टीएमसी सांसदों ने रंजन गोगोई के ख़िलाफ़ राज्यसभा में विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव दिया

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस और राज्यसभा सांसद रंजन गोगोई ने सदन में उनकी कम उपस्थिति को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में हाल ही में कहा था कि वह नामित सदस्य हैं, इसलिए वह किसी पार्टी ह्विप से बंधे हुए नहीं हैं. जब उन्हें लगेगा कि विषय महत्वपूर्ण है और उस पर बोला जाना चाहिए, तब वह राज्यसभा की कार्यवाही में भाग लेना पसंद करेंगे.

सीजेआई रंजन गोगोई (फोटो: पीटीआई)

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस और राज्यसभा सांसद रंजन गोगोई ने सदन में उनकी कम उपस्थिति को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में हाल ही में कहा था कि वह नामित सदस्य हैं, इसलिए वह किसी पार्टी ह्विप से बंधे हुए नहीं हैं. जब उन्हें लगेगा कि विषय महत्वपूर्ण है और उस पर बोला जाना चाहिए, तब वह राज्यसभा की कार्यवाही में भाग लेना पसंद करेंगे.

सीजेआई रंजन गोगोई (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्लीः तृणमूल कांग्रेस के दो सांसदों ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस और राज्यसभा सांसद रंजन गोगोई की एक टिप्पणी को लेकर बीते सोमवार को उनके खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव पेश किया.

दरअसल रंजन गोगोई ने एक साक्षात्कार के दौरान राज्यसभा में अपनी बेहद कम उपस्थिति को लेकर टिप्पणी की थी. टीएमसी सांसद जवाहर सरकार और मौसम नूर के प्रस्ताव को अभी राज्यसभा सचिवालय ने स्वीकार नहीं किया है.

इन दोनों के अलावा विभिन्न विपक्षी पार्टियों के कई अन्य सांसद भी गोगोई के खिलाफ विशेषाधिकार प्रस्ताव का नोटिस पेश कर सकते हैं.

एनडीटीवी को दिए साक्षात्कार में गोगोई से पत्रकार श्रीनिवासन जैन ने संसद में उनकी कम उपस्थिति को लेकर सवाल किया था.

जैन का सवाल था, ‘जब से आप सांसद बने हैं, लगभग 68 बैठकें हुई हैं, जिसमें से आपने सिर्फ छह में हिस्सा लिया है.

जिसके जवाब में गोगोई ने कहा था कि वह सही हैं.

जैन ने फिर पूछा, ‘अगर विचार जनसेवा का था तो संसद में आपकी उपस्थिति 10 फीसदी से कम क्यों हैं?’

पूर्व सीजेआई ने कहा, ‘आपने इस तथ्य को नजरअंदाज कर दिया कि एक या दो सत्र में मैंने सदन को एक पत्र सौंपा था, जिसमें कहा गया था कि कोविड-19 की वजह से मेडिकल आधार पर मैं संसद की कार्यवाही में शामिल नहीं हो रहा हूं. क्या आप जानते हैं कि एक समय तक शायद संसद के पिछले सत्र तक आप राज्यसभा में आरटी-पीसीआर टेस्ट के बाद ही जा सकते थे और मैं वहां जाने को लेकर सहज महसूस नहीं कर रहा था. महमारी के बीच आज भी मैं राज्यसभा जाने को लेकर सहज महसूस नहीं करता.’

जब जैन ने यह पूछा कि क्या कोविड-19 की वजह से संसद में उपस्थिति कम है तो इस पर गोगोई ने कहा, ‘सोशल डिस्टेंसिंग के नियम लागू हैं, लेकिन उनका सही तरीके से पालन नहीं किया जा रहा. वहां बैठने की व्यवस्था को लेकर मैं सहज नहीं हूं, लेकिन बात यह नहीं है. दरअसल मुझे जब लगेगा कि मुझे राज्यसभा जाना चाहिए, मैं जाऊंगा. जब मुझे लगेगा कि महत्वपूर्ण विषय है, जिस पर मुझे अपनी बात रखनी चाहिए, मैं जाऊंगा.’

उन्होंने कहा, ‘क्योंकि मैं नामित सदस्य हैं, इसलिए मैं किसी पार्टी ह्विप से बंधा हुआ नहीं हूं. जब मेरा मन करता है, मैं राज्यसभा जाता हूं. मैं सदन का स्वतंत्र सदस्य हूं.’

इस दौरान जब उनसे सीजेआई के रूप में सेवानिवृत्त होने के कुछ महीने बाद मनोनीत सांसद की भूमिका स्वीकार करने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘राज्यसभा का क्या जादू है? अगर मैं किसी ट्रिब्यूनल का चेयरमैन बनता तो अधिक बेहतर वेतन और सुविधाएं होतीं. मैं राज्यसभा से एक पैसा भी लेकर नहीं जाता.’

इस बयान पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा, ‘गोगोई की यह टिप्पणी कि जब उनका मन करेगा, वह संसद की कार्यवाही में शामिल होंगे. यह संसद का अपमान है.’

इस संबंध में तृणमूल कांग्रेस के सांसद एथिक्स समिति के समक्ष भी गोगोई के खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकते हैं.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)

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