असम: कथित आपत्तिजनक लेख के चलते पत्रकार के ख़िलाफ़ राजद्रोह का केस दर्ज

असम के कछार ज़िले में ‘बराक बुलेटिन’ नामक न्यूज़ पोर्टल चलाने वाले पत्रकार अनिर्बान रॉय चौधरी को पुलिस से समन प्राप्त हुआ है. बीते एक दिसंबर को उनके ख़िलाफ़ दर्ज एफ़आईआर में आरोप लगाया गया है कि उनके एक लेख के कारण असम के बंगाली और असमिया भाषी लोगों के बीच का भाईचारा बिगड़ सकता है.

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अनिर्बान रॉय चौधरी. (फोटो साभार: फेसबुक)

असम के कछार ज़िले में ‘बराक बुलेटिन’ नामक न्यूज़ पोर्टल चलाने वाले पत्रकार अनिर्बान रॉय चौधरी को पुलिस से समन प्राप्त हुआ है. बीते एक दिसंबर को उनके ख़िलाफ़ दर्ज एफ़आईआर में आरोप लगाया गया है कि उनके एक लेख के कारण असम के बंगाली और असमिया भाषी लोगों के बीच का भाईचारा बिगड़ सकता है.

अनिर्बान रॉय चौधरी. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: असम के सिलचर स्थित एक पत्रकार के खिलाफ कथित तौर पर ‘आपत्तिजनक लेख’ के चलते बीते शनिवार को भारतीय दंड संहिता की धारा 124 ए (राजद्रोह) सहित कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य के कछार जिले में ‘बराक बुलेटिन’ नामक न्यूज पोर्टल चलाने वाले पत्रकार अनिर्बान रॉय चौधरी को कछार पुलिस से समन प्राप्त हुआ है. सिलचर निवासी शांतनु सूत्रधर नामक व्यक्ति की शिकायत के आधार पर चौधरी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है.

कछार के एसपी रमन ढिल्लन ने कहा, ‘हमें शिकायत मिली है और हमने मामला दर्ज कर लिया है, जांच चल रही है.’

पत्रकार अनिर्बान रॉय चौधरी के खिलाफ दर्ज एफआईआर में आईपीसी की अन्य धाराएं- 153 (ए) और 501/505 (2) भी लगाई गई हैं.

31 वर्षीय चौधरी को सोमवार (छह दिसंबर) सुबह 11 बजे सिलचर सदर पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट करने के लिए कहा गया है. उन्होंने कहा कि वह पुलिस के साथ पूरा सहयोग करेंगे, हालांकि ‘बराक बुलेटिन’ पीछे नहीं हटेगा.

चौधरी ने शनिवार को एक फेसबुक पोस्ट में लिखा, ‘बराक बुलेटिन के संस्थापक के रूप में मैं विश्वास दिलाता हूं कि बराक बुलेटिन डरा हुआ नहीं है. बराक बुलेटिन शासितों की सेवा करता रहेगा और अगर इसका मतलब शासकों के खिलाफ लिखना है, तो हम करेंगे!!! लॉन्ग लिव इंडिपेंडेंट जर्नलिज्म.’

बीते एक दिसंबर को दायर सूत्रधर की शिकायत में आरोप लगाया गया है कि चौधरी के लेख के कारण ‘असम के बंगाली और असमिया भाषी के लोगों के बीच का भाईचारा बिगड़ सकता है.’ उन्होंने आरोप लगाया कि ‘बराक बुलेटिन’ ने नेता प्रदीप दत्ता रॉय के ‘समर्थन’ लेख लिखा है, जिन्हें पिछले महीने राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.

प्रदीप दत्ता रॉय, जो बराक डेमोक्रेटिक फ्रंट के संयोजक हैं, को बीते 27 नवंबर को अधिकारियों द्वारा असमिया में लिखे गए एक सरकारी होर्डिंग के संबंध में कथित रूप से जारी किए गए अल्टीमेटम के संबंध में पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया गया था.

रिपोर्ट के अनुसार, रॉय ने कथित तौर पर कहा था कि अगर कोविड-19 टीकाकरण अभियान पर लगे होर्डिंग को 48 घंटों के भीतर नहीं हटाया गया, तो उनकी पार्टी सड़कों पर प्रदर्शन करेगी. होर्डिंग को हटा दिया गया था, लेकिन रॉय को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया और बाद में गिरफ्तार कर लिया गया.

उन पर धारा 153 ए (समूहों के बीच वैमनस्य को बढ़ावा देना), 295 (पवित्र वस्तु को दूषित करना), 295 ए (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना) और 124 ए (देशद्रोह) के तहत मामला दर्ज किया गया है.

सूत्रधर ऑल असम बंगाली हिंदू एसोसिएशन के सदस्य हैं और उन्होंने कहा कि इस मामले का उनके संगठन से कोई लेना-देना नहीं है.

रिपोर्ट के अनुसार, असम में भाषा कई दशकों से विवाद का विषय रही है. राज्य में बंगाली भाषी बराक घाटी और असमिया भाषी ब्रह्मपुत्र घाटी के बीच एक ऐतिहासिक विभाजन रहा है. असम राजभाषा अधिनियम, 1960, जिसने असमिया को राज्य की आधिकारिक भाषा के रूप में घोषित किया, में बराक घाटी जिलों में आधिकारिक उद्देश्यों के लिए बंगाली के उपयोग के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं.