मध्य प्रदेश: जेल में 107 दिन बिताने के बाद भीड़ की पिटाई के शिकार चूड़ी वाले को ज़मानत मिली

मध्य प्रदेश के इंदौर में इस साल रक्षाबंधन के मौके पर कुछ लोगों ने चूड़ी बेच रहे तस्लीम अली का नाम पूछकर उनकी बर्बर पिटाई कर दी थी. इसे लेकर जब उन्होंने शिकायत दर्ज कराई, तो दूसरे पक्ष की ओर से अली पर एक नाबालिग से छेड़छाड़ करने का मामला दर्ज कराया गया था.

मध्य प्रदेश के इंदौर में चूड़ी बेचने वाले मुस्लिम शख्स की पिटाई करने लोग. (स्क्रीनग्रैब: ट्विटर/@ShayarImran)

मध्य प्रदेश के इंदौर में इस साल रक्षाबंधन के मौके पर कुछ लोगों ने चूड़ी बेच रहे तस्लीम अली का नाम पूछकर उनकी बर्बर पिटाई कर दी थी. इसे लेकर जब उन्होंने शिकायत दर्ज कराई, तो दूसरे पक्ष की ओर से अली पर एक नाबालिग से छेड़छाड़ करने का मामला दर्ज कराया गया था.

उस घटना के वीडियो का स्क्रीनशॉट, जिसमें भीड़ तस्लीम अली को पीट रही है. (स्क्रीनग्रैब: ट्विटर/@ShayarImran)

नई दिल्ली: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने इंदौर में 13 वर्षीय एक स्कूली छात्रा से कथित छेड़छाड़ करने और पहचान से जुड़े दस्तावेजों की जालसाजी के बहुचर्चित मामले में गत अगस्त महीने में गिरफ्तार उत्तर प्रदेश के चूड़ी विक्रेता को मंगलवार को जमानत दे दी.

अधिकारियों ने बताया कि नाबालिग लड़की की शिकायत पर गिरफ्तारी के बाद हरदोई के रहने वाले चूड़ी विक्रेता तस्लीम अली (25 वर्ष) पिछले साढ़े तीन महीने से इंदौर में न्यायिक हिरासत के तहत जेल में बंद हैं.

उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ के जस्टिस सुजॉय पॉल ने दोनों पक्षों की दलीलों पर गौर करने के बाद चूड़ी विक्रेता की जमानत याचिका मंजूर की.

अली के वकील एहतेशाम हाशमी ने संवाददाताओं से कहा, ‘चूड़ी विक्रेता को जमानत के अदालती आदेश से एक बार फिर साबित हुआ है कि देश में संविधान सर्वोपरि है. चूड़ी विक्रेता को जमानत मिलना संविधान की जीत है.’

उन्होंने इंदौर में चूड़ी विक्रेता के खिलाफ दर्ज आपराधिक प्रकरण को राजनीति से दुष्प्रेरित बताते हुए कहा कि इस मामले में प्रदेश सरकार का रवैया ‘थोड़ा सख्त’ था और पुलिस द्वारा उच्च न्यायालय में समय पर केस डायरी नहीं पेश किए जाने के कारण उनके मुवक्किल की जमानत याचिका पर सुनवाई में विलंब हुआ.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक हाशमी ने कहा, जस्टिस सुजॉय पॉल ने अपने आदेश में कहा है कि तस्लीम को गुंडों ने पीटा था और फिर उसकी शिकायत के बाद एक क्रॉस एफआईआर दर्ज की गई थी. अभियोजन पक्ष द्वारा जान-बूझकर जमानत प्रक्रिया में देरी करने का प्रयास किया गया, जिसमें कहा गया था कि जमानत मिलने पर सबूतों के साथ छेड़छाड़ की जा सकती है या वह (तस्लीम) भाग सकते हैं क्योंकि वह यूपी से हैं.

गौरतलब है कि जिला अदालत ने अली की जमानत अर्जी दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद 31 अगस्त को खारिज कर दी थी.

फेरी लगाकर चूड़ियां बेचने इंदौर आए अली को कक्षा छह में पढ़ने वाली स्थानीय छात्रा के लैंगिक उत्पीड़न और आधार कार्ड की जालसाजी के आरोपों में गिरफ्तारी के बाद 25 अगस्त को अदालत में पेश किया गया था जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत के तहत जेल भेज दिया गया था.

स्कूली छात्रा की शिकायत पर अली की गिरफ्तारी से पहले, सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर उस वीडियो को लेकर खूब बवाल मचा था, जिसमें इंदौर के गोविंद नगर में 22 अगस्त को जुटी भीड़ में शामिल लोग इस चूड़ी विक्रेता को पीटते दिखाई दे रहे हैं, जबकि वह उनसे छोड़ देने का आग्रह कर रहे थे.

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि भीड़ में शामिल चार लोगों को अली से मारपीट के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.

चूड़ी विक्रेता ने पुलिस के सामने शिकायत दर्ज कराई थी कि भीड़ में शामिल लोगों ने कथित तौर पर उसका नाम पूछा और जब उसने अपना नाम बताया, तो उन्होंने उन्हें पीटना शुरू कर दिया.

उन्होंने यह आरोप भी लगाया था कि लोगों ने उनके लिए सांप्रदायिक तौर पर आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया और उससे 10,000 रुपये की नकदी, मोबाइल फोन, आधार कार्ड और अन्य दस्तावेजों के साथ ही करीब 25,000 रुपये के मूल्य की चूड़ियां छीन लीं.

चूड़ी विक्रेता की शिकायत पर पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश), धारा 141 (लोगों द्वारा गैरकानूनी तौर पर जमा होना), धारा 147 (बलवा), धारा 153-ए (सांप्रदायिक सौहार्द्र पर विपरीत असर डालने वाला कार्य) और धारा 298 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से जान-बूझकर कहे गए शब्द), धारा 395 (डकैती) और अन्य संबद्ध धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था.

इस मामले में चार व्यक्तियों- राकेश पवार, विवेक व्यास, राजकुमार भटनागर और विकास मालवीय को गिरफ्तार किया गया था. इस समय वे जमानत पर बाहर हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)