है, जब न तो आम नागरिक और न ही सुरक्षाकर्मी हमारी अपनी ही सरजमीं में सुरक्षित हैं?’

इस बीच घटना को देखते हुए ईस्टर्न नगालैंड पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन (ईएनपीओ) ने इस घटना के विरोध में क्षेत्र के छह जनजातीय समुदायों से राज्य के सबसे बड़े पर्यटन कार्यक्रम ‘हॉर्नबिल’ महोत्सव से भागीदारी वापस लेने का आग्रह किया है.

संगठन ने एक बयान जारी कर कहा, ‘ईएनपीओ भारतीय सेना की अंधाधुंध गोलीबारी में ओटिंग गांव के 10 से अधिक दिहाड़ी मजदूरों की मौत होने की घटना पर गहरा शोक व्यक्त करता है और घटना की घोर निंदा करता है.’

ईएनपीओ ने छह जनजातियों से राज्य की राजधानी के पास किसामा में हॉर्नबिल महोत्सव स्थल ‘नगा हेरिटेज विलेज’ में अपने-अपने ‘मोरुंग’ में घटना के खिलाफ काले झंडे लगाने को कहा.

इसने कहा, ‘सभी संबंधित पक्षों को समझना चाहिए कि यह आदेश/कदम राज्य सरकार के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह सुरक्षाबलों के खिलाफ नाराजगी जताने और छह जनजातीय समुदायों के प्रति एकजुटता दिखाने के लिए है.’

मुख्यमंत्री के सलाहकार अबु मेहता ने कहा कि घटना में मारे गए लोगों के लिए किसामा में दो मिनट का मौन रखा जाएगा और प्रार्थना की जाएगी.

इस बीच, नगालैंड में सुरक्षा बलों की गोलीबारी में नागरिकों की मौत के कारण पूर्वोत्तर से सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) अधिनियम, 1958 को वापस लेने की मांग रविवार को नए सिरे से जोर पकड़ने लगी है.

‘मणिपुर वीमेन गन सर्वाइवर्स नेटवर्क’ और ‘ग्लोबल अलायंस ऑफ इंडिजिनस पीपल्स’ की संस्थापक बीनालक्ष्मी नेप्राम ने सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि इस क्षेत्र के नागरिकों और स्थानीय लोगों को मारने में शामिल किसी भी सुरक्षा बल पर कभी आरोप नहीं लगाया गया और न ही गलती के लिए उन्हें सलाखों के पीछे डाला गया.

आफस्पा को ‘औपनिवेशिक कानून’ बताते हुए नेप्राम ने कहा कि यह सुरक्षा बलों को ‘हत्या करने का लाइसेंस’ देता है.

राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म निर्माता उत्पल बोरपुजारी ने कहा कि भले ही नागरिकों को ‘झूठी खुफिया जानकारी’ के आधार पर मार दिया गया हो, आफस्पा अपराधियों को छूट प्रदान करता है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)